लखनऊ
(एसएनबी)। बेसिक
शिक्षा मंत्री राम गोबिंद
चौधरी ने कहा
है कि पूर्ववर्ती
सरकार के समय
निकले विज्ञापन के
आधार पर शिक्षक
भर्ती के लिए
आवेदन करके फिर
उसे वापस ले
लेने वाले टीईटी
अभ्यर्थियों को अब
मौका नहीं दिया
जायेगा। उन्होंने कहा कि
पूर्ववर्ती सरकार के अलावा
सपा सरकार के
समय अध्यापकों की
भर्ती के लिए
निकाले गये विज्ञापन
के आधार पर
शिक्षकों की नियुक्ति
की जायेंगी। श्री
चौधरी मंगलवार को
विधानसभा में रालोद
सदस्य दलवीर सिंह,
भाजपा के उपेन्द्र
तिवारी,डा. अरूण
कुमार और कांग्रेस
सदस्य अनुग्रह नारायण
सिंह द्वारा टीईटी
पात्रता वाले अभ्यर्थियों
की शिक्षक पद
पर भर्ती से
जुड़े पूछे गये
सवालों का जवाब
दे रहे थे।
उन्होंने स्वीकार किया कि
पूर्ववर्ती बसपा सरकार
ने भी विज्ञापन
होने के बाद
टीईटी पात्र लोगों
को भर्ती करने
की प्रक्रिया को
नहीं रोका था।
इसमें उस सरकार
का कोई दोष
नहीं था। वह
तो अधिकारियों द्वारा
जांच के दौरान
एक गाड़ी (वाहन)
में भारी मात्रा
में नकदी पकड़े
जाने पर उसमें
तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक
के शामिल होने
और टीईटी परीक्षा
में उस धन
के जरिए करायी
गयी धांधली के
बाद रोक लग
गयी थी। सपा
सरकार ने भी
पूर्ववर्ती सरकार के मानकों
के आधार पर
ही शिक्षकों की
भर्ती की बात
कही। सरकार ने
कहा कि टीईटी
को पात्रता मानेंगे
और उसकी अन्य
शैक्षिक योग्यता के नम्बर
भी जुड़ेंगे। मगर
छात्र कोर्ट चले
गये। श्री चौधरी
ने कहा कि
राज्य में प्राथमिक
विद्यालयों में शिक्षकों
की कमी है।
मगर इनकी भर्ती
में बीएड को
प्राथमिकता नहीं दी
जायेगी। सरकार अभी तक
3250 लोगों की भर्ती
कर चुकी है।
41000 की भर्ती की प्रक्रिया
चल रही है।
उन्होंने कहा कि
72825 शिक्षकों की भर्ती
का मामला अलग
है। सरकार अपने
कार्यकाल के विज्ञापन
और पूर्ववर्ती सरकार
के विज्ञापन के
आधार पर अलग-अलग भर्ती
करेगी। बच्चों के स्कूल
छोड़ने की दर
का पता लगवाएगी
सरकार : श्री चौधरी
ने कांग्रेस सदस्य
मुकेश श्रीवास्तव के
सवाल पर इसी
दल के वरिष्ठ
सदस्य प्रमोद तिवारी
द्वारा पूछे पूरक
प्रश्न पर कहा
कि प्राथमिक स्कूलों
में ड्रापआउट बच्चों
का प्रतिशत 8.4 प्रतिशत
रहा है। मगर
मौजूदा समय में
6 से 14 वर्ष के
बच्चों को स्कूलों
में दाखिल कराया
गया है और
इनमें से किसी
भी बच्चे ने
स्कूल नहीं छोड़ा
है। बावजूद इसके
हम बच्चों द्वारा
प्राथमिक स्तर पर
पढ़ाई छोड़ने की
दर का पता
लगवाएंगे। उन्होंने जनगणना 2011 के
साथ कराये गये
वार्षिक स्वास्थ्य सव्रेक्षण का
हवाला देते हुए
कहा कि छह
से 14 साल आयु
वर्ग के बच्चों
द्वारा स्कूल छोड़ने की
दर 8.4 प्रतिशत था।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
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