Saturday, November 9, 2013

टीईटी मेरिट मात्र चयन का आधार नहीं

 उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में रखा अपना पक्ष
अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद। प्रदेश में 72825 सहायक अध्यापकों के चयन नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट में चल रही बहस शुक्रवार को पूरी हो गई है। अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। इसे 20 नवंबर को सुनाया जाएगा। प्रदेश सरकार ने बहस के दौरान अपना पक्ष रखते हुए साफ किया है कि टीईटी के प्राप्तांक मात्र के आधार पर चयन की मेरिट नहीं बन सकती है। एनसीटीई की गाइड लाइन भी ऐसा कोई आदेश नहीं देती है।
याचिका पर प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने के लिए ही 15 वां संशोधन किया गया है। इसके बाद से अब चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया साफ हो गई है। नवंबर 2011 के विज्ञापन में मात्र टीईटी प्राप्तांक को ही मेरिट का आधार बनाया गया था। नियमावली में संशोधन से अब यह स्थिति साफ हो गई है। चयन किस आधार पर किया जाएगा यह तय करना सरकार का विशेषाधिकार है।
याचीगण की ओर से अधिवक्ता शैलेंद्र, नवीन कुमार शर्मा आदि ने सरकार की इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि फुलबेंच ने भी अपने निर्णय में टीईटी प्राप्तांक को मेरिट में शामिल करने की बात कही है। प्रदेश सरकार ने बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों की भर्ती कर ली जबकि बीएड डिग्री धारकोें के साथ भेदभाव किया गया।
सरकार की ओर से यह भी दलील दी गई कि टीईटी 2011 में व्यापक धांधली होने के कारण ही चयन प्रक्रिया प्रभावित हुई। इस पर मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने टिप्पणी की कि यदि धांधली हुई थी तो सरकार के पास परीक्षा रद करने काविकल्प था। कोर्ट ने पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है। फैसला 20 नवंबर को सुनाया जाएगा।


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