इलाहाबाद
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हमारे द्वारा सचिन तेन्दुलकर को भारत रत्न दिए
जाने के फैसले के खिलाफ दायर पीआईएल पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया|
याचिका सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दायर की गयी थी|
नूतन ठाकुर के वकील अशोक पाण्डेय ने कहा कि क्रिकेट का खेल खेल कम और
तमाशा ज्यादा है, जो देश की प्रगति में सीधे बाधक है और इस प्रकार देश
विरोधी है| उन्होंने कहा कि जहां पद्म पुरस्कारों के लिए निश्चित
दिशानिर्देश दिए गए हैं, वहीँ भारत रत्न के लिए कोई दिशा निर्देश नहीं हैं
जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा बालाजी राघवन तथा एस पी आनंद बनाम भारत सरकार के
आदेश के उल्लंघन में है क्योंकि यह पुरस्कार अकेले प्रधानमंत्री की
संस्तुति पर दे दी जाती है, जिसमे ना तो पारदर्शिता है और ना ही
सार्वभौमिकता|
केंद्र सरकार की तरफ से के सी कौशिक, अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल ने अब तक
के भारत रत्न पुरस्कारों से सम्मानित व्यक्तियों की सूची प्रस्तुत की.
जस्टिस इम्तियाज़ मुर्तजा और जस्टिस डी के उपाध्याय की बेंच ने दोनों पक्षों
की बात सुन कर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया|
याचिकाकर्ता श्रीमती ठाकुर दम्पति ने भारत रत्न देने की प्रक्रिया को भी चुनौती दी है जिसमे उन्होंने ये पुरस्कार एक वृहद् कमिटी द्वारा दिए जाने और इस कमिटी द्वारा अब तक देश के समस्त वास्तविक रूप से महान भारतीय जैसे अशोक, अकबर, कालिदास, कबीर, कंबन आदि को दिए जाने की मांग की है ताकि ये पुरस्कार अपने नाम को वास्तविक रूप से साकार कर सकें|
See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml
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