नौकरी पाएंगे और चंद
माह में हो
जाएंगे रिटायर
• अमर उजाला ब्यूरो
सीतापुर। शासन की
ओर से उर्दू
शिक्षकों की भर्ती
प्रक्रिया 17 साल बाद
हो रही है।
भर्ती प्रक्रिया में
आवेदन की आयु
सीमा 62 साल निर्धारित
कर दी गई
है। 58 साल की
उम्र पूरी कर
चुके लोगों ने
भी भर्ती प्रक्रिया
में ऑनलाइन आवेदन
कर दिया। कई
ऐसे आवेदक भी
हैं जिनकी उम्र
60 साल के आसपास
है। 62 साल में
रिटायरमेंट की अवधि
रखी गई है।
कई आवेदक तो
नौकरी पाते ही
चंद माह में
सेवानिवृत्त भी हो
जाएंगे। आवेदन करने वालों
में ज्यादातर लोग
55 साल से ऊपर
की आयु में
हैं।
वहीं आवेदन के लिए
अर्जी देने वाले
युवा उर्दू स्नातक
सरकार के इस
फरमान से हैरत
में हैं।
उर्दू स्नातकों की भर्ती
के लिए निकाले
गए विज्ञापन में
आवेदकों की आयु
सीमा बढ़ाकर 62 साल
कर दी गई
है। इस छूट
के बाद कई
उम्रदराज लोगों ने भी
नौकरी की चाहत
में ऑनलाइन आवेदन
कर दिया। जिले
में 107 उर्दू शिक्षकों की
नियुक्ति की जानी
है, जबकि मौजूदा
समय में जिले
में 200 उर्दू स्नातक हैं।
शर्त रखी गई
है कि आवेदक
ने 1997 से पूर्व
उर्दू स्नातक की
डिग्री ली हो।
इसी का लाभ
उठाकर कई उम्रदराज
लोगों में भी
नौकरी की हसरत
जाग उठी। 58 साल
की उम्र में
ऑनलाइन आवेदन कर दिया।
विभाग के एक
अधिकारी की मानें
तो उम्रदराज लोगों
के चयन होने
की स्थिति में
ये लोग दूरदराज
के इलाकों तक
पढ़ाने कैसे पहुंचेंगे,
इस पर भी
मंथन होना चाहिए।
विभागीय जानकारों के मुताबिक
अक्तूबर 1996 के बाद
पहला मौका होगा,
जब खालिस उर्दू
की तालीम पाने
वाले आवेदकों को
सरकारी नौकरी हासिल होगी।
मोआल्लिम-ए-उर्द
ू पास आवेदकों
की आयु में
छूट देकर 62 वर्ष
कर दी गई
है। कजियारा के
सामाजिक कार्यकर्ता मंजर रिजवी
कहते हैं कि
संभव है कि
नियुक्तियों का चुनावी
लाभ मिले। पर
बेहतरीन अवसर को
कोई क्यों हाथ
से जाने दे।
एक मदरसा संचालक कारी
सलाउददीन का मानना
है कि रिटायरमेंट
की उम्र में
बुजुर्ग शिक्षक दूरदराज के
इलाकों में कैसे
पढ़ाने जाएंगे। खुद थके
होंगे, तो पढ़ाना
मुश्किल भी होगा।
उन्होंने कहा कि
राज्य सरकार को
इस फैसले पर
पुनर्विचार करना चाहिए।
वहीं कई अन्य
आवेदकों का कहना
है कि उम्रदराज
लोग महज मेरिट
बढ़ाएंगे। सरकार को सोचना
चाहिए। इससे अन्य
जरूरतमंदों को दिक्कतें
होंगी।
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