23 हजार नहीं तो चलो 7000 ही सही..
Updated on: Mon, 06 May 2013 07:56 PM (IST)
निज प्रतिनिधि, फीरोजाबाद : अनुदेशक बनने का मौका था स्नातकों के लिए।
किन्हीं कारणों से बीएड नहीं कर पाने वालों में एक उम्मीद जगी भी थी, शायद
इस बार मौका हाथ लग जाए, लेकिन इस मौके पर भी हावी हो गए बीएड धारक। टीईटी
पास करने वाले भी अनुदेशक बन जाने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। यही वजह है
पहले दौर की काउंसलिंग में पहुंचने का मौका पाने वाले अधिकांश आवेदक उच्च
शिक्षित थे।
भले ही अनुदेशक के आवेदन में इन्होने बीए तक की अंकतालिकाएं ही लगाई
थी, लेकिन इनके हाथ में बीएड के साथ में टीईटी की अंकतालिका भी हैं। उदाहरण
के तौर पर मंजू को ही देखें। बीएड के साथ में टीईटी पास मंजू का टीईटी में
भी नंबर आ ही गया था, लेकिन इस दौरान उस पर रोक लग जाने के बाद में अभी तक
काउंसलिंग नहीं हो पाई थी। ऐसे में मंजू अनुदेशक की चाह नहीं छोड़ पाई।
मंजू का कहना है जब टेट की भर्ती होगी तो तब देखेंगे। अभी जब यह मौका मिल रहा है तो इसे क्यों छोड़ें।
टीईटी भर्ती होने पर रिक्त होंगे पद
खुद विभाग से जुड़े लोग मानते हैं टीईटी भर्ती होने पर अनुदेशक के भी
कई पद रिक्त हो जाएंगे। वजह साफ है शिक्षक बन जाने पर इनकी पगार व अनुदेशक
की पगार में तीन गुने का अंतर होगा।
अनुदेशक बनते ही कई पद होंगे रिक्त
अनुदेशक की तैनाती होने के साथ विभिन्न विभागों में पद रिक्त होंगे।
वजह साफ है आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के साथ में कई अन्य ने आवेदन किए हैं।
वजह साफ है कार्यकत्रियों को मिलने वाली धनराशि अनुदेशक को मिलने वाले
मानदेय से काफी कम है।
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