गोरखपुर
(एसएनबी)। कई कोशिशों के बाद भी बीएड प्रवेश परीक्षा 2013 में शामिल अभ्यर्थियों को
प्रवेश के लिए लुभाने में नाकामयाब रहे महाविद्यालयों का उच्चतम न्यायालय की शरण में
जाने का दांव उल्टा साबित हुआ है। प्रवेश परीक्षा में शामिल न होने वाले छात्रों का
प्रवेश तो ये नहीं ही ले सकेंगे, प्रवेश परीक्षा में शामिल जिन अभ्यर्थियों का एडमिशन
इन महाविद्यालयों ने स्वयं लिया है, उनके लिए भी संकट पैदा हो गया है। उच्चतम न्यायालय
ने पिछले हफ्ते अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि 16 सितम्बर 2013 के बाद जो भी प्रवेश
बीएड में हुए हैं, सारे अवैध माने जाएंगे। यानी करीब 14 हजार विद्यार्थियों का बीएड
में हुआ प्रवेश निरस्त हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पश्चिमी उत्तर प्रदेश
के अधिकांश कालेज प्रभावित होंगे। बीएड प्रवेश परीक्षा 2013 का जिम्मा दीन दयाल उपाध्याय
गोरखपुर विश्वविद्यालय को मिला था। इस परीक्षा में करीब 3 लाख 78 हजार अभ्यर्थी शामिल
हुए। पर, इस वर्ष काउंसलिंग में अभ्यर्थियों का रुझान काफी कम देखा गया। प्रथम काउंसलिंग
के बाद काफी अधिक सीटें खाली रह जाने पर शासन के आदेश पर पूल काउंसलिंग करायी गयी।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
No comments:
Post a Comment