Thursday, September 26, 2013

शिक्षकों के चयन में फिर फर्जीबाड़े का खेल


जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में कुछ समय पहले तक दलालों की कितनी पैठ थी, इसकी परतें अब खुलने लगी हैं। दलालों ने फर्जी पैनल बनाकर तीन युवकों को नियुक्ति के लिए कन्नौज और इटावा भेज दिया। सत्यापन के दौरान इस फर्जी बाड़े का खुलासा हुआ। बोर्ड के सचिव ने इन युवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिये हैं। माना जा रहा है कि दलालों ने इसके एवज युवकों से लाखों रुपये ऐंठ लिए।

फर्जी पैनल के नाम पर नियुक्ति के लिए पहुंचे इन युवकों में दो को कन्नौज भेजा गया और एक को इटावा। इन्हें प्रशिक्षित स्नातक परीक्षा 2010 के विज्ञापन में चयनित दर्शाया गया है। दरअसल चयनित अभ्यर्थियों का पैनल बनाकर जिलों में नियुक्ति के लिए भेजा जाता है। इसंमें कई अभ्यर्थियों के नाम होते हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक की जिम्मेदारी है कि वह इसका सत्यापन कराए और संबंधित विद्यालय में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति कराए। इसी के तहत जब कन्नौज और इटावा के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में पैनल का पत्र पहुंचा तो उन्होंने सत्यापन के लिए वापस बोर्ड भेज दिया। यहां जांच में तीन चयनित अभ्यर्थी फर्जी पाए गए। इनमें एक का नाम अदनान अल्वी है। उसे मदन मोहन मालवीय इंटर कालेज, गुरुसहायगंज कन्नौज में नियुक्ति दी गई थी। दूसरे युवक धर्मपाल सिंह को किसान उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, किरवागंज, कन्नौज में नियुक्ति दी गई। तीसरे सूरज प्रताप सिंह को जनता विद्यालय इंटर कालेज, इटावा में नियुक्ति दी गई थी। इन्हें विज्ञान वर्ग में चयनित बताया गया था।

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सचिव वंश गोपाल मौर्य ने बताया कि इन दोनों जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को बुधवार पत्र प्रेषित कर जानकारी दे दी गई है कि ये चयनित शिक्षक फर्जी हैं। पैनल में इनका नाम गलत ढंग से डाला गया है। उन्होंने इन तीनों युवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि इस तरह के और भी मामले सामने आ सकते हैं। 1सौ से अधिक फर्जी नियुक्तियां1माध ्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में ऐसा मामला पहली बार प्रकाश में नहीं आया है। इससे पहले भी इस तरह के मामले प्रकाश में आते रहे हैं। बोर्ड के सूत्रों के अनुसार फर्जी नियुक्तियों के अब तक सौ से अधिक मामले प्रकाश में आ चुके हैं। बोर्ड के सचिव के अनुसार उनके कार्यकाल में ही दो दर्जन से अधिक फर्जी नियुक्तियों का मामला सामने आ चुका है जिसमें प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिए जा चुके हैं।
 


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