नियमित
भी होंगे कस्तूरबा
गांधी बालिका विद्यालयों
के शिक्षक
राजकेश्वर
सिंह, नई दिल्ली
आम
चुनाव की ओर
बढ़ रही सरकार
दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक
समुदाय की लड़कियों
की पढ़ाई को
और दुरुस्त करेगी।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों
(केजीबीवी) के चलाने
के नियम-कायदों
में कई सालों
बाद बड़ा बदलाव
उसकी इसी रणनीति
का हिस्सा है।
इन विद्यालयों में
जहां अब तक
अस्थायी शिक्षकों को महज
पांच-छह हजार
रुपये महीने की
तनख्वाह पर रखा
जाता था। अब
वहां न सिर्फ
नियमित शिक्षक होंगे, बल्कि
उनका वेतन भी
25 हजार रुपये होगा।
सूत्रों
के मुताबिक, अनुसूचित
जाति, जनजाति, पिछड़े
और अल्पसंख्यक समुदाय
की लड़कियों को
छठी, सातवीं और
आठवीं कक्षा की
पढ़ाई के जिस
मकसद से ये
आवासीय (रेजीडेंशियल) स्कूल खोले गए
हैं, उसे ज्यादा
प्रभावी बनाने के लिए
योजना में कुछ
बदलाव बहुत जरूरी
हो गए थे।
पढ़ाई की गुणवत्ता
को सुधारने के
लिए योग्य व
प्रशिक्षित शिक्षकों का होना
जरूरी है। शिक्षा
का अधिकार कानून
के प्रावधानों की
रोशनी में भी
प्रशिक्षित शिक्षकों का होना
जरूरी है। लिहाजा,
इन विद्यालयों में
अब स्थायी शिक्षक
रखे जाएंगे और
उनका वेतन 25 हजार
रुपये महीने होगा।
स्कूलों के खर्च
में केंद्र व
राज्यों के बीच
बंटवारे के क्रम
में केंद्र अभी
एक शिक्षक के
मद में प्रतिमाह
पांच से छह
हजार रुपये महीने
तक का भुगतान
करता है। हालांकि,
मानव संसाधन विकास
मंत्रलय के उच्चपदस्थ
सूत्रों का तर्क
यह भी है
इन विद्यालयों के
शिक्षकों व हॉस्टल
आदि के रखरखाव
व भोजन आदि
के खर्च में
2002 के बाद से
कोई बदलाव ही
नहीं हुआ है।
मसलन, हॉस्टल में
रहने वाली एक
बालिका के खाने
पर अब भी
रोजाना 30 रुपये ही मिलते
हैं, जबकि, महंगाई
बहुत ज्यादा बढ़
गई है। सरकार
अब इसे भी
बढ़ाकर 50 रुपये रोजाना करने
जा रही है।
गौरतलब है कि
इस समय देश
में कुल 3600 कस्तूरबा
गांधी बालिका विद्यालय
चल रहे हैं।
इन विद्यालयों में
पढ़ने वाली 75 प्रतिशत
लड़कियां अनुसूचित जाति, जनजाति,
पिछड़े व अल्पसंख्यक
समुदाय की हैं।
जबकि, 25 प्रतिशत लड़कियां गरीबी
रेखा के नीचे
वाले जीवन यापन
करने वाले परिवारों
से होती हैं।
इन विद्यालयों की
स्थापना के पीछे
एक मकसद यह
भी था कि
गरीब व वंचित
तबकों की पांचवीं
कक्षा तक पढ़ाई
कर चुकी लड़कियों
को कम से
कम आठवीं तक
की पढ़ाई के
लिए दूरदराज के
स्कूलों तक भटकना
न पड़े।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
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