Saturday, September 28, 2013

पांच जजों ने ली हाईकोर्ट में शपथ

  (एसएनबी) इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को पांच जजों को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एलके महापात्रा ने मुख्य न्यायाधीश कक्ष में शपथ दिलायी। कार्यरत तीन अपर न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश की तथा दो नवनियुक्त न्यायाधीशों को अपर न्यायाधीश की शपथ दिलायी गयी। हाईकोर्ट में अब जजों की संख्या 88 हो गयी। स्थायी न्यायाधीश के रूप में न्यायाधीश सईद उज जमन सिद्दीकी, न्यायमूर्ति हेत सिंह यादव न्यायमूर्ति अनिल कुमार शर्मा ने शपथ ली। ये तीनों न्यायाधीश इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपर न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। नवनियुक्त न्यायाधीश महेश चन्द्र त्रिपाठी ने लखनऊ विद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की थी। वह वर्ष 2007 से इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रदेश सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता थे। वह कानपुर विकास प्राधिकरण कानपुर, नगर निगम आवश्यक वस्तु निगम, आगरा विकास प्राधिकरण, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण, कुमायूंं विश्वविद्यालय नेडा के स्थायी अधिवक्ता रहे। न्यायमूर्ति त्रिपाठी के पिता एसपी थे और उन्हें अच्छी सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक मिला था। न्यायमूर्ति सुनील कुमार इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक कुशल अधिवक्ता रहे। वह सेवा, टैक्स, संवैधानिक मामलों के अलावा सिविल क्षेत्र के सभी प्रकार के मुकदमे हाईकोर्ट में करते रहे। वह केन्द्र सरकार के भी वकील रहे। शपथ ग्रहण समारेाह के समय मुख्य न्यायाधीश कक्ष वकीलों, जजों के परिवारीजनों, न्यायिक अधिकारियों से खचाखच भरा था। सभी न्यायाधीश भी मौजूद रहे। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन एडवोकेटस एसोएिसशन के अध्यक्ष केएन मिश्रा एमडी सिंह, शेखर के अलावा अपर महाधिवक्ता बीबी सिंह, सीबी यादव, शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश चन्द्र उपाध्याय समेत अन्य वरिष्ठ कनिष्ठ वकील मौजूद रहे। न्यायमूर्ति ने पिता की लाइब्रेरी कर दी दान : हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राकेश तिवारी ने अपने दिवंगत पिता जेएन तिवारी की समूची लाइब्रेरी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को दान कर दी। यह जानकारी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष केएन मिश्रा ने दी। श्री मिश्रा ने बताया कि पं. जेएन तिवारी के नाम से बार एक पुस्तकालय बनाएगी, वहीं पर वरिष्ठ वकीलों के बैठने की भी व्यवस्था रहेगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए मुख्य न्यायाधीश से कैन्टीन के सामने हाल की मांग की गयी है।
इलाहाबाद

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बीएड की 34 हजार सीटों पर होगा सीधे दाखिला

up bedप्रदेश में बीएड की खाली 34,294 सीटों पर छात्रों को सीधे प्रवेश देने का रास्ता साफ हो गया है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा नीरज गुप्ता की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई बैठक में यह तय किया गया है कि स्ववित्तपोषित बीएड कॉलेज प्रबंधक रिक्त सीटों का विज्ञापन निकालेंगे और अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए बुलाएंगे।
मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों को मौका दिया जाएगा। यह प्रवेश केवल उन सीटों पर ही दिया जाएगा, जिन सीटों को काउंसलिंग के दौरान आवंटित नहीं किया गया था।
प्रमुख सचिव ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से इस संबंध में विस्तृत निर्देश प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को भेजने को कहा है। रिक्त सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया 15 अक्तूबर तक पूरी कर ली जाएगी।
  
गोरखपुर विश्वविद्यालय ने इस साल बीएड की 1,20,811 सीटों पर दाखिला देने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित कराई थी।
लेकिन कई चरणों की काउंसलिंग के बाद भी बीएड की 34,294 सीटें खाली रह गई हैं। इसमें सर्वाधिक सीटें मेरठ विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों की 25,252 सीटें हैं।
वहीं आगरा विश्वविद्यालय की 8,025 सीटें, कानपुर विश्वविद्यालय की 964 और संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी की 53 सीटें खाली हैं।
स्ववित्तपोषित बीएड कॉलेजों की अधिकतर सीटें खाली होने के चलते महाविद्यालय प्रबंधन लगातार यह दबाव बनाए हुए था कि उन्हें खाली सीटों पर सीधे प्रवेश की अनुमति दी जाए।
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा नीरज गुप्ता की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह तय किया गया है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय, परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थियों में प्रवेश न लेने वालों की मेरिट बनाते हुए ई-मेल से समस्त स्ववित्तपोषित बीएड महाविद्यालयों को भेजेगा। इसके आधार पर ही कॉलेज अभ्यर्थियों को सीधे प्रवेश दे सकेंगे।


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एडेड स्कूलों में खुलेंगी भर्तियां


•परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने शासन को भेजा प्रस्ताव
•नवंबर में निकलेगा विज्ञापन, दिसंबर से होंगे आवेदन





News Sabhaar : अमर उजाला ब्यूरो (27.9.13)
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Friday, September 27, 2013

बड़ी खबरः सुप्रीम कोर्ट ने दिया राइट टू रिजेक्ट




सुप्रीम कोर्ट ने दिया राइट टू रिजेक्टसुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में वोटरों को उम्मीदवारों को रिजेक्ट करने का अधिकार दे दिया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को वोटरों को ईवीएम में'कोई नहीं'का विकल्प देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एनजीओ पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की याचिका पर दिया है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग 2001 में ही यह प्रस्ताव सरकार को भेज चुका था, लेकिन सराकरें इसे दबाए बैठी रहीं।
ईवीएम में'इनमें से कोई नहीं'के विकल्प के बाद वोटर अब कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आने पर उन्हें रिजेक्ट कर सकेंगे। उम्मीदवारों के नाम के नीचे ईवीएम में'इनमें से कोई नहीं'को बटन होगा। अभी यह तय नहीं है कि यह फैसला इस आम चुनाव तक लागू हो जाएगा या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस फैसले को लागू करने करने में मदद करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वोटिंग का अधिकार सांवैधानिक अधिकार है तो उम्मीदवार को नकारने का अधिकार संविधान के तहत अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार है। नेगेटिव वोटिंग से चुनावों में शुचिता और जीवंतता को बढ़ावा मिलेगा और राजनीतिक दल स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशियों को टिकट देने के लिए मजबूर होंगे।
दरअसल वोटरों के पास रूल नंबर 49- (O) के तहत किसी भी उम्मीदवार को वोट देने का अधिकार पहले से ही है। इसके तहत वोटर को फॉर्म भरकर पोलिंग बूथ पर चुनाव अधिकारी और एजेंट्स को अपनी पहचान दिखाकर वोट डालना होता है। इस प्रक्रिया में खामी यह है कि पेचीदा होने का साथ-साथ इसमें वोटर की पहचान गुप्त नहीं रह जाती
चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को गोपनीय और सुविधाजनक बनाने के लिए 10 दिसंबर 2001 को ही ईवीएम में उम्मीदवारों के नाम के बाद'इनमें से कोई नहीं'का विकल्प देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था, लेकिन इन 12 सालों में इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने वोटरों को यह अधिकार दे दिया।
चुनाव सुधारों की मांग कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसी क्षेत्र में अगर 50% से ज्यादा वोट'इनमें से कोई नहीं'के ऑप्शन पर पड़ता है, तो वहां दोबारा चुनाव करवाना चाहिए। अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह मतदाता का अधिकार है कि वह सभी उम्मीदवारों को खारिज कर सके। चुनाव आयोग ने भी इसका समर्थन किया था और सुझाव दिया था कि सरकार को ऐसा प्रावधान करने के लिए कानून में संशोधन करना चाहिए। हालांकि, सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
 


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टीईटी पास कराने के नाम पर 12 लाख की वसूली

 Updated on: Fri, 27 Sep 2013 01:02 AM (IST)
वाराणसी : टीईटी (टीचर इजीबिलिटि टेस्ट-शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास कराने के नाम पर वर्ष 2010 में बेरोजगारों से धोखाधड़ी कर पैसा वसूलने के मामले की जांच शुरू हो गई है। जांच अधिकारी के समक्ष 6 अभ्यर्थियों ने बयान में फूलपुर थाना क्षेत्र के एक शिक्षामाफिया पर प्रत्येक छात्र से दो-दो लाख रुपये यानी कुल 12 लाख रुपये लेने का आरोप लगाया है।
यह जांच राज्य पिछड़ा आयोग के निर्देश पर हो रही है। अभ्यर्थियों ने आयोग में इसकी शिकायत की थी। आयोग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने जांच की जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारी, पिंडरा अशोक कुमार सिंह को सौंपी है।
खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में गुरुवार को जौनपुर जिले के आधा दर्जन अभ्यर्थियों का बुलाया गया था। अभ्यर्थियों ने बताया कि उक्त शिक्षा माफिया ने तीन किश्तों में पैसा लिया। विश्वास में लेने के लिए परीक्षा के एक दिन पूर्व परमानंदपुर स्थित एक इंटर कालेज में 35-36 छात्रों को अलग कक्ष में बैठाकर परीक्षा भी दिलाने की व्यवस्था की। टीईटी परिणाम घोषित हुआ तो वेबसाइट से फर्जी अंकपत्र भी निकाल कर दिया। रिजल्ट फर्जी होने का जब पता चला तो सभी सन्न रहे गए। राज्य पिछड़ा आयोग समेत अन्य अधिकारियों के यहां प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। हालांकि जांच अधिकारी ने इस संबंध में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया किंतु शिकायत करने वालों की लंबी फेहरिस्त बतायी जा रही है। प्रदेश स्तर पर उच्च स्तरीय टीम पहले से ही टीईटी- 2010 परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े की जांच कर रही है।


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