१६ दिसंबर के अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने साइंस-आर्ट्स, मेल-फीमेल,
विशेष आरक्षण सभी कोटे को हटाकर सामान्य १०५ और जातिगत आरक्षण के तहत
६५%=९७.५ या ९७ तक भर्ती करने को कहा है तो यह साफ़ संकेत है कि यह आदेश
७२८२५ भर्ती पर प्रभावी नहीं हो सकता वरन केवल ०३ लाख रिक्त पदों ही पर
प्रभावी हो सकता है. क्योकि फिलहाल के आदेश को पालन करने के लिए कम से कम
०१ लाख आवेदकों की भर्ती करनी होगी और विज्ञापन ७२८२५ का ही था.
मतलब साफ़ है कि सुप्रीम कोर्ट २०१२ में रिक्त सभी ०३ लाख पद भरवाने को
उत्सुक है और ऐसा भी पता चला है कि तीन साल से रुकी भर्ती के कारण रिक्त
पदों की संख्या ०४ लाख से अधिक हो गयी है. अगर ऐसा है तो सभी टेट पास
आवेदकों के समायोजन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है: लेकिन अगर ऐसा
नहीं है तथा केवल ७२८२५ पदों की बात है तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन
ही नहीं हो पायेगा.
अब सरकार के सामने एक सीधा रास्ता है कि वह दोनों
विज्ञापन भरे जाने पर राजी हो और उसके बाद बाकी बचे पदों के लिए विज्ञापन
निकाले, या फिर सभी टेट पास आवेदकों का समायोजन करे.
क्योकि अगर आरटीई
एक्ट को ध्यान में रखकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है तभी यह आदेश लागू
हो सकता है और तब सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार से हर हाल में खाली सभी पद
भरवाए जायेंगे.
सबसे ज्यादा फजीहत सरकार की हुई है कि वह इस आर्डर को
इम्प्लीमेंट कैसे करती है. वैसे गर कोर्ट का रुख आर०टी०ई० एक्ट को लेकर
कडा हो चुका है तो सरकार के लिए यही अच्छा है कि वह या तो दोनों विज्ञापन
पर राजी हो या फिर सभी आवेदकों के समायोजन पर अन्यथा यदि कोर्ट उससे
जबरदस्ती सभी का समायोजन करवाती है तो नियुक्त होने वाले कोर्ट के प्रति
आभारी हो जायेंगे और उत्तर प्रदेश में यह सपा का आख़िरी कार्यकाल होगा.
आगे
- सरकार इस आर्डर को पालन करने में असमर्थता जताकर फिर से विचार करने की प्रार्थना के साथ कोर्ट जाती है या
- वर्त्तमान काउंसलिंग जारी रखकर उसमे बहुत कम मेरिट वाले विशेष आरक्षण वालो को निकालकर पद जोड़कर आगे काम करती है या
- नए सिरे से काउंसलिंग शेड्यूल जारी करती है या
- दोनों विज्ञापन या सबके समायोजन जैसा कुछ करती है,
यह तो सरकार के स्टेटमेंट के
बाद ही पता चलेगा.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि सरकार प्रदेश में
रिक्त ०३ या ०४ लाख पदों में से कोर्ट में कितने पद रिक्त बताएगी और उसे
जल्द से जल्द कैसे भरने की योजना प्रस्तुत करेगी.
जब तक सुप्रीम कोर्ट
का आर्डर वेबसाईट पर नहीं आ जाता और उसे पढ़ नहीं लिया जाता तब तक कुछ भी
ठीक से कहना कठिन है कि आगे क्या होने वाला है. एससी वर्ग के लिए भी
कन्फ्यूजन है कि उनके लिए ६०%है या ६५% यह भी कोर्ट आर्डर आ जाने के बाद ही
क्लीयर होगा.
फिलहाल मेरे समझ से आर्डर से किसी को निराश होने की
जरूरत नहीं है क्योकि यह आर्डर तभी लागू हो सकता है जब ७२८२५ पदों का
महत्त्व समाप्त होकर सभी रिक्त ०३ लाख पदों के भरे जाने की बात हो, अन्यथा
नहीं.
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