Friday, December 6, 2013

यूपी प्राथमिक शिक्षा में फिर निकला फिसड्डी



बृजेश सिंह
नई दिल्ली। देश में प्राथमिक शिक्षा के मामले में उत्तर प्रदेश एक बार फिर फिसड्डी साबित हुआ है। इस मामले में देश के कुल 35 राज्य केंद्र शासित प्रदेशों में उत्तर प्रदेश 34वें स्थान पर है। उससे नीचे सिर्फ झारखंड ही है। प्राइमरी अपर प्राइमरी स्तर पर वर्ष 2012-13 के लिए मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण से यह तथ्य सामने आया है। सर्वेक्षण के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है। जबकि सरकारी स्कूलों में पिछले कुछ सालों में भारी निवेश हुआ है।
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन और डायस ने देश के सभी राज्यों के सरकारी निजी स्कूलों के आधार पर प्राथमिक शिक्षा के विकास एवं स्थिति पर सर्वेक्षण का जो शुरुआती आंकड़ा जारी किया है वह यूपी के लिए काफी चेतावनी भरा है। आरटीई लागू होने के बाद राज्य में स्कूलों के भवन निर्माण से लेकर टीचर ट्रेनिंग तक बहुत सारे कार्यक्रम चले हैं लेकिन वे दूसरे राज्यों की तुलना में काफी पीछे रहे। यही कारण है कि आज देश में सर्वाधिक उम्र दराज शिक्षकों का औसत भी उत्तर प्रदेश में है क्योंकि यहां तमाम कोशिशों के बावजूद नए शिक्षकों की भर्ती का मामला लटका हुआ है। सरकारी स्कूलों में हर छठा शिक्षक और सहायता प्राप्त स्कूलों में हर चौथा शिक्षक 55 साल से ज्यादा की उम्र का है। जबकि निजी स्कूलों में मात्र छह फीसदी इस उम्र के हैं।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में हालांकि अभी भी पचास फीसदी से अधिक छात्र सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं लेकिन हर साल तेजी से इनकी संख्या में गिरावट दर्ज हो रही है। जबकि निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2011-12 की तुलना में इस साल सरकारी स्कूलों में प्राइमरी स्तर पर 8.90 लाख अपर प्राइमरी में 33 हजार कम छात्रों का दाखिला हुआ है।
दूसरी ओर निजी स्कूलों में प्राइमरी स्तर पर 10.55 लाख तथा अपर प्राइमरी स्कूलों में 12 लाख से भी ज्यादा छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह अंतर तब है जबकि पिछले कुछ सालों में सरकार ने हजारों की संख्या में प्राइमरी एवं अपर प्राइमरी स्कूलों का निर्माण कराया है। स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता की गिरावट को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है।
आल इंडिया रैंकिंग में 34वां स्थान सिर्फ झारखंड है इससे नीचे
-बड़ी संख्या में बच्चे निजी स्कूूलों में हो रहे हैं शिफ्ट


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