Tuesday, December 10, 2013

अधूरी रह गई मोअल्लिमों की शिक्षक बनने की तमन्ना



अमर उजाला ब्यूरो
संभल। बेसिक शिक्षा परिषद में उर्दू शिक्षकों के लिए ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करने के बाद काउंसिलिंग के दौरान स्नातक से पूर्व मोअल्लिम डिग्री प्राप्त करने वालों आवेदकों को पात्र नहीं मानते हुए उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई गई है। जिससे उनकी उर्दू शिक्षक बनाने की तमन्ना अधूरी रह गई है।
जिले के कई आवेदकों ने उर्दू शिक्षक के लिए मोअल्लिम डिग्री हासिल करने के बाद ऑनलाइन आवेदन किया है। जिला स्तर पर दो बार उर्दू शिक्षक के लिए काउंसिलिंग भी हो चुकी है। जिसमें विभाग ने स्नातक पूर्व मोअल्लिम डिग्रीधारकों की उपस्थिति ही दर्ज नहीं की है। जिससे वह उर्दू शिक्षक बनने की दौड़ से तो बाहर हो ही गए, साथ ही उपस्थिति दर्ज नहीं होने के कारण न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए भी उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है। जबकि नियमानुसार जिला चयन समिति को उनकी उपस्थिति दर्ज करके काउंसिलिंंग में सम्मिलित करना चाहिए था, बाद में पात्रता पर चयन बोर्ड निर्णय करता।
क्या है समस्या
-अदीब, माहिर, कामिल एक वर्षीय कोर्स है। यह तीनों कोर्स दूरस्थ शिक्षा विधि से जामिया उर्दू अलीगढ़ से किए जाते हैं। कामिल को स्नातक के समकक्ष मानते हुए मोअल्लिम में दाखिला मिल जाता है। प्रदेश शासन ने मोअल्लिम को अध्यापक प्रशिक्षण मानते हुए उर्दू अध्यापकों के लिए पात्र माना है। लेकिन मोअल्लिम एक वर्ष का होने के कारण तीन वर्षीय स्नातक कोर्स से पहले पूरा हो जाता है। समस्या यह है कि शिक्षा विभाग स्नातक से पूर्व की मोअल्लिम डिग्री को अवैध मान रहा है। काउंसिलिंग में ऐसे लोगों को सम्मिलित ही नहीं किया जा रहा है, जबकि शासनादेश की वांछनीय पात्रता आवेदक पूर्ण कर रहे हैं।
 


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