Friday, November 1, 2013

जू. हाईस्कूलों में गणित-विज्ञान के 29334 शिक्षकों की काउंसलिंग 10 नवंबर के बाद



इलाहाबाद। जूनियर हाईस्कूल के गणित और विज्ञान के 29334 शिक्षकों की भर्ती के लिए काउसिंलिंग 10 नवंबर के बाद से शुरू होगी। यह काउसिंलिंग प्रदेश के सभी डायट पर होगी। इसकी तैयारियां शुरू हो गयी हैं। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश इलाहाबाद संजय सिन्हा ने बताया कि अभ्यर्थियों की कट आफ मेरिट एक-दो दिनों में जारी हो जाएगी। 10 नवंबर के बाद प्रदेश के सभी डायट पर इनके चयन के लिए काउसिंलिंग शुरू होगी। काउसिंलिंग में अभ्यर्थियों को अपने सभी शैक्षिक प्रमाणपत्र, जरूरी प्रमाणपत्र, पासपोर्ट साइज रंगीन फोटो व अन्य कागजात लाना होगा। उन्होंने बताया कि गणित और विज्ञान के 29334 पदों के लिए 19 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। अभ्यर्थियों की जिलेवार सूची तैयार हो रही है जिससे कि कट आफ मेरिट शीघ्र जारी की जा सके। सचिव ने बताया कि संभावना है कि दो माह के अंदर शिक्षकों का चयन पूरा कर लिया जाएगा।

 


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संशोधित अध्यापक शिक्षा सेवा नियमावली का प्रकाशन शीघ्र




इलाहाबाद। बेसिक शिक्षा परिषद की संशोधित अध्यापक शिक्षा सेवा नियमावली संग्रह का नवंबर के अन्तिम हफ्ते तक प्रकाशन होने जा रहा है। इसमें करीब 600 पन्ने होंगे। बेसिक शिक्षा से संबंधित सभी नियम और जानकारियां इस नियमावली में होंगी। इससे शिक्षक, शिक्षक अधिकारी सहित अन्य लोग लाभ उठा सकेंगे। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने बताया है कि नये नियमावली का प्रकाशन अन्तिम दौर में चल रहा है। इसके प्रकाशन होने से शिक्षक और अधिकारियों को सुविधा होगी। इसके लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने 10 लाख रुपये का बजट रखा है। उल्लेखनीय है कि बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा जब वर्ष 2003 से 04 तक सचिव थे तब पहली बार अध्यापक शिक्षा सेवा नियमावली तैयार हुई थी। अब करीब 10 वर्ष बाद फिर से संशोधित नियमावली तैयार हो रही है।
 


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परिषदीय अध्यापक भी मूकबधिर बच्चों को देंगे शिक्षा

 
अब सभी परिषदीय विद्यालयों में नेत्रहीन, मूकबधिर व दिमागी रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा दी जाएगी। अभी तक विशेष शिक्षक इन बच्चों को शिक्षा देते थे, लेकिन अब परिषदीय विद्यालयों के सभी शिक्षक शिक्षिकाएं बच्चों को उनकी विकलांगता के अनुसार शिक्षा देंगी। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशालय से जारी फरमान पर जिले में मास्टर टेनर बनाए जाएंगे जोकि विकास खंडों पर प्रशिक्षण देंगे।

विकलांग बच्चों को समेकित शिक्षा के अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था की जाती है। वैसे अस्थि विकलांग बच्चों की शिक्षा में कोई परेशानी नहीं होती। नेत्रहीन, मूकबधिर व दिमागी कमजोर बच्चों की शिक्षा का विशेष इंतजाम होता है और उसी के लिए आवासीय कैंप संचालित होते हैं, साथ ही विकास खंडों में विशेष शिक्षक शिक्षिकाओं की तैनाती है। यही विशेष शिक्षक शिक्षिकाएं चिन्हित विद्यालयों के बच्चों को शिक्षा देते हैं। लेकिन अब एक नई व्यवस्था शुरू की गई है और विशेष शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ सभी विद्यालयों को शिक्षक शिक्षिकाओं को ऐसे बच्चों की शिक्षा व्यवस्था का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सर्व शिक्षा अभियान की राज्य परियोजना निदेशक अमृता सोनी ने इस संबंध में फरमान जारी किया है। जिसमें सभी विकास खंडों से पांच पांच शिक्षक शिक्षिकाओं को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में विशेष शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसमें 25 को नेत्रहीन, 25 को मूकबधिर व 10 शिक्षक शिक्षिकाओं को दिमागी कमजोर बच्चों को शिक्षा देने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।1

यह मास्टर प्रशिक्षक व समेकित शिक्षा के शिक्षक बीआरसी पर सभी परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण देंगे। जिला समन्वयक समेकित शिक्षा आशा वर्मा ने बताया कि परियोजना निदेशक के आदेश पर प्रशिक्षण की सूची तैयार की जा रही है। 15 दिसंबर तक कार्यक्रम पूरा करना है।
 

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परिषदीय अध्यापक भी मूकबधिर बच्चों को देंगे शिक्षा




अब सभी परिषदीय विद्यालयों में नेत्रहीन, मूकबधिर व दिमागी रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा दी जाएगी। अभी तक विशेष शिक्षक इन बच्चों को शिक्षा देते थे, लेकिन अब परिषदीय विद्यालयों के सभी शिक्षक शिक्षिकाएं बच्चों को उनकी विकलांगता के अनुसार शिक्षा देंगी। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशालय से जारी फरमान पर जिले में मास्टर टेनर बनाए जाएंगे जोकि विकास खंडों पर प्रशिक्षण देंगे।

विकलांग बच्चों को समेकित शिक्षा के अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था की जाती है। वैसे अस्थि विकलांग बच्चों की शिक्षा में कोई परेशानी नहीं होती। नेत्रहीन, मूकबधिर व दिमागी कमजोर बच्चों की शिक्षा का विशेष इंतजाम होता है और उसी के लिए आवासीय कैंप संचालित होते हैं, साथ ही विकास खंडों में विशेष शिक्षक शिक्षिकाओं की तैनाती है। यही विशेष शिक्षक शिक्षिकाएं चिन्हित विद्यालयों के बच्चों को शिक्षा देते हैं। लेकिन अब एक नई व्यवस्था शुरू की गई है और विशेष शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ सभी विद्यालयों को शिक्षक शिक्षिकाओं को ऐसे बच्चों की शिक्षा व्यवस्था का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सर्व शिक्षा अभियान की राज्य परियोजना निदेशक अमृता सोनी ने इस संबंध में फरमान जारी किया है। जिसमें सभी विकास खंडों से पांच पांच शिक्षक शिक्षिकाओं को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में विशेष शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसमें 25 को नेत्रहीन, 25 को मूकबधिर व 10 शिक्षक शिक्षिकाओं को दिमागी कमजोर बच्चों को शिक्षा देने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।1

यह मास्टर प्रशिक्षक व समेकित शिक्षा के शिक्षक बीआरसी पर सभी परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण देंगे। जिला समन्वयक समेकित शिक्षा आशा वर्मा ने बताया कि परियोजना निदेशक के आदेश पर प्रशिक्षण की सूची तैयार की जा रही है। 15 दिसंबर तक कार्यक्रम पूरा करना है।
 


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लोअर सबार्डिनेट परीक्षा सक्षम प्राधिकारी (राज्यपाल) को निर्णय लेने का निर्देश




निर्णय आने तक आयोग ओवरएज अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठाए या परीक्षा टालें

जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : लोअर सबार्डिनेट परीक्षा के तीन सत्र समाप्त करने से ओवरएज हुए अभ्यर्थियों पर हाईकोर्ट ने नरमी दिखाई है। अदालत ने कहा है कि सक्षम प्राधिकारी (राज्यपाल) आयु सीमा में छूट देने के मामले में दो माह में विचार कर निर्णय लें। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को आदेश दिया है कि जब तक सक्षम प्राधिकारी निर्णय नहीं ले लेते तब तक आयोग या तो ओवरएज हो चुके अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने दे अथवा निर्णय आने तक वर्ष 2008 वर्ष 2013 की अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा को टाले रखे।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने श्रीप्रकाश श्रीवास्तव सहित दर्जनों अभ्यर्थियों की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। याचियों का कहना था कि 2005, 2006, 2007 में परीक्षा आयोजित किए जाने के कारण उन्हें भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के अवसर से वंचित किया गया। याचिकाओं में आयु के कट ऑफ डेट को चुनौती दी गई। 2008 में 900 पदों की भर्ती होनी है। इसमें मुख्य रूप से कोऑपरेटिव सोसायटी एवं पंचायत के आडीटर/ लेखा परीक्षक के पद हैं। 2013 की परीक्षा में भी समान मुद्दा उठाए जाने के कारण सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई हुई। न्यायालय ने तमाम नियमावलियों का हवाला देते हुए 1992 की नियमावली को प्रभावी करार दिया और कहा कि इसी नियमावली से आयु निर्धारण में छूट का निर्णय दिया जाए। कोर्ट ने कहा है कि जिन वर्षो में परीक्षा नहीं हुई, उस वर्ष की जुलाई माह में अधिकतम आयु सीमा तय करते समय लोक सेवा आयोग से विमर्श कर निर्णय लिया जाए
 


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