लखनऊ
सहायक
अध्यापक बनने के
लिए टीईटी की
अनिवार्यता पर शिक्षा मित्र भड़क
उठे हैं। शिक्षा मित्रों
ने कहा है
कि उनके ऊपर यदि
टीईटी की अनिवार्यता
को थोपा गया
तो लोकसभा चुनाव
में सरकार को इसका
खामियाजा भुगताना होगा। उनका कहना
है कि वे
पहले से ही
शिक्षक हैं। बस
प्रशिक्षण के बाद
उन्हें सहायक अध्यापक के पद
पर समायोजित किया
जाना है, ऐसे
में टीईटी की अनिवार्यता
बर्दाश्त नहीं की
जाएगी। आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर
एसोसिएशन के अध्यक्ष
जितेंद्र कुमार शाही ने कहा
है कि राज्य
सरकार उनके ऊपर
जबरिया टीईटी नहीं थोप
सकती
है। शिक्षा मित्र
संविदा शिक्षक के रूप
में कार्यरत हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के
तहत उन्हें दो
वर्षीय
बीटीसी
का प्रशिक्षण दिया
जा रहा है।
इसलिए सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त
करने वालों को
सहायक अध्यापक के
पद पर समायोजित किया
जाना चाहिए। उन्होंने यह
भी कहा है
कि जब तक
सभी शिक्षा मित्र
सहायक अध्यापक नहीं बन
जाते हैं तब
तक मानदेय 3500 से
बढ़ाकर 7350 रुपये फिक्स वेतन
के बराबर करना
चाहिए। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा
मित्र संघ के
अध्यक्ष गाजी इमाम
आला, मंत्री कौशल कुमार
सिंह व अनिल
कुमार यादव ने कहा
कि शिक्षा मित्रों
को सहायक अध्यापक
बनाए जाने में टीईटी
की अनिवार्यता का
हर स्तर पर
विरोध होगा।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
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