Tuesday, September 24, 2013

पंचायत अधिकारी बनने को आवेदनों का अंबार



Updated on: Tue, 24 Sep 2013 11:25 AM (IST)

बुलंदशहर : ग्राम पंचायत अधिकारी बनने को मारामारी मची है। अधिकांश स्नातक उत्तीर्ण आवेदन कर रहे हैं। आवेदन अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक लिए जाएंगे, लेकिन अब ही जिला पंचायत राज विभाग को 20 हजार से अधिक आवेदन मिल चुके हैं।

ग्राम पंचायत अधिकारी बनने की होड़ मची हुई है। समूह''के अंतर्गत इस पद को समाज में काफी सम्मान है, लिहाजा आवेदनों की बाढ़ गई है। अब तक विभाग को 20 हजार से अधिक आवेदन मिल चुके हैं। जो रफ्तार है, अंतिम तिथि तक विभाग को 40 हजार तक आवेदन पहुंचने का अनुमान है। सीट 75 है और आवेदक हजारों। कई तो अब से ही प्रभावशाली नेता, मंत्री, अधिकारियों के यहां पहुंच-पैरवी करने लगे हैं।

प्रतियोगिता परीक्षा नहीं हो रही है, ऐसे में विभाग को समझ नहीं रहा कि साक्षात्कार के लिए कितने लोगों को बुलाया जाए? जिला पंचायत राज विभाग ने एक तरीका निकाला है। 12वीं एवं स्नातक में प्राप्त डिवीजन को अंक दिया जा रहा है। परास्नातक, पीएचडी आदि किसी ने किया भी तो हो उसे अतिरिक्त नंबर नहीं दिए जाएंगे। केवल 12वीं एवं स्नातक का अंक जुड़ेगा। साक्षात्कार 50 अंक का होगा। कुल अंक 75 होंगे। डीपीआरओ परवेज आलम खां कहते हैं कि साक्षात्कार के लिए किसे बुलाया जाए यह चयन बोर्ड तय करेगा। फर्ज करिये के 30 या 25 अंक प्राप्त करने वाले 2000 स्टूडेंट हैं तो उन सभी को बुला लिया जाएगा। सभी 40 हजार का साक्षात्कार लेना मुश्किल है।

इंसेट-

आवेदनकर्ताओं को मिलने वाले अंक

श्रेणी 12वीं स्नातक

प्रथम श्रेणी 20 10

द्वितीय श्रेणी 15 8

तृतीय श्रेणी 10 6

स्पार्ट्स के नंबर

इंटरनेशनल 5

नेशनल 4

स्टेट 3

जिलास्तरीय 2

स्थानीय 1


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नए सिरे से होगी सींच पर्यवेक्षक की भर्ती

 झांसी। सिंचाई विभाग में सींच पर्यवेक्षक, सींचपाल चपरासी पद के लिए आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों को अब नए सिरे से फार्म भरने होंगे। विभाग दो साल से पहले मांगे गए आवेदनों पर विचार नहीं करेगा। अब शासन ने इस प्रक्रिया को निरस्त कर नए सिरे से रिक्तियां निकालने का निर्णय लिया है।
प्रमुख अभियंता लखनऊ के आदेश पर सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (बेतवा कार्यालय) द्वारा अगस्त 2011 में सींच पर्यवेक्षक पद के लिए पांच, सींचपाल पद के लिए उनतीस चपरासी के एक पद पर नियुक्ति के लिए रिक्तियां निकालीं गईं थीं। आवेदन आने के बाद विभाग ने भी उन्हें कंप्यूटर में फीड करने का काम पूरा कर लिया था। इसके बाद लखनऊ निवासी अमित कुमार द्वारा हाईकोर्ट मेें दायर की गई रिट में कहा गया था कि प्रमुख अभियंता द्वारा नियुक्ति समिति का गठन नियमावली 53 के अनुसार नहीं किया गया है। इस मामले में हाईकोर्ट कोई आदेश देता, इसके पहले ही सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता ने भर्ती संबंधी अपने आदेश को निरस्त कर दिया था। तब से भर्ती प्रक्रिया अटकी पड़ी थी।
हजारों युवक नहीं कर सकेंगे आवेदन
वर्ष 2011 में सींच पर्यवेक्षक के लिए योग्यता इंटरमीडिएट, सींचपाल के लिए हाईस्कूल चपरासी के लिए पढ़ना- लिखना साइकिल चलाने का अनुभव मांगा गया था। आवेदक की आयु 18 से 35 वर्ष रखी गई थी। नए सिरे से आवेदन मांगे जाने पर 35 की उम्र पार कर चुके अभ्यर्थियों को आवेदन करने से वंचित होना पड़ेगा।
वर्ष 2011 में आए आवेदनों पर अब विचार नहीं किया जाएगा। रिक्तियां निकलने पर नए सिरे से आवेदन मांगे जाएंगे। नई भर्ती के लिए शासन के निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है।
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संतोष कुमार
मुख्य अभियंता (परियोजना)

आवश्यक सेवाओं के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं : कोर्ट

 नई दिल्ली : देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने एक फैसले में केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि इस बात का ध्यान रखा जाये कि किसी भी अवैध नागरिक का आधार कार्ड न बने | इसके साथ ही अदालत ने ये भी निर्देश दिए हैं कि आवश्यक सेवाओं जैसे एलपीजी कनेक्शन, टेलिफोन वगैरह के लिये आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है|
Adhar Cardगौरतलब है कि घरेलू गैस पर उपभोक्ताओं की मिलने वाली छूट के रुपये इस महीने के शुरुआत से देश के 18 जिलों के उपभोक्ताओं के खातों में सीधे स्थानांतरित होना शुरू हो गया है।
एक अधिकारी ने बताया कि हालांकि प्रत्यक्ष लाभ स्थानांतरण योजना (डीबीटी) की शुरुआत कर्नाटक के तुमकुर जिले से की गई, लेकिन इसी के साथ देश के 18 जिलों में एक जून की मध्यरात्रि से यह योजना शुरू हो गई थी।
  
घरेलू गैस सब्सिडी पर नकद बचत प्राप्त करने वाले जिलों में अनंतपुर, चित्तौड़, पूर्वी गोदावरी, हैदराबाद, रांगारेड्डी, दीव, उत्तरी गोवा, बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, तुमकुर, पथानामथित्ता, वेनाद, वर्धा, पुदुचेरी, नवान शेहर, खंडवा तथा हरदा जिले शामिल हैं।
इन जिलों में पहले से ही 60 लाख एलपीजी उपभोक्ता मौजूद हैं। कर्नाटक के मैसूर तथा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिलों में चुनाव पूर्व आचार संहिता लागू होने की वजह से डीबीटी योजना के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया गया।
इस योजना के तहत आधार कार्डधारक सभी एलपीजी उपभोक्ताओं एवं जिन उपभोक्ताओं के बैंक खातों को आधार नंबर के आधार पर वरीयता क्रम में रखा गया है उनके बैंक खातों में एलपीजी का सिलेंडर बुक कराने पर तुरंत प्रति सिलेंडर 435 रुपये अग्रिम जमा कर दिया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि यह राशि उनके खातों में स्वत: जमा हो जाएगी। उन्हें एलपीजी सिलेंडर बाजार मूल्य पर ही दिया जाएगा।
अधिकारी ने आगे बताया कि आधार नंबर के आधार पर बैंक खातों की वरीयता न पाने वाले उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर बिना सब्सिडी के बाजार मूल्य पर ही दिए जाएंगे। उन्हें आधार नंबर के अनुसार अपने बैंक खातों की वरीयता बनवाने के लिए कुछ समय दिया जाएगा।

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बेसिक शिक्षकों ने की समायोजन सूची निरस्त करने की मांग

FARRUKHABAD : जनपद के बेसिक स्कूलों के शिक्षकों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नरेश शर्मा को पत्र सौंपकर जारी की गयी शिक्षकों की समायोजन सूची निरस्त किये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जारी सूची में खामियां ही खामियां नजर आ रही हैं, जिन्हें सुधारा जाना अति अवश्यक है।
teacher - bsa
शिक्षकों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से कहा कि शिक्षकों के समायोजन न करके विभाग द्वारा स्थानांतरण किये गये हैं। जोकि न्याय संगत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नरायनपुर विद्यालय के अंकित का स्थानांतरण पूर्व माध्यमिक विद्यालय लिंजीगंज में किया गया है। जबकि शासनादेश के अनुसार 58 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को किसी भी हालत में समायोजन में नहीं हटाया जायेगा। उससे कनिष्ठ अध्यापक को हटाया जायेगा। नीरज चौहान का कन्या प्राथमिक विद्यालय तलैया लेन एकल विद्यालय से प्राथमिक विद्यालय तलैया लेन में समायोजन किया गया है। जबकि इससे पूर्व पुष्पलता दुबे को घर के निकट सुविधा देने हेतु प्राथमिक विद्यालय तलैया लेन जाकि एक ही प्रांगण में आता है, सम्बद्ध किया जा चुका है।
 
इसी प्रकार भोपतपट्टी से आदित्य तिवारी को प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर में समायोजित किया गया है। जिनकी आयु 58 वर्ष से ऊपर है। वहीं राजीव कुमार को तलैया फजल इमाम से उनके पूर्व विद्यालय प्राइमरी विद्यालय बहादुरगंज में समायोजित कर दिया गया। जबकि कुछ समय पूर्व ही उनकी प्रोन्नति प्राथमिक विद्यालय तलैया फजल इमाम में हुई थी। साठगांठ करके पुनः प्राइमरी विद्यालय बहादुरगंज में कर दिया गया।
इसी प्रकार सहायक अध्यापक सोमकिरण को घोड़ा नखास से समायोजन के नाम पर स्थानांतरण करके विद्यालय को अध्यापक विहीन कर दिया। शिक्षकों ने समायोजन सूची को निरस्त करने की मांग जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नरेश शर्मा से की है। इस दौरान जिलाध्यक्ष के अलावा दर्जनों शिक्षक मौजूद रहे।

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बेसिक शिक्षा मंत्री की झोली रह गई खाली


मंत्री ने नये स्कूलों व चहारदीवारी को मांगा था पैसा
ललितपुर। प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री जब केंद्रीय विद्यालय के कार्यक्रम में शामिल हुए, उस समय तक जनता उनसे तमाम उम्मीद लगाए बैठे थी। लेकिन, जब उनका संबोधन हुआ तो नजारा देख उपस्थित लोग हैरान रह गए। बेसिक शिक्षा मंत्री अपने संबोधन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से प्रदेश पर कृपादृष्टि बरसाने की बात कर रहे थे। इसके बाद भी केंद्रीय मंत्री ने धन की मांग को अनदेखा कर दिया।
केंद्रीय विद्यालय के भवन के शिलान्यास में बेसिक शिक्षा मंत्री की उपस्थिति को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे थे। पत्रकारवार्ता के दौरान भी बेसिक शिक्षा मंत्री से सवाल किए गए थे पर उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर शैक्षिक गोष्ठी में उपस्थित होने की बात कही थी। सोमवार को सुबह करीब दस बजे जब उनका संबोधन हुआ तो स्थिति खुद ब खुद स्पष्ट हो गई। पहले तो बेसिक शिक्षा मंत्री ने बुंदेलखंड की धरती पर केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया। उसके बाद केंद्रीय विद्यालयों की खूब तारीफ की। धीरे-धीरे वे मुद्दे आ गए और उन्होंने कहा कि केंद्र शिक्षा के प्रति उदारवादी नीति अपनाए हुए हैं। हर व्यक्ति अपने आंगन की सफाई चाहता है। लेकिन, धन के अभाव में ऐसा करना संभव नहीं हो पा रहा है। प्राथमिक शिक्षा को विस्तार देने के लिए साढे़ बारह हजार करोड़ रुपये की मांग की गई थी, लेकिन प्रदेश को पौने आठ हजार करोड़ रुपये ही हाथ लगे। इससे स्कूल, चहारदीवारी आदि कार्य अटककर रह गए हैं। यही नहीं, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की वार्डन, शिक्षिकाएं मामूली मानदेय पर काम करने को विवश हैं। शिक्षा मित्र भी पैंतीस सौ रुपये के मानदेय पर काम कर रहे हैं। हालांकि, प्रदेश सरकार ने उन्हें शिक्षक के रूप में समायोजित करने का निर्णय लिया है। दो चरणों में सभी शिक्षा मित्र समायोजित कर लिए जाएंगे। शेष इंटरमीडिएट पास शिक्षा मित्रों को केंद्र की अनुमति से शिक्षक बनाया जाएगा। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कृपादृष्टि बरसाने को कहा, इसके बाद भी केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में धन का जिक्र तक नहीं किया।

अब लोअर परीक्षाएं बनेंगी छात्रों का मुद्दा

2008 और 09 का रिजल्ट घोषित नहीं, हजारों छात्र अनिश्चय में

जाब्यू, इलाहाबाद : आरक्षण की लड़ाई के बीच ही प्रतियोगी छात्रों ने लोअर सबार्डिनेट परीक्षा 2008 और 2009 की परीक्षा परिणाम न घोषित किए जाने को भी मुद्दा बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए छात्र यूपी लोक सेवा आयोग पर जोरदार प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दाखिल करने का फैसला किया गया है।

वैसे तो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की कई परीक्षाओं का परिणाम लंबित है लेकिन लोअर सबार्डिनेट का परिणाम न घोषित होने से वे अधिक परेशान हैं। प्रदेश में पीसीएस परीक्षा के बाद यह प्रतियोगी छात्रों की सबसे अहम परीक्षा मानी जाती है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के प्रवक्ता अविनाश पांडेय के अनुसार यह दोनों परीक्षाएं पांच साल से चल रही हैं। लोअर 2008 की प्रारंभिक परीक्षा 26 सितंबर 2010 में और मुख्य परीक्षा 15 जनवरी 2012 को हुई थी। इसके बाद लोअर-2009 की प्रारंभिक परीक्षा 2 मई 2009 को और मुख्य परीक्षा 22 जनवरी 2013 को हुई थी। इन दोनों ही वर्षो की मुख्य परीक्षा का परिणाम अब तक नहीं आ सका है। इससे छात्रों में हताशा व्याप्त हो रही है।

उल्लेखनीय है कि आयोग ने लोअर सबार्डिनेट 2010 और 2011 का सत्र शून्य भी घोषित कर दिया है। प्रतियोगियों का कहना है कि यदि इसके पहले के रिजल्ट आ गए होते तो यह परीक्षाएं समय से होतीं और उन्हें एक-दो अवसर और मिल गए होते। अब हजारों छात्र ओवरएज भी हो चुके हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर आयोग पर दबाव बनाने की तैयारी प्रतियोगी छात्र कर रहे हैं। इसको लेकर हाईकोर्ट में प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के सचिव सुधीर सिंह याचिका भी दायर करने जा रहे हैं। याचियों के अधिवक्ता संतोष कुमार श्रीवास्तव के अनुसार मंगलवार या बुधवार तक याचिका दायर कर दी जाएगी।

शिक्षामित्रों के समायोजन की जारी हो नियमावली


लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ की सोमवार को कोर कमेटी की बैठक हुई। इसमें शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने पर दिए जाने वाले वेतन पर होने वाले व्यय का बजट प्रारूप तैयार करने की सराहना की गई। प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला, कौशल कुमार सिंह, पुनीत चौधरी ने एक स्वर में मांग की है कि शिक्षामित्रों के शिक्षक पद पर समायोजन के लिए तैयार की गई नियमावली शीघ्र ही जारी की जाए, ताकि अपने भविष्य को लेकर उनकी चिंता दूर हो सके।

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सरकारी वेबसाइट वाले शासनादेश वैध

 मैनुअल शासनादेश जारी नहीं कर सकेंगे 10 विभाग
लखनऊ। दस सरकारी विभाग अब मैनुअल शासनादेश (जीओ) जारी नहीं कर सकेंगे। शासन ने कहा है कि वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड शासनादेश ही वैध माने जाएंगे। मैनुअल शासनादेश जारी करने का मामला सामने आने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने इस व्यवस्था को लेकर
कड़ा शासनादेश जारी किया है। मुख्य सचिव ने पिछले दिनों बैठक कर सरकार के शासकीय कार्यों में
पारदर्शिता लाने के लिए सभी विभागों को चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन शासनादेश जारी करने और उसे सरकारी वेबसाइट http:// shasanadesh.up.nic.in पर उपलब्ध कराने को कहा था।
सरकारी कार्यों में पारदर्शिता के लिहाज से यह काममुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्राथमिकता वाले कामों में शामिल है। मुख्य सचिव ने पहले चरण में एक सितंबर से 10 विभागों को यह कार्य शुरू करने का निर्देश दिया था। अब उन्होंने सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों, मंडलायुक्तों जिलाधिकारियों को शासनादेश जारी कर फैसले का कड़ाई से पालन कराने को कहा है। उन्होंने कहा कि एक नवंबर से 25 अन्य विभागों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी। एक जनवरी 2014 से सभी विभाग ऑनलाइन जीओ जारी करने लगेंगे। उन्होंने निर्देश दिया कि किसी भी दशा में इन विभागों में कोई भी शासनादेश मैनुअल जारी किया जाए।
वित्त विभाग ने पहले चरण वाले दस विभागों में शामिल नहीं है लेकिन विभाग ने शासन की इस पहल को हाथोंहाथ लेते हुए अपने यहां भी इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। सचिव वित्त हिमांशु कुमार ने वित्त विभाग में इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करने का आदेश जारी किया है।
http:// shasanadesh.up.n ic.inपर देखें इन विभागों के जीओ शिक्षा (माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा)
राजस्व
कार्मिक
परिवहन
नगर विकास
खाद्य एवं रसद
समाज कल्याण
विकलांग कल्याण
आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स
महिला एवं बाल विकास
वित्त विभाग ने लागू की व्यवस्था
वित्त विभाग ने शासन की इस पहल को हाथोंहाथ लेते हुए अपने यहां इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। सचिव वित्त हिमांशु कुमार ने वित्त विभाग में इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करने
का आदेश जारी कर दिया है। हालांकि पहले चरण में जिन दस विभागों में यह व्यवस्था शुरू की जानी है, वित्त विभाग उनमें शामिल नहीं है।
प्रदेश में नए साल में हर विभाग हो जाएंगे ऑनलाइन

Very Good work