जागरण
संवाददाता, इलाहाबाद : शासन ने
शिक्षामित्रों को स्थाई
शिक्षक बनाने की घोषणा
तो कर दी,
परंतु उसको लेकर
लगातार हीलाहवाली हो रही
है। शिक्षक पात्रता
परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता
भी इनके गले
की फांस बनी
है। शिक्षामित्रों का
आरोप है कि
उनके प्रशिक्षण के
लिए डायट कोई
तैयारी नहीं कर
रही। प्रशिक्षण के
नाम पर सिर्फ
खानापूर्ति हो रही
है। इसको लेकर
शिक्षामित्रों ने एक
बार फिर से
लामबंदी शुरू कर
दी है।
प्रदेश
सरकार द्वारा टीईटी
परीक्षा से दूर
रखने का आश्वासन
मिलने के बावजूद
शिक्षामित्रों में संदेह
की स्थिति है।
अब वह अपने
हक के लिए
खुद को संगठित
करने में जुटे
हैं। प्रदेश के
माध्यमिक विद्यालयों में लगभग
एक लाख 72 हजार
शिक्षामित्र कार्यरत हैं, उन्हें
प्रत्येक जिले में
जिला शिक्षा एवं
प्रशिक्षण संस्थान में शिक्षक
बनने का प्रशिक्षण
भी दिलाया जा
रहा है। बावजूद
इसके अभी उन्हें
स्थाई नहीं किया
गया, इसके साथ
ही समय-समय
पर शिक्षामित्रों के
ऊपर टीईटी परीक्षा
पास करने का
दबाव बनाया जाता
है, जिसे वह
नहीं देना चाहते।
परंतु राष्ट्रीय शैक्षिक
प्रशिक्षण परिषद के नियमानुसार
केंद्र एवं राज्यस्तरीय
शिक्षकों के लिए
शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण
करना अनिवार्य है,
जिससे शिक्षामित्रों में
असमंजस की स्थिति
है। सरकार पर
दबाव बनाने के
लिए शिक्षामित्रों को
एक मंच पर
लाकर लड़ाई पुरजोर
तरीके से लड़ने
का लक्ष्य बनाया
गया है।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
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