Tuesday, October 8, 2013

रिटायरमेंट के बाद भी पढ़ाते रहेंगे गुरुजी



  • शिक्षकों की कमी को देखते हुए बेसिक शिक्षा परिषद ने शासन को भेजा प्रस्ताव

इलाहाबाद। प्रदेश में रिटायर शिक्षकों के दिन बहुरने वाले हैं। परिषदीय विद्यालयों में रिटायर शिक्षक आपको पढ़ाते हुए मिले तो चौकिएगा नहीं। शिक्षकों की कमी को देखते हुए सरकार रिटायर शिक्षकों को एक बार फिर से स्कूलों में रख सकती है। बेसिक शिक्षा परिषद ने रिटायर शिक्षकों को संविदा के रूप में रखने का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही रिटायर शिक्षकों की जिलेवार सूची बनाकर उन्हें संविदा पर रखा जाएगा।
प्रदेश भर के परिषदीय विद्यालय लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। 72825 पदों पर नियुक्ति का मामला भी सुलझने का नाम नहीं ले रहा है, जिसका सीधा असर बच्चों के शैक्षिक स्तर पर पड़ रहा है। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए शासन स्तर से रिटायर शिक्षकों को रखे जाने के संबंध में प्रस्ताव मांगा था। परिषद ने प्रस्ताव शासन को भेज दिया।
प्रस्ताव में 70 वर्ष से कम आयु वाले सेवानिवृत्त शिक्षकों को संविदा पर रखने का प्रस्ताव है। शिक्षकों को लगभग दस हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। जैसे-जैसे परिषदीय विद्यालयों में जिलेवार सहायक अध्यापकों की स्थायी नियुक्तियां होती जाएंगी, सेवानिवृत्त शिक्षकों को अन्यत्र भेज दिया जाएगा या संविदा खत्म कर दी जाएगी।
दस हजार के अंदर होगा सेवानिवृत्त शिक्षकों का मानदेय


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नायब तहसीलदार से भली प्राइमरी की मास्टरी





  • चार साल में 90 से ज्यादा ने छोड़ा पद का मोह, ग्रेड पे कम होने से युवा हताश, मामला शासन के पास |

लखनऊ। लोकसेवा आयोग से सीधी भर्ती से आने वाले युवाओं को नायब तहसीलदारी नहीं भा रही है। पिछले चार साल में 90 से अधिक युवाओं ने चयन होने के बाद या तो ज्वाइन नहीं किया या ज्वाइन करने के बाद दूसरी जगह मौका मिलने पर नौकरी छोड़कर चले गए। राजस्व विभाग से जुड़े अफसर बताते हैं कि कई ने नायब तहसीलदारी करने की जगह प्राइमरी स्कूल की मास्टरी को प्राथमिकता दी। इस हालात से हैरान राजस्व प्रशासनिक अधिकारी संघ ने इस मामले को शासन के सामने उठाया है। हालांकि ,शासन का रवैया अभी ठंडा है।
बताते चलें कि राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार की नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग के जरिए पीसीएस परीक्षा में एसडीएम, डिप्टी एसपी व असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर आदि के साथ होती है। न्यायिक जिम्मेदारी तो वह निभाता ही है, राजस्व वसूली व प्रशासनिक कामकाज में भी वह अहम रोल अदा करता है।
लेकिन जब बात वेतन व सुविधाओं की होती है तो तमाम संवर्गों से वह पीछे ठहरता है। मसलन, खाद्य विभाग के वरिष्ठ पूर्ति निरीक्षक, वरिष्ठ विपणन निरीक्षक के साथ आशुलिपिक सहकारिता, उप कारापाल कारागार, संयुक्त खंड विकास अधिकारी तक से उसे कम ग्रेड पे मिल रहा है। नायब तहसीलदार संवर्ग के अधिकारी बताते हैं कि नायब तहसीलदार को जहां 4200 ग्रेड पे मिल रहा है, वहीं इन पदधारकों को 4600 रुपये।
यही नहीं, प्राइमरी स्कूल के प्राथमिक शिक्षक ग्रेड-2 को 4600 और प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक व जूनियर हाईस्कूल के सहायक अध्यापक का ग्रेड पे-4800 है।
एक अन्य तथ्य यह है कि कारापाल, कारागार प्रशासन, सिस्टर चिकित्सा विभाग, सिस्टर ट्यूटर व वैयक्तिक सहायक नियोजन विभाग का वेतन बैंड नायब तहसीलदारों के बराबर 5500-9000 है लेकिन नायब तहसीलदार का ग्रेड पे 4200 है, वहीं बाकी कर्मियों का 4800। इस संवर्ग के अधिकारी बताते हैं कि ऐसे हालात में कोई क्यों नायब तहसीलदार बनना चाहेगा? सरकार इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेगी तो राजस्व विभाग की बुनियादी व्यवस्था सुधरने वाली नहीं है।
लगातार उपेक्षा व प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने के बाद भी न्यायोचित ग्रेड-पे न मिलने के कारण नायब तहसीलदार पद की प्रतिष्ठा व आकर्षण में कमी आ रही है। इस वजह से राज्य लोक सेवा आयोग की त्रिस्तरीय परीक्षा से चयनित होने के बावजूद नायब तहसीलदार सेवा छोड़ कर जा रहे हैं। जो ज्वाइन कर रहे हैं वे मौका पाते ही छोड़ देते हैं। हालत ये है कि शासन को सीधी भर्ती के ऊर्जावान, उत्साही व नायब तहसीलदार नहीं मिल रहे हैं। तहसीलों की कार्यक्षमता पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। लिहाजा, सरकार को इस ओर तत्काल ध्यान देना चाहिए और वेतन बैंड-2 के समान वेतनबैंड/ वेतनमान-9300-348 00 और ग्रेड वेतन-4200 को उच्चीकृत कर 4800 करना चाहिए।
-वीके गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्व प्रशासनिक अधिकारी संघ
 


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बीटीसी की अंतिम कटऑफ शीघ्र



अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। बीटीसी में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के लिए अंतिम कटऑफ शीघ्र ही जारी करने की तैयारी है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार अंतिम कटऑफ राज्य स्तर पर जारी की जाएगी। इसे ऑनलाइन देखा जा सकेगा। मेरिट में नाम आने वालों के प्रमाण पत्रों का मिलान करने के बाद इसी माह दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी ताकि शीघ्र ही पढ़ाई शुरू हो सके। इस बार भी सत्र लेट हो गया है। इसे एक अक्तूबर से शुरू होना था।
प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने की योग्यता स्नातक व बीटीसी है। प्रदेश में मौजूदा समय बीटीसी की 33,000 सीटें हैं। इसमें सरकारी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में 10,450 व 451 निजी कॉलेजों में 22,550 सीटें हैं। इसके अलावा करीब 260 और निजी कॉलेजों में 13,000 सीटें बढ़ने की संभावना है। इस बार बीटीसी में प्रवेश के लिए 6,67,697 युवाओं ने आवेदन किया है। आवेदन ऑनलाइन लिए गए हैं। इसलिए मेरिट भी ऑनलाइन ही जारी की जाएगी। एससीईआरटी के निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि ऑनलाइन आए आवेदनों के मिलान के बाद मेरिट जारी की जाएगी। इसके लिए सूची तैयार की जा रही है। शीघ्र ही इसे जारी कर दिया जाएगा।
इसी माह शुरू होगी दाखिले की प्रक्रिया

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आवेदनों की तिथि में फेरबदल



•अमर उजाला ब्यूरो
हरदोई। अब जल्द ही पंचायती राज विभाग में ग्राम पंचायत अधिकारी के रिक्त पदों के लिए आने वाले आवेदनों की संख्या एक बार फिर से बढ़ती हुई दिखाई देगी। पूर्व के जारी विज्ञापन में कुछ कमियां रहने पर पंचायती राज निदेशक ने जिले के विभाग को दोबारा विज्ञापन प्रकाशित कराते हुए आवेदन की तिथि बढ़ाने के निर्देश जारी कर दिए है। जिसके बाद अब आवेदन 19 अक्तूबर तक जमा किए जा सकेंगे।
पंचायती राज निदेशक सौरभ बाबू ने डीपीआरओ को भेजे पत्र में कहा कि जिले से जो विज्ञापन प्रकाशित किया गया है, उनमें स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित, भूतपूर्व सैनिक एवं महिलाओं हेतु क्षैतिज आरक्षण की सुविधा एवं समूह ग के पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया नियामवली 02 व 03 में प्राविधानित व्यवस्थानुसार शैक्षिक योग्यता एवं अन्य अर्हताओं के संबंध में दिए जाने वाले अंकों का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, इसलिए दिए गए विज्ञापन में इसका समावेश कर विज्ञापन पुन प्रकाशित करवाए जाने के निर्देश उनके द्वारा दिए गए। जिसके बाद चयन का आधार भी अब जाकर स्पष्ट कर दिया गया है। बताया गया कि वरीयता सूची इंटरमीडिएट व स्नातक उपाधि के आधार पर बनेगी।
जिसमें इंटरमीडिएट में साठ प्रतिशत या उससे ऊपर पाने वाले को बीस अंक, पैंतालिस प्रतिशत या उससे ऊपर किंतु साठ प्रतिशत से कम वाले को 15 अंक, तैंतीस प्रतिशत या उससे ऊपर किंतु पैंतालिस प्रतिशत से कम वाले को 10 अंक, स्नातक उपाधि में साठ प्रतिशत और उससे ऊपर में दस अंक, पैंतालिस प्रतिशत या उससे ऊपर किंतु साठ प्रतिशत से कम वाले को आठ अंक, तैंतीस प्रतिशत या उससे ऊपर किंतु पैंतालिस प्रतिशत से कम वाले को छह अंक दिए जाएंगे।
इसके अलावा यदि अभ्यर्थी अंतर्राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी हो तो उसे पांच अंक, राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी हो तो चार अंक, राज्य स्तर का खिलाड़ी हो तो तीन अंक एवं विश्वविद्यालय, कालेज या स्कू ल स्तर का खिलाड़ी हो तो दो अंक देय होंगे। बहरहाल तिथि बढ़ने के साथ ही यह तय हो गया कि अब तक आए आवेदनों की संख्या एक लाख 21 हजार से अधिक होने वाली है।
•कमियों को देख अब 19 तक जमा होंगे आवेदन

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आरओ-एआरओ परीक्षा भी कोर्ट में


इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की रविवार को आयोजित समीक्षा अधिकारी / सहायक समीक्षा अधिकारी प्रारंभिक परीक्षा-2013 का मामला भी कोर्ट में जाता दिख रहा है। सामान्य अध्ययन के पेपर में एक खास विषय से अधिक सवाल पूछे जाने का आरोप लगाते हुए अभ्यर्थी रिट दाखिल करने की तैयारी में हैं। इस पेपर में कुल 140 में से तकरीबन 50 सवाल भूगोल से थे। अभ्यर्थियों का कहना है कि इससे कुछ छात्र-छात्राओं को लाभ होगा। अभ्यर्थियों का यह भी आरोप है कि इसमें समसामयिक से सवाल नहीं थे।

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टीजीटी-पीजीटी परीक्षा शीघ्र होने के आसार

  लखनऊ (उप ब्यूरो)। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी-पीजीटी परीक्षा जल्द ही संपन्न होने के आसार बढ़ गए हैं। सोमवार को बोर्ड कार्यालय में हुई प्रदेश के संयुक्त शिक्षा निदेशकों की बैठक में यह संकेत दिए गए। बैठक में न सिर्फ पदों के सत्यापन पर विचार किया गया, बल्कि अदालत के अन्य मामलों में भी प्रभावी कदम उठाने की बात तय की गई। संयुक्त शिक्षा निदेशकों से यह भी कहा गया वे अपने यहां रिक्त प्रधानाचार्य पदों के लिए दो वरिष्ठ अध्यापकों के सेवा अभिलेख जल्द ही भेजें।
बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष देवकी नंदन शर्मा के साथ ही अपर निदेशक दिनेश बाबू शर्मा भी उपस्थित थे। इसमें मुख्य रूप से एलटी और लेक्चरर के पदों का सत्यापन ही मुख्य मुद्दा था। बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि टीजीटी-पीजीटी परीक्षा के मामले में बोर्ड ने जवाबी हलफनामा दे दिया है। अदालत से परीक्षा आयोजित करने की अनुमति मांगी जाएगी। साक्षात्कार से पहले ही सत्यापन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। संयुक्त शिक्षा निदेशकों को इस बात की ताकीद भी की गई कि वे बोर्ड से भेजे गए शिक्षकों को नियुक्ति दिलाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षकों से कहें। यदि ज्वाइनिंग में कोई समस्या है तो उसका सटीक कारण होना चाहिए। मात्र स्थानांतरण से भरने के लिए ज्वाइनिंग न रोकी जाए। इस बात पर चिंता जताई गई कि लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद आदि नगरों से अधियाचन बहुत कम आ रहे हैं। नियुक्तियों से जुड़ी प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए मंगलवार को माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की बैठक होगी। बोर्ड सूत्रों के अनुसार इसमें मुख्य रूप से टीजीटी-पीजीटी परीक्षा के संबंध में विचार किया जाएगा।

रिक्‍त जिला समन्‍वयक (निर्माण) हेतु सेवाप्रदायी संस्‍था द्वारा तैनाती के नवीन आदेश

 


सर्व शिक्षा अभियान के अन्‍तर्गत रिक्‍त जिला समन्‍वयक (निर्माण) कार्य पर सेवाप्रदायी संस्‍था द्वारा तैनाती के नवीन आदेश


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यूपी में तैनात होंगे 3229 सब इंस्पेक्टर



उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने 3229 सब इंस्पेक्टरों को तैनात किए जाने को हरी झंडी दे दी है। इस मामले में अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें विभागीय परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले कांस्टेबलों को सब इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात किए जाने पर रोक लगा दी गई थी। शीर्षस्थ अदालत ने इस पर नाराजगी भी जताई कि हाईकोर्ट ने सफल अभ्यर्थियों की तैनाती पर किस आधार पर रोक लगाई। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि भला सफल अभ्यर्थियों की पोस्टिंग पर कैसे रोक लगाई जा सकती है। जबकि इस मुद्दे पर असफल अभ्यर्थियों की ओर से याचिका दायर की गई हो, तैनाती पर रोक लगाए जाने का आदेश उचित नहीं है। अदालत इस पर रोक लगाती है। जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी अधिवक्ता विभु तिवारी ने तर्क दिया कि असफल अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका पर दिया गया हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है। विभागीय परीक्षा देने वाले कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल में वह भी शामिल थे। सफल नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया कि प्रशिक्षण के लिए भेजे गए 3229 अभ्यर्थियों ने विभागीय परीक्षा में सफलता हासिल की थी। जबकि दूसरी ओर याचिका दायर करने वाले 39 अभ्यर्थी भी उसी परीक्षा में असफल हुए थे।
18996 पदों पर सिर्फ 6063 सब इंस्पेक्टर
पीठ से अधिवक्ता ने कहा कि 18996 पद सब इंस्पेक्टर के राज्य में हैं और मौजूदा समय सिर्फ 6063 इस पद पर सेवाएं दे रहे हैं। भर्ती के नियम के मुताबिक 50 प्रतिशत भर्ती सिविल परीक्षा के माध्यम से और शेष विभागीय परीक्षा में सफलता हासिल करने वालों की इस पद पर नियुक्ति की जानी है।
3229 सफल अभ्यर्थियों को सरकार की ओर से प्रशिक्षण के लिए भेजा गया जिसमें 15.50 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुका है। प्रशिक्षण हासिल कर चुके इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने इसी वर्ष सात जनवरी को रोक लगा दी थी।
जबकि राज्य में करीब 13 हजार सब इंस्पेक्टर के पद खाली हैं। अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि जनहित को ध्यान में रखते हुए अदालत हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करे। पीठ ने अधिवक्ता के तर्क से सहमति जताते हुए हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता रवि प्रकाश मेहरोत्रा ने रणविजय प्रताप सिंह और अन्य के खिलाफ इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने इन्हीं असफल अभ्यर्थियों की याचिका पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। अगस्त, 2012 में सफल हुए 3241 अभ्यर्थियों में से 12 को प्रशिक्षण पर नहीं भेजा गया था, शेष प्रशिक्षण पूरा कर चुके थे और तैनाती के इंतजार कर रहे हैं।
 


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