उत्तर प्रदेश सरकार ने
हाईकोर्ट में रखा
अपना पक्ष
• अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद। प्रदेश में 72825 सहायक
अध्यापकों के चयन
व नियुक्ति की
प्रक्रिया को लेकर
हाईकोर्ट में चल
रही बहस शुक्रवार
को पूरी हो
गई है। अदालत
ने अपना निर्णय
सुरक्षित कर लिया
है। इसे 20 नवंबर
को सुनाया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने बहस
के दौरान अपना
पक्ष रखते हुए
साफ किया है
कि टीईटी के
प्राप्तांक मात्र के आधार
पर चयन की
मेरिट नहीं बन
सकती है। एनसीटीई
की गाइड लाइन
भी ऐसा कोई
आदेश नहीं देती
है।
याचिका पर प्रदेश
सरकार की ओर
से अपर महाधिवक्ता
सीबी यादव ने
पक्ष रखा। उन्होंने
कहा कि बेसिक
शिक्षा सेवा नियमावली
1981 में व्याप्त विसंगतियों को
दूर करने के
लिए ही 15 वां
संशोधन किया गया
है। इसके बाद
से अब चयन
और नियुक्ति की
प्रक्रिया साफ हो
गई है। नवंबर
2011 के विज्ञापन में मात्र
टीईटी प्राप्तांक को
ही मेरिट का
आधार बनाया गया
था। नियमावली में
संशोधन से अब
यह स्थिति साफ
हो गई है।
चयन किस आधार
पर किया जाएगा
यह तय करना
सरकार का विशेषाधिकार
है।
याचीगण की ओर
से अधिवक्ता शैलेंद्र,
नवीन कुमार शर्मा
आदि ने सरकार
की इस दलील
का विरोध करते
हुए कहा कि
फुलबेंच ने भी
अपने निर्णय में
टीईटी प्राप्तांक को
मेरिट में शामिल
करने की बात
कही है। प्रदेश
सरकार ने बीटीसी
और विशिष्ट बीटीसी
अभ्यर्थियों की भर्ती
कर ली जबकि
बीएड डिग्री धारकोें
के साथ भेदभाव
किया गया।
सरकार की ओर
से यह भी
दलील दी गई
कि टीईटी 2011 में
व्यापक धांधली होने के
कारण ही चयन
प्रक्रिया प्रभावित हुई। इस
पर मामले की
सुनवाई कर रही
न्यायमूर्ति अशोक भूषण
की अध्यक्षता वाली
खंडपीठ ने टिप्पणी
की कि यदि
धांधली हुई थी
तो सरकार के
पास परीक्षा रद
करने काविकल्प था।
कोर्ट ने पक्षकारों
की दलीलें सुनने
के बाद निर्णय
सुरक्षित कर लिया
है। फैसला 20 नवंबर
को सुनाया जाएगा।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
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