सुप्रीम
कोर्ट ने दिया
राइट टू रिजेक्टसुप्रीम
कोर्ट ने एक
ऐतिहासिक फैसले में वोटरों
को उम्मीदवारों को
रिजेक्ट करने का
अधिकार दे दिया
है। कोर्ट ने
चुनाव आयोग को
वोटरों को ईवीएम
में'कोई नहीं'का विकल्प
देने को कहा
है। सुप्रीम कोर्ट
ने यह फैसला
एनजीओ पीपल्स यूनियन
फॉर सिविल लिबर्टीज
की याचिका पर
दिया है। गौरतलब
है कि चुनाव
आयोग 2001 में ही
यह प्रस्ताव सरकार
को भेज चुका
था, लेकिन सराकरें
इसे दबाए बैठी
रहीं।
ईवीएम
में'इनमें से
कोई नहीं'के
विकल्प के बाद
वोटर अब कोई
भी उम्मीदवार पसंद
नहीं आने पर
उन्हें रिजेक्ट कर सकेंगे।
उम्मीदवारों के नाम
के नीचे ईवीएम
में'इनमें से
कोई नहीं'को
बटन होगा। अभी
यह तय नहीं
है कि यह
फैसला इस आम
चुनाव तक लागू
हो जाएगा या
नहीं। सुप्रीम कोर्ट
ने केंद्र सरकार
को इस फैसले
को लागू करने
करने में मदद
करने को कहा
है। सुप्रीम कोर्ट
ने अपने फैसले
में कहा कि
वोटिंग का अधिकार
सांवैधानिक अधिकार है तो
उम्मीदवार को नकारने
का अधिकार संविधान
के तहत अभिव्यक्ति
का मौलिक अधिकार
है। नेगेटिव वोटिंग
से चुनावों में
शुचिता और जीवंतता
को बढ़ावा मिलेगा
और राजनीतिक दल
स्वच्छ छवि वाले
प्रत्याशियों को टिकट
देने के लिए
मजबूर होंगे।
दरअसल
वोटरों के पास
रूल नंबर 49-ओ
(O) के तहत किसी
भी उम्मीदवार को
वोट न देने
का अधिकार पहले
से ही है।
इसके तहत वोटर
को फॉर्म भरकर
पोलिंग बूथ पर
चुनाव अधिकारी और
एजेंट्स को अपनी
पहचान दिखाकर वोट
डालना होता है।
इस प्रक्रिया में
खामी यह है
कि पेचीदा होने
का साथ-साथ
इसमें वोटर की
पहचान गुप्त नहीं
रह जाती
चुनाव
आयोग ने इस
प्रक्रिया को गोपनीय
और सुविधाजनक बनाने
के लिए 10 दिसंबर
2001 को ही ईवीएम
में उम्मीदवारों के
नाम के बाद'इनमें से कोई
नहीं'का विकल्प
देने का प्रस्ताव
सरकार को भेजा
था, लेकिन इन
12 सालों में इस
पर कोई कदम
नहीं उठाया गया।
आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने
वोटरों को यह
अधिकार दे दिया।
चुनाव
सुधारों की मांग
कर रहे कार्यकर्ताओं
का कहना है
कि किसी क्षेत्र
में अगर 50% से
ज्यादा वोट'इनमें
से कोई नहीं'के ऑप्शन
पर पड़ता है,
तो वहां दोबारा
चुनाव करवाना चाहिए।
अभी ऐसा कोई
प्रावधान नहीं है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
था कि यह
मतदाता का अधिकार
है कि वह
सभी उम्मीदवारों को
खारिज कर सके।
चुनाव आयोग ने
भी इसका समर्थन
किया था और
सुझाव दिया था
कि सरकार को
ऐसा प्रावधान करने
के लिए कानून
में संशोधन करना
चाहिए। हालांकि, सरकार ने
इस पर कोई
कार्रवाई नहीं की।
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