- मुख्यमंत्री ने की उच्च स्तरीय बैठक
- सभी पहलुओं पर किया गया विचार
- मुख्यमंत्री ने की उच्च स्तरीय बैठक
- सभी पहलुओं पर किया गया विचार
- सड़क पर उतरे बेरोजगार
इलाहाबाद
: कोर्ट के आदेश
के बावजूद प्रदेश
सरकार द्वारा शिक्षकों
की रुकी भर्ती
को लेकर कोई
कदम न उठाए
जाने से टीईटी
उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में असमंजस
की स्थिति है।
रुकी नियुक्ति शुरू
कराने को लेकर
सैकड़ों अभ्यर्थी सड़क पर
उतरे।
जागरण
ब्यूरो, लखनऊ : प्राथमिक स्कूलों
में 72825 शिक्षकों की भर्ती
के मामले में
राज्य सरकार ने
हाई कोर्ट के
आदेश के खिलाफ
विशेष अनुज्ञा याचिका
में सुप्रीम कोर्ट
जाएगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव की
अध्यक्षता में हुई
उच्च स्तरीय बैठक
में सभी पहलुओं
पर विचार करने
के बाद इस
पर सहमति बनी
है।1बेसिक शिक्षा
मंत्री राम गोविंद
चौधरी, मुख्य सचिव जावेद
उस्मानी, सचिव बेसिक
शिक्षा नीतीश्वर कुमार और
बेसिक शिक्षा विभाग
के अन्य अधिकारियों
की मौजूदगी में
हुई इस बैठक
में को लेकर
हाई कोर्ट के
फैसले का पालन
करने या उसे
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
देने से जुड़े
सभी पहलुओं पर
विचार किया गया।
हाई कोर्ट ने
20 नवंबर को मायावती
सरकार के फैसले
को बहाल करते
हुए शिक्षकों की
भर्ती अध्यापक पात्रता
परीक्षा (टीईटी) की मेरिट
के आधार पर
ही करने का
आदेश दिया है।
साथ ही अदालत
ने सरकार द्वारा
अध्यापक सेवा नियमावली
में किए गए
15वें संशोधन को
रद कर दिया
है। बैठक में
चर्चा हुई कि
यदि हाई कोर्ट
के फैसले पर
अमल किया गया
तो मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों की
मांग पर उर्दू
शिक्षकों के 4280 पदों पर
चालू की गई
भर्ती प्रक्रिया भी
अटक जाएगी। साथ
ही जूनियर हाईस्कूलों
में विज्ञान और
गणित विषयों के
29334 पदों पर शिक्षकों
की भर्ती के
लिए जारी प्रक्रिया
भी फंस जाएगी।
एक दिक्कत यह
भी है कि
उसने अध्यापक सेवा
नियमावली में 15वां संशोधन
करने के बाद
शैक्षिक मेरिट के आधार
पर तकरीबन दस
हजार शिक्षकों की
भर्तियां कर ली
हैं। इन भर्तियों
को लेकर भी
कानूनी पेच फंस
सकता है। इस
पहलू पर भी
गौर हुआ कि
यदि सरकार हाई
कोर्ट के फैसले
को मान भी
ले तो इस
निर्णय से असंतुष्ट
अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट का
दरवाजा खटखटाएंगे ही। तब
भी भर्ती प्रक्रिया
फंसेगी।
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
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