Tuesday, October 8, 2013

यूपी में तैनात होंगे 3229 सब इंस्पेक्टर



उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने 3229 सब इंस्पेक्टरों को तैनात किए जाने को हरी झंडी दे दी है। इस मामले में अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें विभागीय परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले कांस्टेबलों को सब इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात किए जाने पर रोक लगा दी गई थी। शीर्षस्थ अदालत ने इस पर नाराजगी भी जताई कि हाईकोर्ट ने सफल अभ्यर्थियों की तैनाती पर किस आधार पर रोक लगाई। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि भला सफल अभ्यर्थियों की पोस्टिंग पर कैसे रोक लगाई जा सकती है। जबकि इस मुद्दे पर असफल अभ्यर्थियों की ओर से याचिका दायर की गई हो, तैनाती पर रोक लगाए जाने का आदेश उचित नहीं है। अदालत इस पर रोक लगाती है। जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी अधिवक्ता विभु तिवारी ने तर्क दिया कि असफल अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका पर दिया गया हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है। विभागीय परीक्षा देने वाले कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल में वह भी शामिल थे। सफल नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया कि प्रशिक्षण के लिए भेजे गए 3229 अभ्यर्थियों ने विभागीय परीक्षा में सफलता हासिल की थी। जबकि दूसरी ओर याचिका दायर करने वाले 39 अभ्यर्थी भी उसी परीक्षा में असफल हुए थे।
18996 पदों पर सिर्फ 6063 सब इंस्पेक्टर
पीठ से अधिवक्ता ने कहा कि 18996 पद सब इंस्पेक्टर के राज्य में हैं और मौजूदा समय सिर्फ 6063 इस पद पर सेवाएं दे रहे हैं। भर्ती के नियम के मुताबिक 50 प्रतिशत भर्ती सिविल परीक्षा के माध्यम से और शेष विभागीय परीक्षा में सफलता हासिल करने वालों की इस पद पर नियुक्ति की जानी है।
3229 सफल अभ्यर्थियों को सरकार की ओर से प्रशिक्षण के लिए भेजा गया जिसमें 15.50 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुका है। प्रशिक्षण हासिल कर चुके इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने इसी वर्ष सात जनवरी को रोक लगा दी थी।
जबकि राज्य में करीब 13 हजार सब इंस्पेक्टर के पद खाली हैं। अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि जनहित को ध्यान में रखते हुए अदालत हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करे। पीठ ने अधिवक्ता के तर्क से सहमति जताते हुए हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता रवि प्रकाश मेहरोत्रा ने रणविजय प्रताप सिंह और अन्य के खिलाफ इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने इन्हीं असफल अभ्यर्थियों की याचिका पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। अगस्त, 2012 में सफल हुए 3241 अभ्यर्थियों में से 12 को प्रशिक्षण पर नहीं भेजा गया था, शेष प्रशिक्षण पूरा कर चुके थे और तैनाती के इंतजार कर रहे हैं।
 


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