Monday, October 7, 2013

टीइटी अभ्यर्थियों ने बनाई संघर्ष की रणनीति

 जागरण संवाददाता, महराजगंज: टीइटी संघर्ष मोर्चा की जिला स्तरीय बैठक बीआरसी सदर पर संपंन हुई, जिसमें अभ्यर्थियों के एकजुटता पर बल देते हुए संघर्ष की रणनीति तैयार की गई।
जिलाध्यक्ष महेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि चयन का आधार टीईटी मेरिट हो या शैक्षिक मेरिट हो, इस बात को भुलाते हुए सभी टीईटी अभ्यर्थी एक जुट होकर तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराने के लिए संघर्ष मोर्चा के साथ संघर्ष करने के तैयार हो जायें। उन्होंने कहा कि सपा सरकार उच्च न्यायालय में सकारात्मक सहयोग दें, ताकि जल्द न्यायालय से फैसले सकें और एनसीटीइ द्वारा निर्धारित आखिरी समय सीमा 31 मार्च 2014 से पहले नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो सके।
जिला मंत्री मदन यादव ने कहा कि आखिर सरकार नियुक्ति के लिए ऐसा विज्ञापन क्यों निकालती है कि कोर्ट से रोक लग जाय। उन्होंने कहा कि लोक सभा चुनाव नजदीक है, हम सभी अभ्यर्थी चुनाव में उसी पार्टी को सहयोग करेंगे जो इस विकट परिस्थितियों में अभ्यर्थियों का सहयोग करेगी। बैठक को हरि प्रकाश गुप्ता, सुनील वर्मा, राकेश अग्रहरि, व्यासमुनि जायसवाल, राकेश त्रिपाठी, शीतल अग्रहरि, प्रवीण पटेल, त्रिभुवन नाथ गुप्त, राम शरन, शेषमणि वर्मा, संतोष पटेल, राजेश कुमार, कमलेश कुमार, लाल बहादुर सिंह आदि उपस्थित रहे।


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टीइटी अभ्यर्थियों ने बनाई संघर्ष की रणनीति

 जागरण संवाददाता, महराजगंज: टीइटी संघर्ष मोर्चा की जिला स्तरीय बैठक बीआरसी सदर पर संपंन हुई, जिसमें अभ्यर्थियों के एकजुटता पर बल देते हुए संघर्ष की रणनीति तैयार की गई।
जिलाध्यक्ष महेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि चयन का आधार टीईटी मेरिट हो या शैक्षिक मेरिट हो, इस बात को भुलाते हुए सभी टीईटी अभ्यर्थी एक जुट होकर तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराने के लिए संघर्ष मोर्चा के साथ संघर्ष करने के तैयार हो जायें। उन्होंने कहा कि सपा सरकार उच्च न्यायालय में सकारात्मक सहयोग दें, ताकि जल्द न्यायालय से फैसले सकें और एनसीटीइ द्वारा निर्धारित आखिरी समय सीमा 31 मार्च 2014 से पहले नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो सके।
जिला मंत्री मदन यादव ने कहा कि आखिर सरकार नियुक्ति के लिए ऐसा विज्ञापन क्यों निकालती है कि कोर्ट से रोक लग जाय। उन्होंने कहा कि लोक सभा चुनाव नजदीक है, हम सभी अभ्यर्थी चुनाव में उसी पार्टी को सहयोग करेंगे जो इस विकट परिस्थितियों में अभ्यर्थियों का सहयोग करेगी। बैठक को हरि प्रकाश गुप्ता, सुनील वर्मा, राकेश अग्रहरि, व्यासमुनि जायसवाल, राकेश त्रिपाठी, शीतल अग्रहरि, प्रवीण पटेल, त्रिभुवन नाथ गुप्त, राम शरन, शेषमणि वर्मा, संतोष पटेल, राजेश कुमार, कमलेश कुमार, लाल बहादुर सिंह आदि उपस्थित रहे।


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टीईटी घोटाले के आरोपी संजय मोहन परिष्‍ाद चुनाव लड़ेंगे

 रायबरेली। डेढ़ साल पहले हुए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) घोटाले के आरोपी पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन ने रविवार को रायबरेली में विधान परिषद स्नातक क्षेत्र के एमएलसी का चुनाव लड़ने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे 11 वर्षों तक माध्यमिक शिक्षा के उच्च पदों पर काम कर चुके हैं टीईटी घोटाले में जेल जाने पर उन्होंने सफाई दी कि सभी को मालूम है कि उन्हें फंसाया गया था।
संजय मोहन ने दावा किया कि उन्होंने शिक्षक हितों के लिए हमेशा काम किया है। प्रतिनिधि के रूप में आगे भी शिक्षकों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाकर उन्हें पूरा कराने का प्रयास करेंगे। उन्होेंने कहा कि उच्च पदों पर रहते हुए शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का पूरा प्रयास किया। शिक्षकों की कमी दूूर करने की भी उनकी कोशिश रही। तमाम उतार-चढ़ाव आनेे के बाद भी शिक्षक हितों के लिए काम किया। बाद में उन्होंने रिफार्म क्लब में शिक्षकों की बैठक को भी संबोेधित किया और शिक्षकों से चुुनाव में सहयोग मांगा।
गौरतलब है कि बसपा राज में हुई टीईटी में घोटाले के आरोप में एक साल से ज्यादा जेल में रहने के बाद संजय मोहन हाल में सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहा हुए हैं।
जेल जाने पर दी सफाई, मुझे फंसाया गया था
शिक्षकों की बैठक कर मांगा सहयोग, कहा- शिक्षक हितों की मांगें उठाएंगे


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समीक्षा अधिकारी परीक्षा में भूगोल बना'पहाड़'



Updated on: Sun, 06 Oct 2013 10:12
PM (IST)
लखनऊ (उप ब्यूरो) उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों के लिए रविवार को भूगोल के सवाल पहाड़ बन गए। सामान्य अध्ययन में लगभग पचास
फीसदी सवाल भूगोल से ही जुड़े हुए थे। अभ्यर्थियों का कहना था कि सामान्य अध्ययन में सभी विषयों से जुड़े प्रश्नों को बराबरी से शामिल किया जाना चाहिए था। परीक्षा में रविवार को 56 फीसद छात्र ही शामिल हुए। 44 फीसद छात्र
गैरहाजिर रहे। समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा के लिए प्रदेश में 993 केंद्र बनाए गए थे। दूरदराज केंद्र बनाए जाने से अभ्यर्थियों को काफी देर तक भटकना भी पड़ा। सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र पर
प्रतियोगी छात्रों ने विशेषज्ञता का सवाल भी उठाया। इसमें अस्सी फीसद से अधिक सवाल सामान्य ज्ञान से जुड़े हुए थे जिनमें निश्चित तथ्यों के आधार ही जवाब देना था। परीक्षार्थियों के अनुसार अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्रों से यह भिन्न था। उनमें बोधगम्यता के आधार पर भी सवाल पूछे जाते हैं। कुछ
सवालों को लेकर परीक्षार्थी भ्रम में भी पड़े। दूसरी पाली में सामान्य हिंदी की परीक्षा थी, जिसको लेकर परीक्षार्थी सहज थे। --------------- --------
'उग्रवादी'शब्द पर जताई आपत्ति परीक्षार्थियों ने सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र की डी सीरीज के 66वें सवाल पर भी आपत्ति जताई। उसमें पूछा गया था कि इनमें'उग्रवादी'कौन थे। विकल्पों में फिरोज शाह मेहता, गोपाल कृष्ण गोखले, विपिन चंद्र पाल और उपरोक्त में कोई नहीं बताया गया था। छात्रों का कहना था कि सवाल के साथ उग्रवादी शब्द नहीं जोड़ा जाना चाहिए था। अंग्रेजी में'इक्स्ट्रीमिस्ट 'शब्द का प्रयोग किया था। हिंदी में अतिवादी लिखा जाना चाहिए था।


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चुनाव आते ही शिक्षामित्रो की याद

 जागरण ब्यूरो, लखनऊ : लोकसभा चुनाव की आहट ने सरकार को शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की याद दिलायी है। बेसिक शिक्षा विभाग इस दिशा में सक्रिय हुआ है। इस मुद्दे पर उसने मानव संसाधन विकास मंत्रलय से चर्चा भी शुरू की है। मंशा है कि शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाकर 8,000 रुपये प्रति माह कर दिया जाए।

प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 1.7 लाख शिक्षामित्र हैं जिन्हें हर महीने 3,500 रुपये मानदेय मिलता है। मानदेय बढ़ाने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी केंद्र सरकार को पत्र भेज चुके हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के एक उच्च अधिकारी के मुताबिक इस बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रलय से बात की गई है। उन्होंने बताया कि मानदेय बढ़ाने के बारे में वित्त विभाग से मशविरा किया जाएगा। शिक्षामित्र खुद को स्थायी शिक्षक बनाये जाने या मानदेय बढ़ाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद अप्रशिक्षित शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाना संभव नहीं था। लिहाजा बसपा सरकार ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा के जरिये प्राथमिक शिक्षाशास्त्र में दो वर्षीय ट्रेनिंग दिलाने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से जनवरी 2011 में मंजूरी हासिल की। वहीं समाजवादी पार्टी ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए सत्ता में आने पर शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाने का चुनावी वादा किया। दो वर्षीय प्रशिक्षण पूरा करने वाले शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाने के बारे में सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत है।

point to be noted ...sarkaar jaanti hai TET se raahat nahi de paayegi tabhi maandey badhaane ki baat kar rahi hai

बेसिक शिक्षा विभाग इस बारे में शासनादेश भी जारी कर चुका है। शासनादेश के मुताबिक दो वर्षीय प्रशिक्षण पूरा करने वाले शिक्षामित्रों के पहले बैच को स्थायी शिक्षक के तौर पर जनवरी 2014 में समायोजित किया जाना था। ऐसा कर सपा सरकार अगले लोकसभा चुनाव में इसका फायदा उठाना चाहती थी। इस बीच हाई कोर्ट ने कक्षा आठ तक के शिक्षकों की नई भर्तियों में अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता का आदेश देकर सरकार के मंसूबों पर पानी फेर दिया। लिहाजा चुनाव के मद्देनजर सरकार शिक्षामित्रों को खुश करने के लिए अब उनका मानदेय बढ़ाने की दिशा में सक्रिय हुई है।
 


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UPTET / Shiksha Mitra : समायोजन में टीईटी कैसे जरूरी


सिद्धार्थनगर : अध्यापकों की नई नियुक्ति के लिए टीईटी अनिवार्य की है। समायोजन प्रक्रिया में टीईटी कैसे जरूरी करार दी जाए सकती है। दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षा मित्रों का समायोजन होना है, ऐसे में सरकार शिक्षा मित्रों को टीईटी से मुक्त करते हुए पूर्ण कालिक अध्यापक पद पर तैनाती की प्रक्रिया सुनिश्चित कराए।

उक्त बातें आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष हेमंत शुक्ला ने कही। रविवार को स्थानीय बीआरसी प्रांगण में आयोजित संगठन की बैठक को संबोधित करते हुए श्री शुक्ला ने अध्यापक नियमावली 1981 में 18वें संशोधन के जरिए समायोजन निर्धारित समय अंदर पूर्ण कराने पर जोर दिया। जिला महामंत्री श्याम बिहारी चौधरी ने कहा कि प्रशिक्षण पूर्ण करने जा रहे 60 हजार शिक्षा मित्रों का जनवरी 2014 में पूर्ण कालिक शिक्षक पद पर समायोजन होना है, इसके लिए सरकार भी प्रयासरत हैं मगर बीच में किसी प्रकार व्यवधान उत्पन्न किया गया तो संगठन हर स्तर पर संघर्ष करेगा इसके लिए सभी शिक्षा मित्र तैयार रहें। ब्लाक अध्यक्ष अमीरूल्लाह ने चार माह से मानदेय भुगतान का मुद्दा उठाया जिस पर जनपदीय पदाधिकारियों अधिकारियों से वार्ता करके शीघ्र निस्तारण करने का आश्वासन दिया।

मनव्वर खां, वीरेन्द्र सिंह, पवन शुक्ला, नफीस, दीप नारायण, पवन पाठक, अवधेश, अनीता पाण्डेय, फरहीन जहां, मसूद अख्तर, सोनी, मधुलता, रीना चौधरी, सेतु प्रसाद, विजय, राकेश यादव, अजय, शैलेन्द्र गुप्ता आदि मौजूद रहे


Sabhaar: Jagran ( 6.10.13)

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10 साल बाद होगी बेसिक शिक्षा में बाबुओं की भर्ती


  • बीएसए कार्यालय के साथ साथ डायट, ब्लॉक आफिस के अलावा कई निदेशालय ऐसे हैं, जहां कई सालों से भर्तियां नहीं
  • अधिकतर दफ्तरों में शिक्षकों से लिया जा रहा है क्लर्क का काम
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद में करीब 10 साल बाद बाबुओं की भर्ती होगी। इसके लिए जिलेवार रिक्तियों का ब्यौरा तैयार कराया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी निदेशालय को दी गई है। खाली पदों का ब्यौरा मिलने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। भर्तियां जिला स्तर पर होंगी। सरकार का मानना है कि किसी भी विभाग का काम सुचारु रूप से चलाने के लिए कर्मचारियों का होना सबसे अधिक जरूरी होता है। इसलिए विभागों के रिक्त पदों को शीघ्र ही भरा जाना चाहिए।
 
उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग का बहुत बड़ा दायरा है। जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय होने के साथ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), ब्लॉक आफिस के अलावा कई निदेशालय ऐसे हैं, जहां कई सालों से भर्तियां नहीं हुई हैं। इसके चलते अधिकतर दफ्तरों में शिक्षकों को बाबू बनाकर काम चलाया जा रहा है या फिर कार्यदायी संस्था के माध्यम से कर्मचारियों को रखकर काम चलाया जा रहा है।
 Post Copied From : प्राइमरी का मास्टर . कॉम Read more @ http://primarykamaster.com 
स्थायी कर्मचारियों के न होने की वजह से किसी की स्पष्ट जवाबदेही नहीं होती है। यही नहीं कभी-कभार तो स्थिति यह हो जाती है कि निदेशालय या फिर शासन को समय से सूचनाएं नहीं मिल पाती हैं। इसलिए उच्च स्तर पर यह तय किया गया है कि लिपिक और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों को भर दिया जाए, ताकि समय से काम हो सके। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद ब्लॉक संसाधन केंद्र, बेसिक शिक्षा अधिकारी और निदेशालय का काम काफी बढ़ गया है। भर्तियां हो जाने के बाद काम में आसानी होगी। 
 

खबर साभार : अमर उजाला

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