Updated on: Wed, 25 Sep 2013 09:42 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में स्थायी शिक्षक के तौर पर समायोजित होने के लिए शिक्षामित्रों को अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना जरूरी होगा। स्थायी शिक्षक के तौर पर समायोजन की खातिर शिक्षामित्रों के लिए आयुसीमा की बाध्यता नहीं होगी। समायोजन के लिए 62 वर्ष से कम उम्र के वे सभी शिक्षामित्र हकदार होंगे जो टीईटी उत्तीर्ण करने के लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यता रखते हों।
अखिलेश सरकार परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक के तौर पर समायोजित करने की घोषणा कर चुकी है। इस बारे में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शासनादेश भी जारी हो चुका है। शासनादेश के मुताबिक 60 हजार स्नातक शिक्षामित्रों के पहले बैच को जनवरी 2014 में समायोजित करने की मंशा है। शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक के रूप में समायोजित करने के लिए उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 में 18वां संशोधन प्रस्तावित है। संशोधन के लिए बेसिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि टीईटी उत्तीर्ण शिक्षामित्र ही स्थायी शिक्षक के तौर पर समायोजित किये जाएंगे। हाई कोर्ट ने भी यह तय कर दिया है कि 23 अगस्त 2010 के बाद परिषदीय स्कूलों में होने वाली शिक्षकों की भर्ती के लिए अभ्यर्थियों का टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।
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शैक्षिक आधार पर तय होगी ज्येष्ठता
स्थायी शिक्षक के रूप में समायोजित होने पर शिक्षामित्रों की पारस्परिक ज्येष्ठता उनके शैक्षिक आधार पर तय होगी। इसके लिए हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक और दो वर्षीय ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त हुए अंकों के आधार पर गुणवत्ता अंक तय किया जाएगा। गुणवत्ता अंक तय करने के लिए शिक्षामित्र के हाईस्कूल प्राप्तांक प्रतिशत के 10, इंटरमीडिएट के 20 व स्नातक के 40 फीसदी को जोड़ा जाएगा। फिर इस योग में दो वर्षीय ट्रेनिंग की थ्योरी और प्रैक्टिल परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर अंक जोड़े जाएंगे। थ्योरी और प्रैक्टिकल परीक्षाएं प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण करने पर दोनों के लिए अलग-अलग क्रमश: 12, छह और तीन अंक जोड़े जाएंगे।
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