इस संगठन ने मुझे ये काम दिया कि इस
क्रमिक अनशन में हो रहे प्रत्येक गतिविधियों से मैं आप सभी लोगों को अवगत
कराता रहूँ ताकि हम एक जुट होकर इस आगाज को अंजाम तक पहुँचा सके। . एक
छुटभैइये प्रशिक्षु शिक्षक आवेद्क की हैसियत से इस काम का कितना असर पडा ये
तो मैं नहीं जानता हाँ मगर बहुत सारे साथियों ने इस आंदोलन को उत्साहित
किया,इसे शक्ति दी,और अपने प्रेरणादायी सुझावों से अवगत कराया जिसका असर
जरुर इस आन्दोलन पर पडा है.
कई लोगों ने पूछा कि भइया आप "टेट मेरिट वाले है ?" "एकेडमिक वाले हैं ? " या " गुणांक वाले है ? " तो सिर्फ उनके लिए इस संगठन का जबाब है-
हम भर्ती वाले है चाहे जैसे हो, ये काम माननीय न्यायपालिका का है इस संगठन का नहीं और वो जो भी फैसला देगी हम उसका स्वागत करेंगे.
अरे ! किसी का तो भला हो....
मित्रों अब तो शायद इस बात का अदंजा बडी आसानी से लगाया जा सकता है कि स्वार्थी सोंच ने हमें कितना नीचे धकेल दिया,कितना पीछे हो गये हम,बांट दिया,हम आपस में ही लड गये और इसका नतीजा निकला सिफर
पर अब ऐसा नहीं है...हम एकजुट हुए हैं धीरे-धीरे ही सही हम अपनी बात सरकार और हाईकोर्ट तक पहुँचाने में सफल हुए हैं.बस एक बात जो अब और पहुँचानी है वो ये है कि हम अब तब तक नहीं हिलेंगे जब तक ये भर्ती शुरु नहीं हो जाती ।.हमारे इसी संकल्प ने कई और संगठनो को झकझोर दिया और वो खुद चल कर आये हमारा समर्थन ,हमारा सहयोग करने । हाई कोर्ट के बारएसोसिएशन और भाजपा ने तो हमारे साथियो को रिहा कराने में बडी मदद की,शिक्षक संगठन का शर्मा गुट हम लोगों के साथ पहले से ही है.आज भी भाजपा के कई दिग्गज नेता हमारे अनशन स्थल पर आये कई घंटो तक
रहे और प्रशासन द्वारा किये गये अत्याचार की निंदा की । ....इस मुश्किल घडी में जब हमारे घाव पर कोई मरहम लगाता है तो वही हमारा माई-बाप लगता है वो चाहे कोई भी हो
और वैसे भी कोई आये चाहे ना आये जब हम एक साथ हैं तो इस लड़ाई के लिए इतना ही काफी है।
"सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में रहे
शाखों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दो कि औकात में रहे"
कई लोगों ने पूछा कि भइया आप "टेट मेरिट वाले है ?" "एकेडमिक वाले हैं ? " या " गुणांक वाले है ? " तो सिर्फ उनके लिए इस संगठन का जबाब है-
हम भर्ती वाले है चाहे जैसे हो, ये काम माननीय न्यायपालिका का है इस संगठन का नहीं और वो जो भी फैसला देगी हम उसका स्वागत करेंगे.
अरे ! किसी का तो भला हो....
मित्रों अब तो शायद इस बात का अदंजा बडी आसानी से लगाया जा सकता है कि स्वार्थी सोंच ने हमें कितना नीचे धकेल दिया,कितना पीछे हो गये हम,बांट दिया,हम आपस में ही लड गये और इसका नतीजा निकला सिफर
पर अब ऐसा नहीं है...हम एकजुट हुए हैं धीरे-धीरे ही सही हम अपनी बात सरकार और हाईकोर्ट तक पहुँचाने में सफल हुए हैं.बस एक बात जो अब और पहुँचानी है वो ये है कि हम अब तब तक नहीं हिलेंगे जब तक ये भर्ती शुरु नहीं हो जाती ।.हमारे इसी संकल्प ने कई और संगठनो को झकझोर दिया और वो खुद चल कर आये हमारा समर्थन ,हमारा सहयोग करने । हाई कोर्ट के बारएसोसिएशन और भाजपा ने तो हमारे साथियो को रिहा कराने में बडी मदद की,शिक्षक संगठन का शर्मा गुट हम लोगों के साथ पहले से ही है.आज भी भाजपा के कई दिग्गज नेता हमारे अनशन स्थल पर आये कई घंटो तक
रहे और प्रशासन द्वारा किये गये अत्याचार की निंदा की । ....इस मुश्किल घडी में जब हमारे घाव पर कोई मरहम लगाता है तो वही हमारा माई-बाप लगता है वो चाहे कोई भी हो
और वैसे भी कोई आये चाहे ना आये जब हम एक साथ हैं तो इस लड़ाई के लिए इतना ही काफी है।
"सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में रहे
शाखों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दो कि औकात में रहे"
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