Thursday, October 3, 2013

जनवरी में समायोजित होंगे शिक्षा मित्र

कुशीनगर : उत्तर-प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ की बैठक बुधवार को यहां जूनियर हाईस्कूल परिसर में हुई। बैठक को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा कि आगामी जनवरी में शिक्षा मित्रों का समायोजन होना तय है, सरकार इसके लिए शिक्षक नियमावली का अट्ठारहवां संशोधन करने जा रही है।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सभी साठ शिक्षा मित्रों प्रथम बैच के समायोजन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए प्रदेश शिक्षक नियमावली में संशोधन करने को सरकार तैयार हो गई है। उन्होंने कहा कि संशोधन बाद प्रदेश में साठ हजार शिक्षा मित्र जनवरी में शिक्षक के खाली पड़े पदों पर समायोजित कर दिए जाएंगे।
प्रदेश कोषाध्यक्ष रमेश मिश्र ने कहा कि सरकार ने संगठन से वायदा किया है कि शिक्षा मित्रों के समायोजन में अड़चन नहीं आने दिया जाएगा।
बैठक को प्रदेश मंत्री अनिल यादव, जटाशंकर सिंह, कैलाश जायसवाल, दिग्विजय पांडेय आदि ने भी संबोधित किया।
बैठक के दौरान प्रांतीय नेतृत्व के निर्देश पर जिला महामंत्री और जिला संयुक्त मंत्री के विस्तार का निर्णय हुआ। जहां नौशाद अहमद जिला महामंत्री गिरीजेश सिंह मंडल महामंत्री चुने गए।
बैठक की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष सुरेंद्र कुशवाहा ने की तथा संचालन उपाध्यक्ष कैलाश जायसवाल ने किया।
 


प्रदेशव्यापी आंदोलन से बनाएंगे प्रदेश सरकार पर दबाव


इलाहाबाद : प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने अहिंसात्मक आंदोलन को प्रदेशव्यापी बनाने का निर्णय लिया है। शिक्षा निदेशालय पर चल रहे क्रमिक अनशन के 16वें दिन बुधवार को शिक्षक विधायक सुरेश त्रिपाठी ने अभ्यर्थियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि गांधी जी ने अहिंसा के बल पर देश को अंग्रेजों से मुक्त कराया था। क्रमिक अनशन के माध्यम से ही अपनी मांगों को प्रभावशाली तरीके से रखा जा सकता है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए वह हर सहयोग देने को तैयार हैं।
अभ्यर्थियों ने कहा कि मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरकार पर दबाव बनाने के लिए उसे प्रदेशव्यापी बनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट के वरिष्ठ नेता शैलेश पांडेय ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने की साजिश रच रही है। अनशन में नीतू चौधरी, ममता श्रीवास्तव, प्रीती, शशि प्रकाश, पंकज सिंह, विजय सिंह, पवन गुप्त, लालचंद्र, सुभाष, अमर सिंह यादव, विजय दुबे, अशोक, मनीष ओझा, गौरव बाबू, अरुण, वरुण, विदलेष, अजय, दीपेंद्र बहादुर, सुनील, शिव प्रकाश आदि शामिल रहे


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प्रदेश कैबिनेट की बैठक आज


लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में पेट्रोल-डीजल पर वैट निर्धारण, धान खरीद नीति, गुजरात की एक संस्था को दुग्ध डेयरी संचालन का जिम्मा देने के प्रस्ताव समेत कई प्रस्तावों पर मोहर लग सकती है। बैठक सुबह साढ़े दस बजे बुलाई गई है। ब्यूरो

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Wednesday, October 2, 2013

होगी 695 प्रिंसिपल और 6598 शिक्षकों की भर्ती

लखनऊ: प्रदेश के सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यों के 695 और शिक्षकों के 6598 पद जल्द भरे जाएंगे। इनमें प्रवक्ता के 1050 और सहायक अध्यापक के 5548 पद होंगे। प्रधानाचार्यों की यह नियुक्तियां 2011 की रुकी हुई 955 प्रधानाचार्यों की भर्ती के अलावा होंगी।
ऑनलाइन आवेदन का निर्णय माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने किया है। इसके लिए बोर्ड ने शासन को पत्र भेजकर अनुमति मांगी है। बोर्ड ने पिछले अगस्त में प्रवक्ता और सहायक अध्यापक की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था।
तब बोर्ड के सदस्यों की संख्या कम होने के कारण इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई। इसी वजह से 2011 में 955 प्रधानाचार्यों की नियुक्तियों पर भी रोक लगा दी गई।
  
हाल ही में कोर्ट ने फिर इन रुकी हुई नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए। साथ ही बोर्ड के सदस्यों की संख्या पूरी करने का भी आदेश दिया था। बोर्ड के सदस्यों की संख्या अब तीन से पांच हो चुकी है।

पूरी हो गई जांच

जल्द ही और सदस्यों के पद भरने की प्रक्रिया भी चल रही है। इसी के साथ 2011 की रुकी हुई प्रधानाचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया बोर्ड ने पहले ही शुरू कर दी है। जिन्होंने आवेदन किया था उनकी जांच करा ली है। इसकी मेरिट लिस्ट भी पांच अक्तूबर तक जारी की जानी है।
बोर्ड अब अन्य खाली पदों पर भी नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। बोर्ड ने निर्णय लिया है कि अब नई नियुक्तियां ऑनलाइन आवेदन के जरिए की जाएंगी। शासन से ऑनलाइन आवेदन की अनुमति मिलते ही विज्ञापन जारी किया जाएगा।
प्रधानाचार्यों की नियुक्ति इंटरव्यू के जरिए होगी। वहीं, प्रवक्ता और सहायक अध्यापक पद के लिए लिखित परीक्षा होगी।
बोर्ड ने यह भी तय किया है कि प्रवेश परीक्षा के दौरान ओएमआर शीट की एक प्रति अभ्यर्थी को दी जाएगी। रिजल्ट के साथ ही आंसर की भी बोर्ड की वेबसाइट पर जारी की जाएगी, ताकि अभ्यर्थी उससे मिलान कर सकें।


दागी अध्यादेश ही नहीं, बिल भी वापस होगा, कैबिनेट का फैसला


manmohansinghनई दिल्ली। दागियों को बचाने वाले अध्यादेश को आखिरकार सरकार ने वापस ले लिया है। सरकार ने एक कदम आगे जाते हुए अध्यादेश के साथ-साथ संसद में इस बाबत विचाराधीन बिल तक वापस लेने का फैसला किया है। पिछले दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कैबिनेट द्वारा मंजूर इस अध्यादेश को बकवास करार देकर फाड़ कर फेंक देने लायक बताया था, तभी ये तय हो गया था कि सरकार अध्यादेश को वापस लेगी लेकिन आज हुई कैबिनेट की बैठक ने एक कदम आगे जाते हुए न सिर्फ अध्यादेश बल्कि बिल को भी वापस लेने का फैसला किया है।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं के सामने घोषणा की कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 20 मिनट तक चली बैठक की अध्यक्षता की। संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेकर प्रधानमंत्री मंगलवार रात स्वदेश लौटे हैं। तिवारी ने मीडिया को बताया कि सरकार ने सर्वसम्मति से इस अध्यादेश को वापस लेने का फैसला किया है।
तिवारी ने कहा कि जहां तक विधेयक का संबंध हैं तो यह अब संसद की संपत्ति है। उपयुक्त समय पर उसे भी वापस लिया जाएगा। मंत्री ने यह भी साफ किया कि बुधवार के कदम को अध्यादेश लाने के फैसले का हिस्सा रहे प्रधानमंत्री के प्राधिकार को नजरअंदाज करने के रूप में नहीं देखा जाए।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सरकार का कोई अखंड व्यक्तिवादी पद्धति नहीं होती है। हम विभिन्न विचारों का सम्मान करते हैं और राहुल गांधी ने एक विचार को व्यक्त किया है। तिवारी ने कहा कि गांधी का शुक्रवार को अध्यादेश के खिलाफ बिफरना संभवत: ‘उस व्यापक फीडबैक पर आधारित था जो उन्हें हासिल हुआ होगा।
तिवारी ने कहा कि उन परिस्थितियों के आलोक में मंत्रिमंडल के फैसले पर पुनर्विचार किया गया और यह तय किया गया कि हम अध्यादेश और विधेयक दोनों ही वापस लेंगे। दूसरी तरफ इससे यह भी झलकता है कि आप एक ऐसी सरकार हैं जो अपनी प्रकृति में व्यक्तिवादी नहीं है। यदि आप एक उदार नजरिए से देखेंगे तो आप केवल यही पाएंगे कि हम विचारों (दूसरों) के प्रति संवेदनशील हैं।
  
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर फैसला दिया था कि किसी भी जनप्रतिनिधि को यदि किसी अपराध में दो साल से ज्यादा की सजा होती है तो उसकी संसद और विधानसभा की सदस्यता तुरंत चली जाएगी। सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलटने के लिए पहले तो संसद में बिल लेकर आई। लेकिन जब ये बिल स्टैंडिंग कमेटी में चला गया तो सरकार ने इस बारे में अध्यादेश मंजूर कर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया।
कहानी में ट्विस्ट तब आया जब बीजेपी ने संसद में अपने रुख के उलट इस अध्यादेश के रास्ते का विरोध किया और इसपर साइन न करने की अपील के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। इसके बाद कुछ दूसरी पार्टियां भी अध्यादेश के विरोध में आ गईं लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खुलेआम मीडिया के सामने आकर और ये कहकर सबको हैरान कर दिया कि ये अध्यादेश बकवास है और फाड़कर फेंक देने लायक है।

यूपी समेत 7 राज्यों में ग्रेजुएट भी बन सकेंगे स्कूल टीचर



नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सहित देश के सात राज्यों को जल्द ही सामान्य स्नातकों को भी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के रूप में भर्ती करने की छूट मिल सकती है। इन राज्यों में अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। भर्ती के बाद ऐसे शिक्षकों को अलग से प्रशिक्षण दिलाना होगा। यह सिफारिश शिक्षा मामलों की सर्वोच्च इकाईकैबद्वारा गठित एक कमेटी ने की है।
नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड ट्रेनिंग पर सुझाव के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में प्राइमरी स्तर पर शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को हल करने की दृष्टि से देश के सभी राज्यों को कुल तीन श्रेणियों में बांटा है। रिपोर्ट में श्रेणी के राज्यों में भविष्य में केवल प्रशिक्षित शिक्षकों की ही भर्ती किए जाने का सुझाव दिया गया है। इस श्रेणी में दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड पंजाब सहित कुल 13 राज्य शामिल हैं। दूसरी श्रेणी उन राज्यों की है, जहां वर्तमान में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं। इन सातों राज्यों में बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित होने से रोकने के लिए तत्काल खाली पदों को भरे जाने के लिए कदम उठाये जाने का सुझाव रिपोर्ट में दिया गया है।
मानव संसाधन मंत्रालय को सौंपी गई इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश समेत सभी सात राज्यों में प्रशिक्षित शिक्षक नहीं मिलने के कारण सामान्य स्नातकों को भी शिक्षक के रूप में भर्ती का अवसर प्रदान करने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीचर्स एलेजिबेलिटी टेस्ट (टीईटी) में पास होने के बाद शैक्षिक योग्यता के आधार पर अभ्यर्थियों को प्राइमरी अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए। लेकिन ऐसे शिक्षकों को बाद में ओपेन एंड डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दिलाने की व्यवस्था भी इन राज्यों को करनी होगी।
प्रोफेशनल शिक्षा में छूट पर टीईटी पास करना होगा जरुरी
सिफारिश पर 10 अक्टूबर को लगेगी अंतिम मुहर


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