Tuesday, September 24, 2013

बेसिक शिक्षा मंत्री की झोली रह गई खाली


मंत्री ने नये स्कूलों व चहारदीवारी को मांगा था पैसा
ललितपुर। प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री जब केंद्रीय विद्यालय के कार्यक्रम में शामिल हुए, उस समय तक जनता उनसे तमाम उम्मीद लगाए बैठे थी। लेकिन, जब उनका संबोधन हुआ तो नजारा देख उपस्थित लोग हैरान रह गए। बेसिक शिक्षा मंत्री अपने संबोधन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से प्रदेश पर कृपादृष्टि बरसाने की बात कर रहे थे। इसके बाद भी केंद्रीय मंत्री ने धन की मांग को अनदेखा कर दिया।
केंद्रीय विद्यालय के भवन के शिलान्यास में बेसिक शिक्षा मंत्री की उपस्थिति को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे थे। पत्रकारवार्ता के दौरान भी बेसिक शिक्षा मंत्री से सवाल किए गए थे पर उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर शैक्षिक गोष्ठी में उपस्थित होने की बात कही थी। सोमवार को सुबह करीब दस बजे जब उनका संबोधन हुआ तो स्थिति खुद ब खुद स्पष्ट हो गई। पहले तो बेसिक शिक्षा मंत्री ने बुंदेलखंड की धरती पर केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया। उसके बाद केंद्रीय विद्यालयों की खूब तारीफ की। धीरे-धीरे वे मुद्दे आ गए और उन्होंने कहा कि केंद्र शिक्षा के प्रति उदारवादी नीति अपनाए हुए हैं। हर व्यक्ति अपने आंगन की सफाई चाहता है। लेकिन, धन के अभाव में ऐसा करना संभव नहीं हो पा रहा है। प्राथमिक शिक्षा को विस्तार देने के लिए साढे़ बारह हजार करोड़ रुपये की मांग की गई थी, लेकिन प्रदेश को पौने आठ हजार करोड़ रुपये ही हाथ लगे। इससे स्कूल, चहारदीवारी आदि कार्य अटककर रह गए हैं। यही नहीं, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की वार्डन, शिक्षिकाएं मामूली मानदेय पर काम करने को विवश हैं। शिक्षा मित्र भी पैंतीस सौ रुपये के मानदेय पर काम कर रहे हैं। हालांकि, प्रदेश सरकार ने उन्हें शिक्षक के रूप में समायोजित करने का निर्णय लिया है। दो चरणों में सभी शिक्षा मित्र समायोजित कर लिए जाएंगे। शेष इंटरमीडिएट पास शिक्षा मित्रों को केंद्र की अनुमति से शिक्षक बनाया जाएगा। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कृपादृष्टि बरसाने को कहा, इसके बाद भी केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में धन का जिक्र तक नहीं किया।

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