इलाहाबाद।
सरकारी विभागों में चतुर्थश्रेणी
कर्मचारियों की नियुक्ति
बंद करने के
फैसले को हाईकोर्ट
ने अवैधानिक करार
दिया है। कोर्ट
ने प्रदेश सरकार
द्वारा जारी आठ
सितंबर 2010 के शासनादेश
के पैरा दो
को अवैधानिक और
असंवैधानिक करार देते
हुए रद्द कर
दिया है। इस
आदेश के बाद
से चतुर्थ श्रेणी
पदों पर आउट
सोर्सिंग से काम
कराने के सरकारी
मंसूबे पर पानी
फिर गया है।
पुलिस विभाग में
खानसामा और सफाईकर्मियों
के पदों पर
नियुक्ति के मामले
में दाखिल की
गई याचिकाओं पर
सुनवाई कर रहे
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने
कहा कि सरकार
का यह निर्णय
संविधान के अनुच्छेद
14, और 16 के विपरीत
होने के कारण
असंवैधानिक है।
‘आउट
सोर्सिंग’ पर विस्तार
से चर्चा करते
हुए न्यायालय ने
कहा कि इसका
अर्थ है कि
सरकार चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों
का कार्य मजदूर
सप्लाई करने वाले
ठेकेदारों के द्वारा
कराना चाहती है।
इस व्यवस्था से
सिस्टम में तीसरे
पक्ष का भी
प्रवेश होगा। जाहिर है
कि सरकार सेवा
उपलब्ध कराने के लिए
बाहर के लोगों
का सहारा लेगी
जिसके लिए उसे
सेवाकर भी चुकाना
होगा। इसलिए यह
निर्णय मनमाना, अतार्किक और
अकारण है तथा
संविधान के अनुच्छेद
14 व 16 के विपरीत
है।
चतुर्थश्रेणी
कर्मचारियों की नियुक्ति
के लिए सरकार
ने विधायन बनाया
है। इस वैधानिक
व्यवस्था को एक
शासनादेश के माध्यम
से समाप्त करने
को कोर्ट ने
अवैधानिक करार दिया
है।
पुलिस
विभाग में चतुर्थश्रेणी
के पदों पर
आवेदन करने वाले
अभ्यर्थियों रावेंद्र सिंह और
अन्य की याचिकाओं
को स्वीकार करते
हुए न्यायमूर्ति अग्रवाल
ने पुलिस विभाग
को निर्देश दिया
है कि दो
माह के भीतर
याचीगणों को नियुक्तिपत्र
जारी कर दिया
जाए।
याचीगणों
ने खानसामा और
सफाईकर्मी के पद
पर आवेदन किया
था। उनका चयन
हो गया और
सत्यापन भी करा
लिया गया। इसके
बाद भी नियुक्तिपत्र
नहीं दिया गया।
Source: अमर उजाला
ब्यूरो
•हाईकोर्ट
ने चतुर्थ श्रेणी
पदों पर ‘आउट
सोर्सिंग’ संबंधी शासनादेश किया
रद्द
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