Wednesday, November 27, 2013

लल्लन मिश्रा को उ.प्र. प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पद से तत्काल बर्खास्त करें–हाइकोर्ट

 lallan mishra adhyaksh prathmik shikshk sanghलखनऊ। लल्लन मिश्रा को हत्या और साइकल चोरी के आरोप में अदालत से सजा हो चुकी थी। नियमानुसार सजायाफ्ता व्यक्ति न तो सरकारी सेवा में रह सकता है और न ही सोसायटी रजिस्ट्रेशन के तहत पंजीकृत और सरकार से मान्यता प्राप्त किसी भी संस्था और संघ का पदाधिकारी बन सकता है। लेकिन लल्लन मिश्रा ने अपनी सजा का तथ्य छुपाकर न केवल नौकरी पा ली थी बल्कि वो उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी बन गये। उनके गृह जनपद रायबरेली के कुछ शिक्षकों ने जब इसकी शिकायत संघ की प्रदेश कार्यसमिति और अधिकारियों से की तो जांचोपरान्त लल्लन मिश्रा को संघ की प्रांतीय कार्यसमिति ने बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित कर संघ की संवैधानिक व्यबस्था के तहत अध्यक्ष पद से निलम्बित कर दिया था। प्रकरण मा.उच्चन्यायालय में पहुँच गया था जिसकी आज सुनवाई थी। जिसमें उच्च न्यायलय ने भी उन्हें तत्काल पद से हटाने के निर्देश रजिस्ट्रार ,फर्म्स सोसायटीज एवं चिट्स लखनऊ को दिए हैं।  
ज्ञात हो कि फर्रुखाबाद में विजय बहादुर यादव भी लल्लन ग्रुप के सदस्य माने जाते है और प्राथमिक शिक्षक संघ के विवादित स्यंभू जिलाअध्यक्ष बने रहते है|


आरुषि के कातिल मम्‍मी-पापा नूपुर और राजेश तलवार को धारा- 302 के तहत उम्रकैद

nupur talwarगाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत के जज श्‍याम लाल ने मंगलवार को आरुषि-हेमराज हत्‍याकांड के दोषी राजेश और नूपुर तलवार को आईपीसी की धारा- 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा धारा 201 एक तहत दोनों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है. वहीं, राजेश तलवार को धारा 203 के तहत अतिरिक्‍त एक साल की सजा भी दी गई है.
इससे पहले अदालत ने सोमवार को नूपुर और राजेश तलवार को बेटी आरुषि और हेमराज के कत्‍ल के लिए दोषी ठहराया था. पढ़ें: इस मर्डर मिस्‍ट्री में कब क्‍या हुआ…
सजा के ऐलान से पहले दोपहर 2:10 पर सजा पर बहस की गई. इस दौरान सीबीआई के वकील आरके सैनी ने कहा कि यह मामला रेयरस्‍ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में आता है, क्योंकि मई 2008 में आरुषि और नौकर हेमराज तलवार दंपति के नोएडा स्थित घर में मृत पाए गए थे और उनके गले रेते हुए थे, इसलिए राजेश और नूपुर तलवार को सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए.
  
वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने यह कहते हुए तलवार दंपति के लिए रहम की अपील की कि उनके मुवक्किलों का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. उन्‍होंने कहा कि केस की सुनवाई के दौरान जो भी बातें कहीं गईं हैं वो सिर्फ कहानी भी हो सकती है क्‍योंकि इस केस में कोई गवाह नहीं है. वारदात की रात जो कुछ भी वह क्षणिक आवेश का नतीजा था इसलिए इस केस को रेयरस्‍ट ऑफ द रेयर नहीं माना जा सकता.

नूपुर की तबीयत बिगड़ी

वहीं, डासना जेल में नूपुर तलवार की मंगलवार सुबह तबीयत खराब हो गई. उनका ब्‍लड प्रेशर अचानक बढ़ गया और उन्‍हें एसीडिटी हो गई. डॉक्‍टरों ने कोर्ट भेजने से पहले उनकी जांच की और उन्‍हें दवा दी.
दरअसल, सोमवार रात नूपुर ने जेल में खाना नहीं खाया था, जिसके बाद जेल सुप्रीटेंडेंट ने उन्‍हें खाना खाने के लिए कहा और कहा कि अगर उन्‍होंने बात नहीं मानी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद नूपुर ने खाना तो खाया, लेकिन वह रातभर सोई नहीं और बीच-बीच में उठती रहीं. डॉक्‍टर का कहना है कि यही वजह है कि उनका बीपी बढ़ने के साथ ही उन्‍हें एसीडिटी की परेशानी भी हो गई.

अदालत ने लगाई ये धाराएं

अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 302 (हत्‍या ) के तहत दोषी ठहराया है. इसके अलावा राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 (गलत एफआईआर दर्ज कराने के दोषी), 201 (सबूत मिटाना)और 34 (कॉमन इंटेंशन) के तहत दोषी माना है. वहीं, नूपुर को 302 के अलावा धारा 201 और 34 के तहत दोषी ठहराया है.
हमने आरुषि को नहीं मारा: तलवार दंपति
फैसले के बाद राजेश और नूपुर तलवार की ओर से मीडिया में एक बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि वे फैसले से नाखुश हैं. बयान के मुताबिक, ‘हम फैसले से बहुत दुखी हैं. हमें एक ऐसे जुर्म के लिए जिम्‍मेदार ठहराया गया है, जो हमने किया ही नहीं. लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और न्‍याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.’

‘सीबीआई की गरिमा बचाने की कोशिश’

तलवार दंपति की एक रिश्‍तेदार ने फैसले के बाद कहा, ‘ट्रायल की जरूरत ही क्‍या थी. लोगों को पहले से पता था क्‍या होने वाला है. सीबीआई की गरिमा को बचाने के लिए सच को झूठ की परतों में दबा दिया गया.’ उधर, बचाव पक्ष के वकील ने इस फैसले को गलत माना है. उन्‍होंने कहा कि ये गैरकानूनी है. तलवार दंपति की वकील रेबेका जॉन ने कहा है कि वे फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
आरुषि हत्‍याकांड अब तक
16 मई 2008 को आरुषि की हत्‍या के बाद उसके पिता राजेश तलवार 23 मई 2008 को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस हाईप्रोफाइल केस ने पुलिस को छका कर रख दिया. पुलिस बार-बार बयान बदलती रही और केस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहा था, जिसके बाद 31 मई 2008 को केस सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया. जून में राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया गया. 10 दिन बाद तलवार के दोस्त के नौकर राजकुमार और विजय मंडल को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया था.
सीबीआई जांच कर रही थी, लेकिन दिसबंर 2010 में आखिरकार सीबीआई थक गई और क्लोजर रिपोर्ट यह कहते हुए दाखिल की गई कि उसे राजेश तलवार पर ही शक है, लेकिन उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उसके बाद तलवार दंपति इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट चले गए. कोर्ट ने भी रिपोर्ट को रिजेक्ट कर दिया और एक नाटकीय घटनाक्रम में तलवार दंपति को फिर से समन जारी कर दिया और सीबीआई को दोबारा मामला चलाने का आदेश दिया गया.
फरवरी 2011 में गाजियाबाद की स्पेशल कोर्ट ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार पर ट्रायल शुरू करने के आदेश दिए सीबीआई कोर्ट ने अदालत में मौजूद ना रहने पर तलवार दंपति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया. अप्रैल 2011 में नुपुर तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया.
आखिरकार मई 2011 में कोर्ट ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार पर हत्याकांड को अंजाम देने और सबूत मिटाने का आरोप तय कर दिया. सितबंर 2011 में नूपुर तलवार को जमानत मिल गई. अप्रैल 2013 में सीबीआई के अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि आरुषि और हेमराज की हत्या तलवार दंपति ने ही की है. सीबीआई ने कोर्ट को ये भी बताया कि आरुषि और हेमराज आपत्तिजनक अवस्था में मिले थे.
बचाव पक्ष के वकील ने 3 मई को स्पेशल कोर्ट के सामने अपील की कि व‍ह 14 हवाहों को कोर्ट में बुलाए. सीबीआई ने इस अपील का विरोध किया. 6 मई 2013 को तलवार की इस अर्जी को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया. साथ में राजेश और नूपुर के बयानों को रिकॉर्ड करने के भी आदेश दिए. 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को कड़ी फटकार लगाते हुए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया. कुल मिलाकर तारीख बढ़ती गई और आखिरकार लंबे इंतजार के बाद आरुषि और हेमराज को न्‍याया मिल ही गया.
एक नजर इस मर्डर मिस्‍ट्री पर कि कब क्‍या हुआ-
16 मई, 2008: आरुषि तलवार को नोएडा स्थित अपने घर में मृत पाया गया, उसके गले की नस कटी हुई थी. नेपाली घरेलू नौकर हेमराज पर हत्या का शक.
17 मई 2008: हत्‍या के अगले ही दिन नौकर हेमराज का शव तलवार के घर की छत पर मिला.
18 मई 2008: पुलिस ने कहा कि हत्या का तरीका किसी दक्ष सर्जरी करने वाले द्वारा किया गया जान पड़ता है.
23 मई 2008: आरुषि के पिता दंत चिकित्‍सक राजेश तलवार दोहरी हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए.
31 मई 2008: तत्‍कालीन मायावती सरकार ने मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा.
13 जून 2008: पुलिस ने राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया. 10 दिनों बाद तलवार दंपत्ति के चिकित्सक मित्र का नौकर और तलवार के पड़ोसी का नौकर विजय मंडल भी गिरफ्तार किया गया.
12 जुलाई 2008: सीबीआई द्वारा सबूत जुटा पाने में असफल रहने पर डॉ. राजेश को जमानत दी गई.
5 जून 2010: सीबीआई ने तलवार दंपत्ति पर नार्को जांच के लिए अदालत में याचिका दाखिल की.
29 दिसंबर 2010: सीबीआई ने मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की और कहा कि मुख्य संदिग्ध आरुषि के पिता राजेश तलवार हैं, लेकिन उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं.
25 जनवरी 2011: राजेश तलवार पर गाजियाबाद अदालत परिसर में एक युवक द्वारा हमला किया गया.
9 फरवरी 2011: गाजियाबाद की विशेष अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और कहा कि आरुषि-हेमराज हत्या मामले में राजेश और नुपुर तलवार पर मामला चलाया जाए. दंपत्ति पर हत्‍या के बाद सबूत मिटाने का भी आरोप है. गाजियाबाद की एक सीबीआई अदालत ने दंपत्ति के खिलाफ अदालत में उपस्थित नहीं होने के लिए जमानती वारंट जारी किया.
14 मार्च 2012: सीबीआई ने अदालत में राजेश तलवार की जमानत याचिका खारिज करने की अपील की.
30 अप्रैल 2012: आरुषि की मां नूपुर तलवार को गिरफ्तार किया गया.
3 मई 2012: सत्र अदालत ने नूपुर तलवार की जमानत याचिका खारिज की.
25 मई 2012: तलवार दंपत्ति पर गाजियाबाद अदालत ने हत्या, सबूत मिटाने और षडयंत्र रचने का आरोप लगाया.
25 सितंबर 2012: नूपुर तलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत दी गई.
अप्रैल 2013: सीबीआई अधिकारी ने अदालत से कहा कि आरुषि और हेमराज की हत्या राजेश तलवार ने की. सीबीआई ने कहा कि हत्‍या के वक्‍त आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया था.
3 मई 2013: बचाव पक्ष के वकील ने एक विशेष अदालत में पूर्व सीबीआई संयुक्त निदेशक अरुण कुमार (गवाह के रूप में) सहित 14 लोगों को समन भेजने के लिए याचिका दाखिल की. सीबीआई ने याचिका का विरोध किया.
6 मई 2013: निचली अदालत ने 14 लोगों को समन भेजने की तलवार की याचिका खारिज की. उसने राजेश और नूपुर तलवार के रिकॉर्डेड बयान लेने के आदेश दिए.
18 अक्टूबर 2013: सीबीआई ने जिरह बंद की और कहा कि तलवार दंपत्ति ने जांच को गुमराह किया है.
12 नवंबर 2013: अदालत ने अपना फैसला 25 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया.
25 नवंबर 2013: सीबीआई की अदालत ने राजेश और नूपुर तलवार को हत्‍या का दोषी करार दिया.
रिश्‍तों के कत्‍ल की कहानी
संभव नहीं है कि आरुषि का दिल मां की धड़कन के साथ ना धड़कता हो. अंसभव है कि नूपुर तलवार की धड़कन बेटी के साथ ना जुड़ी हो. 14 बरस जिन हाथों ने गीली मिट्टी की तरह अपनी बच्ची को गूथा हो, उसे जिंदगी जीने की एक शक्ल दी, उसी की हत्या. अदालत का फैसला तो ऐलान होने के साथ ही संबंधों के दायरे में रुक सा गया.
मम्मी-पापा ने हत्या की. आरुषि की हत्या के बाद मम्मी-पापा को लेकर साढे पांच बरस लगातार जिस जख्म को समूचा समाज कुरेदता रहा साढे पांच बरस बाद अदालत ने उसी जख्म को बीमारी करार दिया. तो मम्मी-पापा के लिए सजा शुरू हुई या फिर सजा खत्म हुई. सजा का ऐलान मंगलवार को होगा, लेकिन इससे बड़ी सजा हो क्या सकती है, जो फैसला अदालत ने दिया. इसलिए अब बदलते समाज के आईने में रिश्‍तों को नए सिरे से खोजना जरूरी है.
जिस समाज, जिस परिवेश और जिस जीवन को आरुषि के मम्मी-पापा जी रही थे वह मध्यम वर्ग की चकाचौंध की चाहत और खुले जीवन की आकांक्षा समेटे हुए है. महानगरों के लिए खुलापन जिंदगी जीने का आक्सीजन बन चुका है और यहीं से शुरू होता है कच्ची-मीठी सरीखा आरुषि का जीवन और उसे उसी समाज, उसी परिवेश के अनुकुल बनाने में लगे मम्मी-पापा.
तो क्या मम्मी-पापा परंपरा और आधुनिकता के बीच जा फंसे जहां खुलापन और चकाचौंध अपनी हद में सुकून देता है, लेकिन बेटी को कटघरे में खड़ा जानता है और खुद किसी भी हद तक जाने को तैयार. असल मुश्किल यही है और शायद बीते साढे पांच बरस तक पुलिस, सीबीआई से लेकर समाज के सामने जिरह करते मम्मी-पापा का दर्द भी यही है और सुकुन भी यही कि बेटी के हत्यारे मम्मी-पापा हैं.
यह ऐसा फैसला है, जिसने देश की सबसे बडी मर्डर मिस्ट्री को बदलते भारत की उस नई शक्ल जो जोड़ दिया है, जो अभी तक रिश्‍तों की डोर थाम कर जिंदगी जीने का मुखौटा पहने रहता था. कभी ऑनर किलिंग कहकर सीना तानने से नहीं कतराता तो कभी आवारा पूंजी को ही जिंदगी का सच मान चकाचौंध की उड़ान भरने से नही घबराता. तो इस नए भारत में आपका स्वागत है|
 

40 हजार संविदा कर्मियों की होगी भर्ती

akhileshलखनऊ: मुलायम के अधूरे सपने को पूरा करते हुए यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने सूबे में बंपर भर्तियों का एलान किया है। वाल्मीकि समाज की ओर से आयोजित की गई सफाई कर्मचारियों की रैली को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने यह घोषणा की। अखिलेश ने कहा कि जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने एक लाख सफाई कर्मचारियों की भर्ती करने का ऐलान किया था, लेकिन उसमें से 65 हजार भर्तियां ही हो सकी थीं।
  
अब सरकार ने उस वादे को पूरा करने ‌के लिए नगरीय निकायों में संविदा पर 35 हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती करने का फैसला लिया है।

मंच पर आजम ने की मांडवाली

अखिलेश ने यह ऐलान किया ही था कि सपा के कद्दावर नेता आजम खां बीच में ही लपककर बोल पड़े, ‘अरे, कुछ तो बढ़ा दीजिए।’ इस पर अखिलेश ने कहा कि ठीक है 40 हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। यह देखकर हजारों की तादाद में मौजूद सफाई कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
इसके अलावा, अखिलेश ने कुछ अन्य अहम घोषणाएं भी कीं। उन्होंने कहा कि देहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूरों को अब 150 रुपये की जगह 250 रुपये भुगतान किया जाएगा।

पक्की नौकरी पर भी विचार

अखिलेश ने सौगातों का पिटारा खोला, तो उसमें से एक के बाद एक खुशखबरी निकली। अखिलेश ने प्रदेश के लाखों संविदाकर्मियों को बताया कि जल्द ही उन्हें पक्की नौकरी देने के‌ लिए एक हाई पॉवर कमेटी का भी गठन किया जाएगा। यह कमेटी विचार करगी कि किन्हें संविदा से हटाकर पक्की नौकरी दी जा सकती है।

सरकार देगी पांच लाख रुपये

इतना ही नहीं, सफाई कर्मचारियों के घरों में होने वाली शादियों के लिए अनुदान देने को भी एक कमेटी बनाने की बात अखिलेश ने की। उन्होंने बताया कि सीवर सफाई कर्मचारियों के लिए भी जरूरी उपकरणों की व्यवस्‍था सरकार करवाएगी। इसके अलावा, मृतकों के परिवार को पांच लाख रुपये भी दिए जाएंगे।

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जल्द शुरू होगी टीईटी 2011 की भर्ती : सीएम

इलाहाबाद (एसएनबी)। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 के सफल अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी, इसके लिए तैयारियां पहले से ही चल रहीं हैं। मंगलवार को यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि टीईटी-2011 के मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का सरकार का कोई इरादा नहीं। मुख्यमंत्री इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विनीत सरन के यहां आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने आये थे। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है। सरकार इस (टीईटी- 2011) मामले में पहले से ही संवेदनशील थी, लेकिन मामला हाईकोर्ट में जाने से चयन प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी। उल्लेखनीय है कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के 72825 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए वर्ष 2011 में परीक्षा (टीईटी) करायी गयी थी। परीक्षा में करीब दो लाख अभ्यर्थी सफल हुए। इसी दौरान टीईटी की मेरिट से नियुक्ति की मांग को लेकर मामला हाईकोर्ट में चला गया। हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते दिये अपने फैसले में टीईटी की मेरिट से नियुक्ति का आदेश दिया है। इस प्रकरण पर प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक कोई बयान न आने से टीईटी-2011 के अभ्यर्थी परेशान थे। उनमें (अभ्यर्थी) आशंका थी कि प्रदेश सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। मुख्यमंत्री की घोषणा से भर्ती की बांट जोह रहे अभ्यथिर्यो ने राहत की सांस ली है। सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करेगी सरकार

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टीईटी अभ्यर्थियों को जल्द नौकरी : सुप्रीम कोर्ट नहीं जायेगी सरकार

इलाहाबाद (डीएनएन)। एक निजी कार्यक्रम से जनपद पहुंचे सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए शुभ संकेत दिया है। चंद मिनट के लिए मीडिया कर्मियों से मुखातिब अखिलेश यादव ने सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया व गन्ना किसानों को लेकर सकारात्मक जवाब दिए। टीईटी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोगों को जल्द से जल्द नौकरी दिलाना सरकार की प्राथमिकता है। इस दिशा में सरकार सार्थक प्रयास कर रही है। उनके इस जवाब को टीईटी अभ्यर्थियों के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।

खबर साभार : डेली न्यूज एक्टिविस्ट
खबर साभार : दैनिक जागरण 


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Tuesday, November 26, 2013

62 फीसदी ने छोड़ी रेलवे परीक्षा


लखनऊ। रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ (आरआरसी) की तीन जोन में हुई ग्रुप डी परीक्षा में रविवार को 38 फीसदी अभ्यर्थियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। 62 फीसदी अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए। वहीं, परीक्षा के दौरान गड़बड़ियों को लेकर आरपीएफ की टीमें परीक्षा केंद्रों पर नजरें बनाए रहीं।
ग्रुप डी परीक्षा के लिए रेलवे ने रविवार को दोनों पालियों में दो लाख 15 हजार 878 परीक्षार्थियों को बुलावा भेजा था। इसमें 83 हजार 80 परीक्षार्थियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। इलाहाबाद में एक लाख 12 हजार 69 अभ्यर्थियों में से 45 हजार 661 ही शामिल हुए। इसी तरह कानपुर में 52 हजार 307 परीक्षार्थियों में 21 हजार 853 पहुंचे। आगरा में 51 हजार 502 परीक्षार्थियों में 15 हजार 539 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। परीक्षा के दौरान केंद्रों के आस-पास आरपीएफ और रेलवे अधिकारी सतर्क रहे। परीक्षा केंद्रों के आस-पास मौजूद फोटो कापी सेंटर सुबह से बंद करा दिए गए थे।

लोअर सबार्डिनेट का रिजल्ट जल्द, आयोग ने दिया आश्वासन



लखनऊ (उप ब्यूरो)। लोअर सबार्डिनेट 2008 और 2009 का रिजल्ट जल्द ही घोषित कर दिया जाएगा। इस आशय का आश्वासन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दिया है। आयोग ने कहा है कि 2008 की परीक्षा का परिणाम तैयार है। उच्च न्यायालय में लंबित वाद में आदेश होते ही परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि लोअर सबार्डिनेट 2008-09 में 2500 पद हैं। इसका रिजल्ट काफी समय से रुका हुआ है। इसको लेकर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के सचिव सुधीर सिंह व अन्य चार सदस्यों ने याचिका भी दायर की थी जिसे अदालत ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि जब विज्ञप्ति ही चैलेंज हैं तो इस याचिका का क्या अर्थ है। बाद में समिति के अधिवक्ता संतोष कुमार श्रीवास्तव ने स्पेशल अपील की थी जिस पर अदालत ने अतिशीघ्र रिजल्ट देने का निर्देश दिया था। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की एक बैठक में इस बात पर संतोष जताया गया कि लंबित रिजल्ट जल्द ही घोषित किया जा सकता है। बैठक में यह भी फैसला किया गया कि समिति सिपाही भर्ती में चल रही सुनवाई में भी पक्षकार बनेगी। इसमें आरक्षण के मसले पर समिति की ओर से पक्ष रखा जाएगा।

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जवाब न देने पर सरकार पर फिर हर्जाना

लखनऊ (उप ब्यूरो)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक और मामले में जवाब न दाखिल करने पर सरकार पर हर्जाना लगाया है। पिछले एक हफ्ते में यह चौथा अवसर है जबकि सरकार पर हर्जाना लगाया गया। कोर्ट ने इसके लिए जिम्मेदार अफसरों को तलब भी किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने दरोगा भर्ती को लेकर दाखिल अरविंद कुमार की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकांश केसों में नोटिस जारी होने के बावजूद सरकार की ओर से जवाबी हलफनामे नहीं दाखिल किए जा रहे हैं जिससे मुकदमों का त्वरित निस्तारण नहीं हो पाया और लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोर्ट ने सरकार पर पांच हजार रुपये हर्जाना लगाते हुए प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक और पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष को 9 दिसंबर को तलब किया है। यह भी कहा है कि छह दिसंबर तक हर्जाना अदा कर हलफनामा दाखिल कर देने पर अधिकारियों को अदालत में हाजिर होने की जरूरत नहीं है।


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