Thursday, December 12, 2013

नहीं जारी हुआ टीईटी का विज्ञापन




  • अभ्यर्थी परेशान
  • 22 व 23 फरवरी को आयोजित होनी है परीक्षा

लखनऊ (डीएनएन)। अगले साल 22 व 23 फरवरी को प्रस्तावित उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी)-201 3-14 के विज्ञापन जारी करने की प्रक्रिया अधर में लटक गई है। निर्धारित तिथि 10 दिसंबर बीत जाने के बावजूद विज्ञापन जारी न होने से अभ्यर्थी परेशान हैं। उधर, 16 दिसंबर से पहले विज्ञापन जारी होने की उम्मीद नहीं लग रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि विज्ञापन के बाद ऑनलाइन आवेदन के लिए एनआईसी की तैयारियां पूरी नहीं है और उसने हाथ खड़े कर दिए हैं। दरअसल, अगले साल होने वाली टीईटी का विज्ञापन 10 फरवरी को जारी होना था। उसके बाद उसी दिन से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू होने थे। इसकी अंतिम तिथि भी 1 जनवरी 2014 तय की गई है। लेकिन दो दिन बीत जाने के बावजूद अभी तक विज्ञापन नहीं जारी किया जा सका। सूत्रों के अनुसार ऑनलाइन आवेदन के लिए एनआईसी की तैयारी पूरी नहीं है। काम अधिक होने की वजह से एनआईसी ने हाथ खड़े कर दिए है। माना जा रहा है कि 16 दिसंबर के बाद ही विज्ञापन जारी हो सकेगा। इस मामले में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) निदेशक सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह का कहना है कि विज्ञापन कब जारी होगा, इसकी जानकारी नहीं है।
 


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टीईटी मामले में एक और कैविएट



 जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने भले ही टीईटी मेरिट के आधार पर प्राथमिक शिक्षकों का नियुक्तियां करने का फैसला किया है लेकिन शैक्षिक गुणांक के आधार पर नियुक्ति के लिए संघर्ष करने वालों ने हार नहीं मानी है। सरकार की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर करने से पहले ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से कैविएट दाखिल कर दी है। टीईटी समर्थकों ने कैविएट पहले से ही दाखिल कर दी है। यह कैविएट शैक्षणिक मेरिट उत्थान समिति की ओर से कपिल देव लाल बहादुर की ओर से दाखिल की गई। शैक्षणिक मेरिट के आधार पर नियुक्ति के लिए आंदोलन कर रहे सुशील यादव और अशोक दुबे के अनुसार डबल बेंच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी भी की जा रही है। उनके अनुसार यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि पंद्रहवां संशोधन खारिज कर दिए जाने के बाद सभी शिक्षक नियुक्तियां फंस जाएंगी। हजारों आवेदकों के सर्टीफिकेट डायट में जमा हैं। उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
 


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टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी क्रमिक अनशन पर बैठे



लखनऊ (ब्यूरो) टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर बुधवार को लक्ष्मण मेला मैदान में क्रमिक अनशन शुरू कर दिया। अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की तो वे आमरण अनशन करेंगे।
परिषदीय विद्यालयों में 72825 सहायक अध्यापकों की अविलंब नियुक्ति की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने जमकर नारेबाजी की। टीईटी संघर्ष मोर्चा के अवनीश यादव ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार यदि सुप्रीम कोर्ट जाना चाहती है तो स्पष्ट करे। टीईटी अभ्यर्थी अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ने के लिए तैयार हैं। पहले दिन अवनीश यादव के नेतृत्व में परवेज आलम, सुरेंद्र यादव, मृगेंद्र के अलावा एक दर्जन प्रदर्शनकारी क्रमिक अनशन पर बैठे।
 


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यूपी में 72,825 शिक्षकों की भर्ती संभावना को लगा ग्रहण?



उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा से लेकर प्राथमिक शिक्षा में शिक्षकों के चयन की संभावना को ग्रहण लग रहा है। भर्ती आयोगों की लचर कार्य प्रणाली एवं चयन से जुड़े पदाधिकारियों के पद खाली होने से चयन प्रक्रिया शुरू होने की कोई संभावना नहीं है।
प्राथमिक शिक्षा विभाग में चयन को लेकर सरकार की उदासीनता एवं कोर्ट के गतिरोध के कारण चयन की कोई संभावना नहीं दिखाई पड़ रही। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 2011 के बाद से चयन प्रक्रिया पूरी तरह ठप पड़ी है।
चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. देवकी नंदन शर्मा के असामयिक निधन से टीजीटी-पीजीटी के चयन की संभावना नहीं है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में जुलाई 2012 में अध्यक्ष डॉ.उदयराज गौतम के निधन और लगातार सदस्यों के कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद उच्च शिक्षा में भी शिक्षकों का चयन ठप पड़ा है।
सरकारी उदासीनता से प्राथमिक शिक्षा चौपट
परिषदीय विद्यालयों में खाली 72825 अध्यापकों के पदों को भरने के लिए सरकार ने 2011 में विज्ञापन जारी किया था। इन पदों को भरने के लिए टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती की घोषणा की गई थी। टीईटी की मेरिट से भर्ती करने के विरोध एवं शैक्षिक मेरिट से भर्ती की मांग को लेकर अभी तक भर्ती प्रक्रिया पर गतिरोध बना हुआ है। सरकार की ओर से इस बारे में उदासीनता बरतने से प्राथमिक शिक्षा चौपट हो रही है।
चयन बोर्ड फिर बेसहारा
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का काम काज पिछले दो वर्र्षों से ठप पड़ा है। पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरपी वर्मा पर घोटाले के आरोपों की जांच शुरू होने और उसके बाद उनकेपद से हट जाने के बाद से चयन बोर्ड का काम ठप पड़ा है।
बीती फरवरी में प्रदेश सरकार की ओर से चयन बोर्ड में डॉ. देवकीनंदन शर्मा को अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अभी हाल में चयन बोर्ड के अध्यक्ष की असामयिक मौत के बाद चयन बोर्ड में चयन प्रक्रिया फिर से ठप पड़ गई है। 2011 में विज्ञापित टीजीटी-पीजीटी के पदों पर परीक्षा कराने एवं प्रधानाचार्य के पदों पर निकट भविष्य में चयन की संभावना नहीं है। चयन बोर्ड में पहले से ही 10 में से छह सदस्यों के पद खाली होने चयन की संभावना नहीं बन रही।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अस्तित्व पर संकट
उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष के निधन के डेढ़ वर्ष बाद भी किसी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने और सभी सदस्यों केएक-एक कर कार्यकाल खत्म होने के बाद इस समय उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्यों के सभी पद खाली हैं।
ऐसे में निकट भविष्य में चयन की संभावना नहीं है। जुलाई 2012 में अध्यक्ष के निधन एवं एक-एक कर कई सदस्यों के पद खाली होने से इस समय आयोग का अस्तित्व खत्म हो गया है। यहां हर महीने लाखों रूपये वेतन एवं कार्यालय के रखरखाव पर खर्च करने केबाद भी कोई चयन नहीं हो रहा है। यहां 2008 के बाद से कोई चयन नहीं हो सका है



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