- सीएसजेएमयू ने ई-गवर्नेस पर लगाई मुहर
- परीक्षा फार्म की गलतियां कालेज में हो सकेंगी दुरुस्त
- प्रपत्रों का शुल्क (रुपये में)
- डिग्री 800
- अस्थाई डिग्री 300
- माइग्रेशन 300
- मार्कशीट 300
कानपुर, जागरण संवाददाता : छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से पास आउट हो चुके छात्रों को प्रोविजनल डिग्री के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
दुनिया के किसी भी कोने में बैठे छात्र अब आनलाइन अपनी डिग्री हासिल कर सकेंगे।
माउस के एक क्लिक से प्रोविजनल डिग्री कंप्यूटर स्क्रीन पर होगी। सोमवार को विश्वविद्यालय ने ई-गर्वनेंस पर मुहर लगाने के साथ ही छात्रों की प्रोविजनल डिग्री के अलावा माइग्रेशन व मार्कशीट भी आनलाइन प्राप्त करने की राह खोल दी इससे विश्वविद्यालय में लूट खसोट व सक्रिय दलालों पर भी शिकंजा कस जाएगा।
एक जनवरी से ई-चालान गेटवे, व इंटरनेट बैंकिंग के जरिए फीस जमा करके छात्र अपने यह सभी प्रपत्र हासिल कर सकेंगे। सोमवार को प्रेसवार्ता के दौरान कुलपति प्रो.जेवी वैशंपायन ने जानकारी देते हुए बताया कि 2005 से 2014 तक की अस्थाई डिग्री छात्र आनलाइन प्राप्त कर सकेंगे। यह छह महीने के लिए वैध होगी जबकि इस समय अंतराल में जितनी बार चाहें वह इसे डाउनलोड कर सकते हैं। स्नातक के छात्रों को 2012-13 से व स्नातकोत्तर के छात्रों को 2013-14 से आनलाइन माइग्रेशन सार्टिफिकेट मिलेगा। वहीं स्नातक प्रथम व द्वितीय वर्ष की आनलाइन मार्कशीट उन्हें 2014-15 मिलनी शुरू हो जाएगी।
अंतिम वर्ष की मार्कशीट उन्हें कालेज से मिलेगी। इसी मार्कशीट में पहले व दूसरे वर्ष के अंकों का विवरण मार्कशीट के रूप में ही शामिल रहेगा। वार्ता में कुलसचिव सैय्यद वकार हुसैन व प्रोफेसर आरसी कटियार भी मौजूद थे।
गेटवे, ई-चालान व इंटरनेट बैंकिंग से लें डिग्री
सिस्टम मैनेजर डा. सरोज द्विवेदी ने डिमांस्टेशन के जरिए ई-गर्वनेंस सुविधा की जानकारी देते हुए बताया कि अगले वर्ष से डिग्री के लिए सीमित शहरों में बैंक से टोकन लेने का संकट छात्रों के सामने नहीं होगा। 14 जिलों में संचालित डिग्री कॉलेज में अध्ययनरत 12 लाख छात्र कहीं से भी गेटवे, ई-चालान व इंटरनेट बैंकिंग के जरिए फीस जमा करके डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। फीस जमा करने के बाद उन्हें केवल एक बार डिग्री लेने विश्वविद्यालय आना होगा। इसके साथ टोकन व्यवस्था भी पहले की तरह जारी रहेगी।
छात्रों के प्रपत्रों को ऑनलाइन करने से पेपर की खपत कम होगी। इससे औसतन 20 फीसद की बचत होगी।1ऑनलाइन भेजना होगा अंकों का विवरण
प्रायोगिक व मौखिक परीक्षाओं के अंक अब कॉलेजों को ऑनलाइन भेजने होंगे। सत्र 2014-15 की परीक्षाओं के अंक विश्वविद्यालय ऑनलाइन भेज सकेंगे। इसमें अधिकतम अंकों से अधिक अंक भेजने की गलती भी पकड़ी जा सकेगी।
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