Friday, September 27, 2013

मार्कशीट के साथ फर्जी डिग्री का भी ठेका



Updated on: Fri, 27 Sep 2013 01:35 AM (IST)
जागरण संवाददाता, आगरा: विवि के कॉकस ने मार्कशीट के साथ फर्जी डिग्री बनाने का ठेका लिया था। ऐसे में विवि प्रशासन ने चार्ट जब्त करने के बाद तैयार हुई संदिग्ध डिग्रियों पर भी रोक लगा दी है। इसके साथ ही वर्ष 2007 से 2010 तक के चार्टो पर सेक्शन प्रभारियों और अधिकारियों के हस्ताक्षर न होने की भी जांच की जा रही है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में बीकॉम, बीएससी की मार्कशीट और डिग्री का ठेका लिया गया। इसके लिए बीकॉम और बीएससी के चार्टो में अनुक्रमांक जनरेट कर फर्जी मार्कशीट तैयार कर दी गई। यही नहीं, इन्हीं मार्कशीट के आधार पर डिग्री भी बना दी गई हैं। जांच में डिग्रियों के संदिग्ध पाए जाने पर उन्हें रोक दिया गया है। इसके साथ ही जब्त किए गए वर्ष 2007-08, 2009-10 के बीएससी और बीकॉम के चार्टो को खंगाला जा रहा है। इसमें सामने आया है कि चार्टो में किसी भी सेक्शन प्रभारी और अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं। ऐसे में चार्ट में अनुक्रमांक जनरेट किसके द्वारा किए गए हैं, इस बारे में भी पता नहीं लगाया जा सकता है। अनुक्रमांक जनरेट करने के आरोपों में घिरे सेक्शन प्रभारी और कर्मचारी के खिलाफ सुबूत एकत्रित किए जा रहे हैं। इसमें उनके द्वारा अभी हाल में खरीदी गई लाखों की प्रोपर्टी के भी दस्तावेज निकाले जा रहे हैं। रजिस्ट्रार बीके पांडे ने बताया कि संदिग्ध डिग्रियों को रोक लिया गया है। चार्टो की जांच होने के बाद ही डिग्रियां जारी की जाएंगी।
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फर्जी चार्ट बनाने की फैक्ट्री की चर्चा
विवि में चर्चा है कि शास्त्रीपुरम क्षेत्र में विवि के कर्मचारियों ने फर्जी चार्ट और मार्कशीट बनाने की फैक्ट्री लगा रखी है। इस बारे में भी जांच की जा रही है।
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 एलएलबी और एलएलएम की तिथि बढ़ाने की मांग
विवि द्वारा एलएलबी और एलएलएम की परीक्षाएं एक अक्टूबर से प्रस्तावित हैं। वहीं, 30 सितंबर तक छात्रों द्वारा परीक्षा फॉर्म भरे जाने हैं। इसके लिए गुरुवार को आगरा कॉलेज में छात्र- छात्राओं की भीड़ लगी रही। सपा छात्रसभा के जिलाध्यक्ष मदन मोहन शर्मा ने बताया कि शुक्रवार सुबह 10 बजे आगरा कॉलेज में छात्र एकत्रित होंगे। विवि प्रशासन से परीक्षा तिथि आगे बढ़ाने की मांग की जाएगी।
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बीएड में प्रवेश को एक और मौका
बीएड सत्र 2013-14 की 34294 सीटें रिक्त रह गई हैं। इसे लेकर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में हुई बैठक में बीएड में प्रवेश के लिए एक और मौका दिया जा रहा है। इसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि आगरा से संबंधित बीएड कॉलेजों में 8025 सीटें रिक्त हैं। इन सीटों पर प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए छात्र शामिल हो सकते हैं। इसके लिए 15 अक्टूबर तक प्रवेश लिया जाएगा।
 


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कोर्ट ने छोड़ा राज्य सरकार पर फैसला

 

इलाहाबाद (ब्यूरो) जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के अध्यापकों की  भर्ती के लिए आयु सीमा 40 वर्ष करने के मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद याचीगणों का आवेदन स्वीकार कर सकता है मगर उस पर अंतिम स्वीकृति राज्य सरकार के निर्णय पर निर्भर करेगी। कोर्ट ने परिषद और राज्य सरकार से इस
मामले में चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। शालिनी गंगवार और दिव्यप्रकाश
मिश्र सहित अन्य तमाम अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने दिया। याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता वेदमणि तिवारी ने कहा कि विज्ञान और गणित विषय
के सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में आयु सीमा में छूट मिल पाने के कारण हजारों अभ्यर्थी आवेदन जमा करने से वंचित रह गए हैं।


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शिक्षामित्रों का इंतजार खत्म, परिणाम घोषित




इलाहाबाद (ब्यूरो) दूरस्थ शिक्षा से बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षामित्रों का महीनों से चल रहा  इंतजार बृहस्पतिवार को खत्म हो गया। सचिव परीक्षा नियामक ने शिक्षामित्रों के परिणामों की घोषणा कर दी। प्रथम चरण के तृतीय सेमेस्टर में 58425 शिक्षामित्रों ने परीक्षा दी थी, जिसमें 56075 उत्तीर्ण हुए हैं जबकि 18 परीक्षा में शामिल नहीं हो सके थे। द्वितीय चरण के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा 91,651 शिक्षामित्रों ने दी। इसमें 85801 ने परीक्षा पास की, 545 फेल हो गए जबकि 5305 का परिणाम अपूर्ण होने के कारण घोषित नहीं किया जा सका। शिक्षामित्र परिणाम शुक्रवार को वेबसाइट पर देख सकेंगे। इसके साथ ही प्रदेश भर के सभी जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों को जिलेवार सूची भेजी जाएगी।


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यूपी में 9 फर्जी यूनिवर्सिटी, रहें सावधान

 सचिन यादवगुरुवार, 26 सितंबर 2013
दिल्लीUpdated @ 5:12 PM IST
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश में स्थित 21 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी कर दी है। यूजीसी की तरफ से जारी की गई इस सूची में 9 राज्यों में चलने वाले फर्जी विश्वविद्यालयों को शामिल किया है।
फर्जी घोषित किए गए 21 विश्वविद्यालयों में से 9 विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।
इसके बाद दिल्ली के पांच, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और बिहार की एक-एक यूनिवर्सिटी शामिल है।
यूजीसी ने साथ ही सभी छात्र-छात्राओं को इस बारे हिदायत दी है कि ऐसे विश्वविद्यालयों और इससे संबंधित सभी संस्थानों में प्रवेश लेने से बचें।
यह भी पढ़ें: इस कॉलेज में पढ़े, तो डिग्री होगी अमान्य
उत्तर प्रदेश में महिला ग्रामपीठ विश्वविद्यालय, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रा कॉम्पलेक्स, नेताजी सुभाषचंद्र बोस ओपन यूनिवर्सिटी, गुरूकुल महिला विश्वविद्यालय मथुरा, इंद्रप्रस् शिक्षा परिषद नोएडा, गांधी हिंदी विद्यापीठ इलाहाबाद समेत अन्य यूनिवर्सिटी को फर्जी घोषित किया गया है।
दिल्ली में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एंड इंजीनियरिंग समेत पांच संस्थानों को फर्जी घोषित किया गया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों की सूची को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।
 


अनशन के समर्थन में पहुंचे अनुग्रह......



टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का अनशन दसवें दिन भी जारी......
इलाहाबाद (ब्यूरो)। परिषदीय विद्यालयों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों के पद पर अविलंब भर्ती शुरू करने की मांग को लेकर 17 सितंबर से अनशन पर बैठे टीईटी पास अभ्यर्थियों का क्रमिक अनशन दसवें दिन भी जारी रहा। बृहस्पतिवार को शहर उत्तरी विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने पहुंचकर अनशनकारियों की मांगों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की लापरवाही के कारण लाखों छात्रों का कैरियर दांव पर लगा है।
उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में जो गड़बड़ी व्याप्त है उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। बार काउंसिल के अध्यक्ष और बेसिक शिक्षा मंत्री से इस संबंध में बातचीत की जाएगी। न्याय प्रक्रिया पर सभी को विश्वास रखना चाहिए। इस मौके पर विभिन्न जनपदों से आए शिवमणि राय, प्रकाशचंद्र यादव, अजय निरंजन, मो. सारिक, समीम अख्तर, अनूप कुमार, दीपेंद्र बहादुर सिंह, राकेश, रणविजय सिंह राणा, शरद द्विवेदी, लालचंद्र यादव, फौजदार यादव, धर्मेंद्र सिंह आदि छात्र रहे।

बिहार-यूपी समेत दस राज्यों को विशेष दर्जा


poor hutदिल्ली: अगले आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक दांव चलते हुए बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत दस राज्यों को विशेष वित्तीय मदद मुहैया कराने का रास्ता साफ कर दिया है। पिछड़े राज्यों की नई परिभाषा तय करने के लिए गठित रघुराम राजन समिति ने इन्हें सबसे पिछड़े राज्यों की श्रेणी में रखने की सिफारिश की है। समिति के इस फैसले से इन राज्यों को केंद्र से भारी-भरकर वित्तीय मदद का रास्ता साफ हो गया है, जो अभी तक सिर्फ विशेष दर्जे वाले प्रदेशों को मिलती थी।
गुरुवार को रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक की है। समिति ने देश के 28 राज्यों का एक सूचकांक तैयार किया है। यह सूचकांक राज्यों की वित्तीय जरूरत और विकास के लिए राज्य सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदमों के संयुक्त पैमाने पर तैयार किया गया है। समिति ने ओड़िशा, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित दस राज्यों को सबसे पिछड़े राज्यों की श्रेणी में रखा है। इन राज्यों अब विशेष दर्जे के तहत मिलने वाली सभी केंद्रीय सुविधाएं व वित्तीय मदद दी जाएंगी। दूसरे शब्दों में कहें तो अब जबकि चुनाव सिर पर है, केंद्र सरकार इन राज्यों के लिए खजाने का बड़ा मुंह खोल सकती है।
  
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि राजन समिति ने विकास के आधार पर देश के 28 राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटने की सिफारिश की है। इसके आधार पर सबसे पिछड़े राज्यों के वर्ग में 10 राज्यों को रखा गया है जबकि कम विकसित राज्यों की श्रेणी में 11 राज्य रखे गये हैं। अपेक्षाकृत तौर पर विकसित राज्यों की श्रेणी में 10 राज्य हैं। इस श्रेणी के मुताबिक देश का सबसे विकसित राज्य गोवा है जबकि सबसे पिछड़ा राज्य उड़ीसा को माना गया है। फिलहाल इस रिपोर्ट पर सभी मंत्रालयों, विभागों, योजना आयोग और राज्यों से विचार विमर्श किया जाएगा।
चुनावी दांव
सनद रहे कि इस वर्ष की शुरुआत में सरकार ने पिछड़े राज्यों की परिभाषा नए सिरे से तय करने का फैसला किया था। तब से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर दबाव बनाए हुए थे। नीतीश कुमार के साथ नजदीकी बढ़ाने के उद्देश्य से ही कांग्रेस ने विशेष दर्जे के राज्यों की नई परिभाषा तय करवाई थी। यही नहीं संप्रग को उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, मध्य प्रदेश में भी इससे फायदा होने की उम्मीद है। यह भी उल्लेखनीय होगा कि सबसे पिछड़े श्रेणी में शामिल सभी 10 राज्यों में लोकसभा की 238 सीटें हैं।

कैसे तय हुई परिभाषा
राजन समिति ने हर राज्य में प्रति व्यक्ति खपत, शिशु मृत्यु दर, महिला साक्षरता, गरीबी स्तर, आबादी में अनुसूचित जाति व जनजाति की हिस्सेदारी, बैंकिंग सेवा व शिक्षा स्तर, राज्य में ढांचागत सुविधाओं की स्थिति सहित कुछ अन्य मुद्दों को आधार बनाकर राज्यवार सूचकांक तैयार किया। समिति ने कहा है कि इस सूचकांक के आधार पर राज्यों को विशेष फंड देने का फार्मूला आसान हो जाएगा और इसको लेकर होने वाले विवादों का भी पटाक्षेप हो जाएगा।
सबसे पिछड़े राज्य
1. ओड़िशा 2. बिहार 3. मध्य प्रदेश 4. छत्तीसगढ़ 5. झारखंड 6. अरुणाचल प्रदेश 7. असम 8. मेघालय 9. उत्तर प्रदेश 10. राजस्थान
कम विकसित राज्य
11. मणिपुर 12. पश्चिम बंगाल 13. नागालैंड 14. आंध्र प्रदेश 15. जम्मू-कश्मीर 16. मिजोरम 17. गुजरात 18. त्रिपुरा 19. कर्नाटक 20. सिक्कम 21. हिमाचल प्रदेश
अपेक्षाकृत विकसित राज्य
22. हरियाणा 23. उत्तराखंड 24. पंजाब 25. महाराष्ट्र 26. तमिलनाडु 27. केरल 28. गोवा
पांच सिफारिशें
1. नए फ्रेमवर्क पर राज्यों को विकास फंड बांटे केंद्र
2. सबसे पिछड़े राज्यों की सूची में प्रदर्शन के आधार पर होता रहे बदलाव
3. सूचकांक और धन आवंटन के तरीके में दस वर्षो में हो बदलाव
4. सबसे पिछड़े राज्यों की स्थिति सुधारने के लिए केंद्र अतिरिक्त धन मुहैया कराए
5. राज्यों को धन आवंटन करने के अन्य फार्मूले भी रहेंगे जारी


टीईटी अब होगी जनवरी 2014 में


* परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने भेजा प्रस्ताव, बीएड वाले होंगे उच्च प्राइमरी के लिए पात्र......
* बीएड की खाली 32,000 सीटों पर सीधे मिलेगा प्रवेश.....
लखनऊ। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अब इस साल न कराकर जनवरी 2014 में कराने की योजना है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। इसमें 10 से लेकर 14 जनवरी के बीच किसी भी दिन दो पालियों में परीक्षा कराने की बात कही गई है। बीटीसी, उर्दू बीटीसी और कोर्ट के आदेश पर प्रशिक्षित विशिष्ट बीटीसी वाले प्राइमरी और बीएड वाले उच्च प्राइमरी स्कूलों की टीईटी के लिए पात्र होंगे। शासन से मंजूरी मिलने के बाद आदेश जारी करते हुए आवेदन लेने की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू करने की योजना है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद कक्षा आठ तक के स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया गया है। इसके आधार पर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने वर्ष 2010 में अधिसूचना जारी करते हुए राज्यों से साल में दो बार टीईटी आयोजित कराने की व्यवस्था की है। उत्तर प्रदेश में अब तक केवल दो बार यानी नवंबर 2011 और जून 2013 में टीईटी आयोजित हुई है। वर्ष 2012 में टीईटी आयोजित नहीं की गई। इस बार साल में दो बार टीईटी कराने की तैयारी थी लेकिन देरी होने की वजह से यह तय किया गया है कि अब इसे जनवरी 2014 में कराया जाए। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने इसके आधार पर प्रस्ताव भेजा है। इसमें टीईटी जनवरी में कराए जाने की बात कही गई है। इस बार भाषा शिक्षकों के लिए अलग से परीक्षा कराने का प्रस्ताव नहीं है। वजह साफ है कि जून 2013 की परीक्षा में मोअल्लिम वालों को भी शामिल होना था, इसलिए भाषा शिक्षक के लिए टीईटी की अलग से व्यवस्था की गई थी।
कानपुर (ब्यूरो)। प्रदेश में खाली चल रही बीएड की 32,000 सीटों पर अब सीधे प्रवेश लिया जा सकेगा। यह फैसला उच्चशिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव नीरज गुप्ता ने सेल्फ फाइनेंस कॉलेज प्रबंधकों की मांग पर लिया है। नए आदेश के मुताबिक जिन कॉलेजों में बीएड की सीटें खाली है वो कॉलेज विज्ञापन जारी कर सीधे आवेदन मंगा सकते हैं। प्रवेश की पूरी प्रक्रिया 15 अक्टूबर तक संपन्न की जानी है। इस प्रक्रिया के तहत प्रदेश में कुल 32,000 सीटें भरी जाएंगी। प्रवेश केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को दिया जाएगा जो बीएड की प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। सेल्फ फाइनेंस कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विनय त्रिवेदी और महामंत्री डॉ. बृजेश भदौरिया ने बताया कि इस सिलसिले में काफी दिनों से बातचीत चल रही थी जिसे गुरुवार को मान लिया गया है।

40 वर्ष आयु तक आवेदन स्वीकार करने का निर्देश


teacher-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के तहत 40 वर्ष तक की आयु के याची अभ्यर्थियों का आवेदन स्वीकार करने का सशर्त निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि यह आदेश सरकार के निर्णय पर निर्भर करेगा। कोर्ट ने राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
  यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने दिव्य प्रकाश मिश्र, अरविंद कुमार शुक्ला, वाइएन पांडेय व 23 अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में 35 वर्ष की आयु के नियम छह की वैधता को चुनौती देते हुए अन्य सेवाओं की भांति आयु 40 वर्ष करने की मांग की गई है। अदालत में बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता बीपी सिंह ने बताया कि परिषद की ओर से आयु सीमा 40 वर्ष किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार को भेजी है और राज्य सरकार से इसका अनुमोदन मांगा है। याचिका में राज्य सरकार द्वारा 11 जुलाई 2013 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है जिसमें आयु अर्हता का उदाहरण दिया गया है। याचियों का कहना है कि वे सहायक अध्यापक पद हेतु निर्धारित योग्यता रखते हैं। प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए आयुसीमा चालीस वर्ष तक है। इसके आधार पर जूनियर हाईस्कूलों में भी अधिकतम आयुसीमा 40 साल की जानी चाहिए। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान तथा गणित शिक्षकों के 29334 पदों हेतु विज्ञापन निकाला है। इसके आवेदन की अंतिम तारीख 30 सितंबर है।