एक
चौथाई शिक्षक और एक तिहाई प्रधानाध्यापकों के पद खाली
तीन
वर्षो से भर्ती पर रोक लगी होने से पठन-पाठन हुआ प्रभावित
जागरण
संवाददाता, लखनऊ : शिक्षकों के टोटे ने बच्चों की शिक्षा हाशिये पर आ गई है। राजधानी
में ही सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापकों के एक तिहाई जबकि शिक्षकों
के एक चौथाई पद खाली हैं। प्रदेश में 3211 सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों की भी
यही स्थिति है। शिक्षकों की कमी के कारण सर्व शिक्षा अभियान भी बेअसर हो रहा है। बेसिक
शिक्षा अधिकारी एसएन चौरसिया का कहना है कि अभी तक नियुक्ति के संबंध में राज्य सरकार
का कोई आदेश नहीं आया है। यदि कोई आदेश आता है तो अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षकों
की भर्ती पर बीते तीन वर्ष से रोक लगी है। राजधानी में 41 सहायता प्राप्त जूनियर विद्यालय
हैं, इनमें 18 में प्रधानाध्यापक नहीं हैं। वहीं तकरीबन 40 शिक्षकों के पद खाली हो
चुके हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के रवैए के कारण भर्ती से रोक नहीं हट
नहीं पा रही है। एक ओर सरकार सर्व शिक्षा अभियान के तहत छात्र-शिक्षक अनुपात को दुरुस्त
करने में लगी है वहीं दूसरी ओर भर्ती न होने से विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से
छात्रों का पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सेवानिवृत्ति व अन्य कारणों से शिक्षकों की कमी
ने हालत और खराब कर दिए हैं। शासन स्तर से प्रधानाध्यापक तथा सहायक अध्यापक के पदों
पर नियुक्ति के लिए पांच दिसंबर 2012 को दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। इसके लिए
प्रस्ताव भी जमा किए गए। यह प्रक्रिया भी लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। आपसी खींचतान
में बच्चों का नुकसान हो रहा लेकिन इससे कोई सरोकार नहीं दिखा रहा।
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