- सूबे में 5वीं के 56% बच्चे हिंदी तक नहीं पढ़ पाते
- रिपोर्ट में सामने आई पढ़ाई की हकीकत
- संस्था असर ने 69 जिलों के सर्वे के बाद जारी की रिपोर्ट
- गणित, हिंदी और अंग्रेजी में गिर रहा पढ़ाई का स्तर
‘रामपुर में एक मैदान था। वहां कुछ नहीं उगता था। यहां कोई खेलने नहीं जाता था। एक दिन कुछ लोग आए। उन्हाेंने गांव के लोगों को बुलाया। सबने मिलकर तय किया कि यहां बगीचा बनाया जाए। खाद मंगाकर हर तरह के पौधे लगाए गए। सही समय पर पानी दिया गया। आज यहां एक सुंदर बगीचा है। इसलिए यहां सभी खेलने जाते हैं’।