Wednesday, December 11, 2013

बीएड करने वाले बने बेचारे



Updated on: Tue, 10 Dec 2013 09:05 PM (IST)
मेरठ : कभी सबसे हॉट माने जाने वाले बीएड कोर्स पर आज चौतरफा मार पड़ रही है। जिन्होंने बीएड कर लिया, वह शिक्षक बनने के लिए टकटकी लगाए हैं, वहीं हजारों गरीब परिवार के छात्र-छात्राएं लाख रुपये से अधिक खर्च करने के बाद अभी तक अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाए हैं। उधर, दूसरी ओर इस साल सेल्फ फाइनेंस कालेज अपनी खाली सीटों को भरने की ताक में हैं।
बेचारगी एक :
इनको है प्रयोगात्मक परीक्षा का इंतजार
चौ. चरण सिंह विवि के 258 बीएड कालेज (344 यूनिट) के करीब 35 हजार बीएड अभ्यर्थी बीएड सत्र 2012-13 की लिखित परीक्षा देने के बाद अगस्त, 2013 से प्रयोगात्मक परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं। इन अभ्यर्थियों को दोतरफा मार झेलनी पड़ी, सेल्फ फाइनेंस कालेजों ने मनमाने तरीके से फीस वसूले, अब विश्वविद्यालय डेढ़ साल से उनकी डिग्री लटकाए हुए है। मेरठ से बाहर के बहुत से अभ्यर्थी प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए हर रोज विवि का चक्कर काट रहे हैं।
यह है पेच
बीएड प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए प्रारूप तैयार हो गया है, लेकिन अभी तक परीक्षकों का पैनल तैयार नहीं हो पाया है। कुलपति के पास इसका प्रस्ताव भी पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक कोई तिथि तय नहीं हो पाई है।
बेचारगी दो :
इन्हें नौकरी का इंतजार
प्रदेश में 72 हजार 684 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए मायावती सरकार में विज्ञापन निकाला, लाखों बीएड अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। सरकार बदली, अखिलेश सरकार में फिर से शिक्षकों के भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। जिसमे दोबारा से बीएड अभ्यर्थियों ने आवेदन में हजारों रुपये खर्च किए। कई साल से लाखों बीएड अभ्यर्थी शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं।
यह है पेच
मायावती सरकार ने टीईटी शिक्षक पात्रता परीक्षा के अंकों के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए विज्ञापन निकाला था, वहीं इसके विपरीत नियम बदलते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने शैक्षणिक अर्हता के आधार पर नियुक्ति करने का नियम बना दिया। कोर्ट ने टीईटी के आधार पर शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया है, जबकि सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है।
बेचारगी तीन :
इन्हें है अभ्यर्थियों का इंतजार
चौ. चरण सिंह विवि से जुड़े सेल्फ फाइनेंस बीएड कालेजों में कई काउंसिलिंग के बाद भी सत्र 2013-14 में बच्चे ही नहीं मिले। करीब 20 हजार सीटें खाली रह गई। कई कालेजों में सौ सीटों पर बमुश्किल 20 दाखिले ही हो पाए हैं। कालेजों को अब तक अपनी सीट भरने के लिए अभ्यर्थियों का इंतजार है।
यह है पेच
ऐसे कालेज जिन्होंने पिछले साल मनमाने तरीके से अभ्यर्थियों से फीस वसूली की, कभी ड्रेस के नाम पर तो कभी प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर तो कभी गैरहाजिर को हाजिर बनाने के नाम पर। इन कालेजों की हालत इस साल सबसे पतली है। वहीं दूसरी ओर 52 हजार से 72 हजार रुपये तक पहुंची फीस से अभ्यर्थियों ने बीएड करने से हाथ खींच लिया।
 


See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml

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