नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश
सहित देश के
सात राज्यों को
जल्द ही सामान्य
स्नातकों को भी
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक
के रूप में
भर्ती करने की
छूट मिल सकती
है। इन राज्यों
में अभ्यर्थियों को
टीईटी परीक्षा पास
करना अनिवार्य होगा।
भर्ती के बाद
ऐसे शिक्षकों को
अलग से प्रशिक्षण
दिलाना होगा। यह सिफारिश
शिक्षा मामलों की सर्वोच्च
इकाई ‘कैब’ द्वारा
गठित एक कमेटी
ने की है।
नेशनल मिशन ऑन
टीचर्स एंड ट्रेनिंग
पर सुझाव के
लिए गठित समिति
ने अपनी रिपोर्ट
में प्राइमरी स्तर
पर शिक्षकों की
विभिन्न समस्याओं को हल
करने की दृष्टि
से देश के
सभी राज्यों को
कुल तीन श्रेणियों
में बांटा है।
रिपोर्ट में ए
श्रेणी के राज्यों
में भविष्य में
केवल प्रशिक्षित शिक्षकों
की ही भर्ती
किए जाने का
सुझाव दिया गया
है। इस श्रेणी
में दिल्ली, हरियाणा,
हिमाचल, उत्तराखंड व पंजाब
सहित कुल 13 राज्य
शामिल हैं। दूसरी
श्रेणी उन राज्यों
की है, जहां
वर्तमान में बड़ी
संख्या में शिक्षकों
के पद खाली
पड़े हैं। इनमें
उत्तर प्रदेश, असम,
बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा
और पश्चिम बंगाल
जैसे राज्य शामिल
हैं। इन सातों
राज्यों में बच्चों
की पढ़ाई को
प्रभावित होने से
रोकने के लिए
तत्काल खाली पदों
को भरे जाने
के लिए कदम
उठाये जाने का
सुझाव रिपोर्ट में
दिया गया है।
मानव संसाधन मंत्रालय को
सौंपी गई इस
रिपोर्ट में उत्तर
प्रदेश समेत सभी
सात राज्यों में
प्रशिक्षित शिक्षक नहीं मिलने
के कारण सामान्य
स्नातकों को भी
शिक्षक के रूप
में भर्ती का
अवसर प्रदान करने
की सिफारिश की
गई है। रिपोर्ट
में कहा गया
है कि टीचर्स
एलेजिबेलिटी टेस्ट (टीईटी) में
पास होने के
बाद शैक्षिक योग्यता
के आधार पर
अभ्यर्थियों को प्राइमरी
व अपर प्राइमरी
स्कूलों में शिक्षक
पद पर नियुक्ति
का अधिकार दिया
जाना चाहिए। लेकिन
ऐसे शिक्षकों को
बाद में ओपेन
एंड डिस्टेंस लर्निंग
के माध्यम से
जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा
दिलाने की व्यवस्था
भी इन राज्यों
को करनी होगी।
•प्रोफेशनल
शिक्षा में छूट
पर टीईटी पास
करना होगा जरुरी
•सिफारिश पर 10 अक्टूबर को
लगेगी अंतिम मुहर
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