हटाए जाएंगे गलत तरीके से नियुक्त कर्मी
इलाहाबाद। प्रदेश के नगर निकायों में मानकों के विरुद्ध नियुक्त किए गए संविदाकर्मियों की सेवाएं अब कभी भी समाप्त की जा सकती है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की संविदाकर्मियों को हटाने की नीति को सही करार दिया है। सरकार ने ऐसे संविदाकर्मियों को हटाने का निर्णय लिया है जिनकी नियुक्ति गलत तरीके से हुई है। संविदा कर्मियों ने इस नीति को याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी।
एकल न्यायपीठ से याचिका खारिज होने के बाद इसे विशेष अपील में चुनौती दी गई। मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने सरकार की नीति को सही करार देते हुए याचिका खारिज कर दी। प्रदेश सरकार ने 29 जुलाई 2012 को संविदाकर्मियों की नियुक्ति को लेकर एक परिपत्र जारी किया।
इसमें सभी जिलाधिकारियों, नगर आयुक्तों और स्थानीय निकायों के निदेशकों को निर्देश दिया गया कि नियम विरुद्ध की गई संविदाकर्मियों की नियुक्ति को समाप्त कर दिया जाए। नगर पंचायत कन्नौज और नगर पंचायत समाधन में संविदा पर रखे गए नलकूप ऑपरेटरों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। 23 जुलाई 2012 की नीति को रद करने की मांग की गई। एकल न्यायपीठ ने नीति में कोई अवैधानिकता या त्रुटि नहीं पाने के आधार पर याचिका खारिज कर दी। इसके खिलाफ विशेष अपील दाखिल की गई थी।
सही जांच न हुई तो तलब होंगे अफसर
इलाहाबाद (ब्यूरो)। पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में चल रही विजलेंस जांच की प्रगति पर हाईकोर्ट ने असंतोष जाहिर किया है। कोर्ट ने साफ किया है कि रसूखदार होने का अर्थ यह नहीं है कि कोई कानून से बच सकता है। अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि विजलेंस जांच सही नहीं पाई गई तो जांच अधिकारी और जांच की निगरानी कर रहे अधिकारियों को अदालत में तलब किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने अब तक की गई जांच की रिपोर्ट 24 नवंबर तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने खारिज की विशेष अपील
पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला
अमर उजाला ब्यूरो
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