Tuesday, October 1, 2013

न परीक्षा-न साक्षात्कार, 18 लाख में नौकरी पक्की



स्टाफ सिलेक्शन कमीशन में परीक्षा से लेकर साक्षात्कार और नौकरी दिलाने के लिए दलाल 18 लाख रुपये मेंडीलफाइनल कर रहे हैं। यह खुलासा रविवार को निगम विहार और पोर्टमोर स्कूल में परीक्षा के दौरान नकल करते पकड़े गए 34 अभ्यर्थियों ने पुलिस पूछताछ में किया है। सभी नकलचियों को सोमवार को जिला अदालत में पेश किया गया, जहां से इन्हें एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। इसकी पुष्टि डीएसपी सिटी पंकज शर्मा ने की है।
पुलिस के मुताबिक, लिखित परीक्षा पास करवाने का सौदा पचास हजार से लेकर दो लाख तक निर्धारित है। सभी नकलचियों के अलग-अलग दलाल हैं। इनमें से कुछ अभ्यर्थियों को परीक्षा शुरू होने से पहले भी कुछ दलाल मिले जो इन्हें परीक्षा पास करवाने का दावा कर रहे थे। सभी नकलची हरियाणा के रहने वाले हैं।
सवाल उठ रहा है कि हरियाणा में परीक्षा केंद्र होने के बावजूद शिमला के परीक्षा केंद्रों को ही क्यों चुना गया?
इसके पीछे दलील दी जा रही है कि यहां इतनी ज्यादा चेकिंग नहीं होती है। जिस समय ये सभी आरोपी परीक्षा भवन के भीतर पकड़े गए उस समय इनकी आंसर शीट बिल्कुल खाली थी। इन्हें दलालों की कॉल का इंतजार था।
सभी आरोपियों को दलालों ने समझा कर भेज रखा था कि कब और कैसे क्या करना है। परीक्षा का आधा समय बीत जाने के बाद सिलसिला शुरू होना था। इससे पहले अपने मकसद में कामयाब हो पाते पुलिस ने इन्हें धर लिया।
दलाल इस बात से बेखबर थे कि उनके शिकार पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। परीक्षा का आधा समय बीतने का बाद दलाल कोड वर्ड में सवाल के जवाब बताने शुरू हो गए।
अगर सवाल के जवाब में परीक्षार्थी को कुछ शक होता है तो वह दो बार खांसता है। यह दलाल के लिए एक संकेत है, वह दोबारा उस प्रश्न का उत्तर कोड वर्ड में बताता है। दलाल ऐसे करते हैं काम  दलाल अपने किसी खासमखास को परीक्षा केंद्र में भेज देते हैं, परीक्षा का आधा समय बीत जाने के बाद वह बाहर आता है और प्रश्नों को दलाल तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद दलाल उनके उतर खोज कर परीक्षार्थियों को मोबाइल, ब्लू टूथ इत्यादि के जरिये पहुंचा देते हैं। रविवार को पकड़े गए आरोपियों ने अधोवस्त्रों में ये चीजें छिपा कर रखी हुई थीं। आईबी की सूचना पर दबिश
इंटेलिजेंस ब्यूरो को सूचना मिली थी कि परीक्षा में एक ऐसा अभ्यर्थी बैठा है जो दलाल की मदद से पेपर हल कर रहा है। आईबी ने लोकल पुलिस की मदद लेकर परीक्षा केंद्र में दबिश दी। जिस अभ्यर्थी पर आईबी को शक था उससे तो कुछ नहीं मिला। संदेह के आधार पर जब पोर्टमोर और निगम विहार के परीक्षा केंद्रों की तलाशी ली गई तो 34 नकलची पकड़े, इनमें से 6 युवतियां भी थी।
विभिन्न पदों के लिए थी भर्तियां इनमें तहसीलदार, इनकम टैक्स आफिसर, सब इंसपेक्टर, एक्साइज इंस्पेक्टर इत्यादि पदों के लिए भर्तियां थी।
 


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डिग्री शिक्षकों के एरियर के लिए चार अरब जारी


लखनऊ (एसएनबी) डिग्री कालेजों के शिक्षकों के छठे वेतनमान के बकाया एरियर के भुगतान के लिए प्रदेश सरकार ने 419.77 करोड़ जारी कर दिये हैं। इस धनराशि से विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को एक भी पैसा नहीं मिलेगा। एरियर भुगतान में सरकार ने उन्हें अंगूठा दिखा दिया है। विशेष सचिव उच्च शिक्षा राम गोपाल मौर्य की ओर से जारी शासनादेश के मुताबिक यह राशि निदेशक उच्च शिक्षा को भेजी गयी है। निदेशक उच्च शिक्षा के यहां धनराशि जाने से प्रदेश के 345 एडेड डिग्री कालेजों और 131 सरकारी महाविद्यालयों के तकरीबन सभी शिक्षकों का एरियर भुगतान हो जाएगा। छठा वेतनमान लागू होने के बाद 10089 शिक्षकों का एरियर भुगतान लम्बित है। एक जनवरी 2006 से 31 मार्च 2010 के बीच अवधि के लिए चार अरब उन्नीस करोड 77 लाख पन्द्रह हजार दो सौ रुपये जारी किया गया है। धनराशि का उपभोग करने के बाद प्रमाणपत्र जल्द शासन को मुहैया कराने को कहा गया है। अनुदान का उपयोग एरियर भुगतान में ही किया जाएगा, किसी भी अन्य मद में इस धनराशि का उपयोग करने की हिदायत भी शासनादेश में दी गयी है। सूत्रों का कहना है कि इस धनराशि से विश्वविद्यालय के शिक्षकों को एरियर नहीं मिल पायेगा। धनराशि को लेकर जारी शासनादेश में इसकी प्रति तो कुलपति और ही विश्वविद्यालयों के वित्त अधिकारी को भेजी गयी है। उल्लेखनीय है कि शिक्षकों के एरियर भुगतान के लिए 1079 करोड़ रुपये की मांग की गयी थी, इनमें एक बार 263 करोड़ दूसरी बार हाईकोर्ट से आदेश लाने वाले शिक्षकों के एरियर के लिए 11 करोड़ की धनराशि जारी की गयी थी। अब सरकार ने 419.77 करोड़ रुपये की धनराशि महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए जारी कर दिया है। इस धनराशि के जारी होने पर अब शिक्षक संगठनों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। लुआक्टा के अध्यक्ष डा. मनोज पाण्डेय का कहना है कि यह शासनादेश सिर्फ शिक्षक आन्दोलनों का ही नतीजा है।
विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को सरकार ने दिखाया अंगूठा मंजूर किये गये 419.77 करोड़ रुपये में नहीं मिले गा एक भी पैसा

 

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एलएलबी, एलएलएम और एमएड की परीक्षाएं स्थगित


Updated on: Tue, 01 Oct 2013 01:00 AM (IST)

जागरण संवाददाता, आगरा: एक बार फिर विवि प्रशासन ने एन मौके पर एलएलबी, एलएलएम और एमएड की परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। इसके चलते सोमवार को दिनभर छात्र परेशान रहे। मंगलवार से होने वाली ये परीक्षाएं अब सात अक्टूबर से होंगी। बीएड की परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत एक अक्टूबर से ही कराई जाएंगी।

अंबेडकर विवि ने बदइंतजामी की इंतहा कर दी है। इसका खामियाजा हर बार छात्रों को भुगतना पड़ता है। विवि ने बीएड सहित एमएड, बीए एलएलबी, एलएलबी, एलएलएम की परीक्षाएं एक अक्टूबर से कराने का दावा किया था। परीक्षा कार्यक्रम भी घोषित कर दिया। मगर एक साथ तीन इम्तिहान कराने के लिए विवि प्रशासन ने कोई तैयारी नहीं की। ऐसे में सोमवार को बैठक के बाद परीक्षाएं स्थगित करने का फैसला सुना दिया।

नई तिथि पर रजिस्ट्रार के नहीं हुए हस्ताक्षर

एलएलबी, एलएलएम और एमएड की स्थगित परीक्षाएं सात अक्टूबर से प्रस्तावित की गई हैं। मगर प्रस्तावित तिथि पर रजिस्ट्रार बीके पांडे ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ऐसे में सात अक्टूबर से भी परीक्षा हो पाएंगी इस पर संशय है।

विवि की बीएड की परीक्षाएं आज से

वहीं बीएड सत्र 2012-13 की परीक्षाएं मंगलवार से होंगी। परीक्षा विवि परिक्षेत्र के सात जिलों में 39 नोडल सेंटर पर होंगी। इसके लिए विवि प्रशासन ने सोमवार को नोडल सेंटर पर परीक्षा सामग्री भेज दी है।

प्रवेश पत्र के लिए वसूली का खेल

छात्रों ने बीएड कॉलेजों में प्रवेश पत्र के लिए वसूली के आरोप लगाए हैं। छात्रों से तीन से पांच हजार रुपये मांगे जा रहे हैं। यही नहीं परीक्षा में पास कराने के नाम पर भी सौदेबाजी के आरोप लगाए जा रहे हैं।

बीएड परीक्षा कार्यक्रम

(दोपहर दो से शाम पांच बजे)

एक अक्टूबर प्रथम प्रश्नपत्र

एलएलबी, एलएलएम और एमएड की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। बीएड की परीक्षाएं एक अक्टूबर से ही होंगी।

प्रभात रंजन, उप कुलसचिव (परीक्षा)

18 लाख से अधिक हुए आवेदन


शिक्षक भर्ती आवेदन के लिए 30 सितंबर अंतिम तारीख थी। 29 हजार पदों के लिए 18,36,569 आवेदन भरे गए। एक-एक आवेदक ने 35-40 जिले तक के लिए आवेदन किया है। जिससे आवेदनों की संख्या काफी बढ़ गई है।
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शिक्षक भर्ती के लिए 40 वर्ष वाले कर सकेंगे आवेदन


हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने बढ़ाई अंतिम तिथि, 11 तक भरे जाएंगे फाॅर्म

• अमर उजाला ब्यूरो

इलाहाबाद। परिषदीय विद्यालयों में गणित और विज्ञान के 29 हजार पदों के लिए आवेदन करने का इंतजार कर रहे 40 वर्ष की आयु वाले अभ्यर्थी भी अब आवेदन कर सकेंगे। यह अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती के लिए मंगलवार से आवेदन कर सकेंगे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार 40 वर्ष तक की आयु वाले अभ्यर्थियों को आवेदन करने की अनुमति दे दी है। फाॅर्म भरने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो जाएगी। नौ अक्तूबर तक ई-चालान जमा होगा। 11 अक्तूबर तक आवेदक फाॅर्मों को पूर्ण रूप से जमा कर सकेंगे।

शिक्षक भर्ती में आयु सीमा 35 के बजाए 40 वर्ष करने की मांग अभ्यर्थी आवेदन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही कर रहे थे। आवेदकों का कहना था कि उन्होंने टीईटी 2011 में ही पास कर ली थी। मगर शासन स्तर से ही भर्तियां नहीं निकाली गई। इस कारण काफी संख्या में आवेदक ओवरएज हो गए। इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। ऐेसे में सिर्फ 35 वर्ष तक वालों को ही आवेदन देने की छूट देना गलत है। छात्रों की समस्या को देखते हुए बेसिक शिक्षा परिषद सचिव ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव बनाकर भी भेजा था, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। इसी बीच कुछ छात्रों ने आयु सीमा बढ़ाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने शासन से 40 वर्ष तक के छात्रों ने आवेदन लेने के निर्देश दे दिए। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा का कहना है कि 40 वर्ष तक की आयु सीमा वाले आवेदकों के साथ ही वे छात्र भी आवेदन कर सकेंगे, जो 30 सितंबर तक आवेदन नहीं कर पाए हैं।

18 लाख से अधिक हुए आवेदन

शिक्षक भर्ती के लिए 30 सितंबर अंतिम तारीख थी। जिसमें 29 हजार पदों के लिए 18,36,569 आवेदन भरे गए। नौकरी की चाहत में एक-एक आवेदक ने 35-40 जिलों के लिए आवेदन किया है। जिस वजह से आवेदनों की संख्या इतनी अधिक हुई है। 40 वर्ष तक के आवेदकों को छूट देने के बाद आवेदनों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी।

लेखपालों की भर्ती निरस्त


गाजीपुर जिलाधिकारी चंद्रपाल सिंह ने बताया कि वर्ष 2009 में जिन अभ्यर्थियों ने लेखपाल पद के लिए आवेदन कर शुल्क जमा किया था। वे अपना शुल्क कार्यालय से प्राप्त कर लें।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में लेखपालों के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए थे। इस भर्ती को राजस्व परिषद ने निरस्त कर दिया है। सचिव ने परीक्षा शुल्क की धनराशि को वापस करने का निर्देश दिया है। वर्तमान में लेखपालों के रिक्त पदों के लिए अलग से विज्ञापन निकाला जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट दी जाएगी।

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स्थायी टीचर, टीईटी की बाध्यता नहीं




कछौना। ब्लॉक संसाधन केंद्र पर आयोजित शिक्षामित्रों की बैठक में संघ के जिलाध्यक्ष मनीराम ने कहा कि प्रथम बैच के सभी शिक्षामित्र जनवरी माह में स्थायी टीचर बनाए जाएंगे और साथ में टीईटी के लिए अब कोई बाध्यता नहीं होगी।
उन्होंने संगठन को मजबूत करने का आह्वान करते हुए कहा कि आज तो सपना पूरा होने जा रहा है, वह संगठन की लड़ाई का नतीजा है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि शिक्षामित्र निराश न हो आगामी जनवरी माह में प्रथम बैच के शिक्षामित्र को सरकार द्वारा समायोजित कर स्थायी टीचर बनाने का शासनादेश जारी हो चुका है। उन्होंने बताया कि शिक्षामित्रों का एक प्रतिनिधिमंडल दो सितंबर को मुख्यमंत्री से मिला था, जिस पर मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि वह जल्द ही शिक्षामित्रों को समायोजित करेंगे। इस मौके पर कई शिक्षामित्र मौजूद थे।



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शिक्षकों की भर्ती में यूपी फिसड्डी



-आरटीई पर जारी ताजा आंकड़े में हुआ खुलासा
नई दिल्ली। प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के मामले में उत्तर प्रदेश पूरे देश में फिसड्डी साबित हुआ है। आरटीई कानून 2009 में बनने के बाद तीन साल तक जरूरी व्यवस्था की लिए मिली मोहलत के बावजूद यूपी में शिक्षकों की भर्ती के मामले में कुछ खास नहीं किया गया। अप्रैल, 2013 में इस एक्ट के प्रभावी हो जाने के बाद पहली बार जारी हुए आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 306680 पद रिक्त हैं। इस मामले में बिहार दूसरे स्थान पर है।
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार समिति (केब) की 10 अक्तूबर को होने वाली बैठक में देश में आरटीई कानून में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा होगी। बैठक से पहले आरटीई में देश के विभिन्न राज्यों की प्रगति संबंधी रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों में ढांचा के निर्माण का काम तो अधिकांश राज्यों ने पूरा कर लिया है किंतु शिक्षकों की भर्ती, उनके प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम में बदलाव जैसे अहम कदम उठाने में कई राज्य बहुत पीछे हैं। देश में इस समय कुल 1187761 शिक्षकों के पद रिक्त हैं इनमें से चालीस फीसदी रिक्तियां अकेले यूपी और बिहार में हैं।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में इस समय कार्यरत शिक्षकों में से 20 फीसदी शिक्षक (8.6 लाख) अप्रशिक्षित हैं। इनमें 1.43 लाख शिक्षक यूपी से से हैं। प्रदेश अप्रशिक्षित शिक्षकों के मामले में पश्चिम बंगाल और बिहार के बाद तीसरे स्थान पर है। आरटीई कानून के तहत राज्यों को बच्चों की उम्र के अनुसार पाठ्यक्रमों में बदलाव के लिए मानक तय किए गए थे। हिमाचल प्रदेश और पंजाब समेत चार राज्यों में अभी तक पाठ्यक्रम के बदलाव का काम अधर में है। नये कानून के तहत प्राइमरी स्कूलों में साल भर में कम से कम 200 दिन और माध्यमिक स्कूलों में 220 दिन की पढ़ाई होना जरूरी है। इन मानकों को पूरा करने वाला गोवा देश का एकमात्र राज्य है।
आठवीं कक्षा तक लागू नो डिटेंशन पॉलिसी (फेल नहीं करने का नियम) की समीक्षा के लिए जून, 2012 में गठित केब की उप समिति अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं ले सकी। उप समिति की अध्यक्ष हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्खल के बार-बार दावों के बावजूद रिपोर्ट नहीं जमा करने के कारण इस मामले में आगे भी असमंजस बरकरार रहेगा। केब की बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी।
 


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