Friday, July 19, 2013

सात लोगों की हत्या करने वाली बनी यूपी में टीचर

गुनाह की दलदल में फंसे बंदियों को सलाखों से आजादी का सुनहरा मौका मिला है। उत्तर प्रदेश की जेलों में विशेष साक्षरता अभियान शुरू किया गया है।
लखनऊ: इसमें शामिल होने वाले बंदियों को एक सत्र में सजा में 99 दिन की छूट मिलेगी। प्रदेश के छह केंद्रीय कारागार समेत कुल 64 जेलों में करीब सात हजार बंदियों ने साक्षरता कक्षाओं में रजिस्ट्रेशन कराया है।
ये कक्षाएं जेल की बैरकों मे ही संचालित हो रही हैं। इनमें पढ़ाने वाले भी बंदी ही हैं जिन्हें खुद भी सजा में छूट का प्रावधान है।
Teacher]एक जुलाई से शुरू हुए इस विशेष सत्र में मुरादाबाद जिला कारागार में अभी तक 126 बंदी साक्षरता कक्षा में पंजीकरण करा चुके हैं। तीन बंदी इग्नू से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं, एक ग्रेजुएशन में है जबकि एक इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहा है। जूनियर हाईस्कूल में 23 बंदियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। जबकि कक्षा पांच में भी 12 बंदियों ने नाम दर्ज कराया है।
  
सात लोगों की हत्या करने वाली बनी टीचर
बावनखेड़ी में प्रेमी के साथ अपने ही परिवार के सात लोगों की गला काटकर हत्या करने वाली शबनम समेत कुल सात बंदी टीचर की भूमिका निभा रहे हैं। जबकि केंद्रीय कारागार आगरा, बरेली, फतेहगढ़, इलाहाबाद, आदर्श कारागार लखनऊ, वाराणसी में अलग से शिक्षकों की व्यवस्था भी की गई है।
सत्र समाप्त होने पर साक्षरता कक्षाओं में शामिल सभी बंदियों का रिकार्ड आईजी जेल को भेजा जाएगा। आईजी जेल की अध्यक्षता वाली कमेटी इन बंदियों की सजा में छूट का आदेश जारी करेगी।


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B.E. / B. Tech : मास्टरी की मंडी में बीटेक डिग्री बेपर्दा

कानपुर : बेसिक शिक्षा परिषद के जूनियर स्कूलों में सात हजार रुपए मानदेय पर नियुक्त किए जाने वाले अनुदेशकों की भर्ती में बीटेक और एमसीए की डिग्री बेपर्दा हो गई। वैसे तो इस पद के लिए आवेदन बीसीए या बीएससी (कंप्यूटर साइंस) डिग्रीधारियों को करना था, लेकिन हजार से ज्यादा बीटेक व एमसीए योग्यता वालों के आवेदन पत्रों ने डिग्री पर सवाल के साथ बेरोजगारी का नमूना भी दिखा दिया।

नगर के 51 जूनियर स्कूलों के लिए स्वीकृत 32 अनुदेशक पदों के लिए 1253 आवेदन आए। इनमें निर्धारित योग्यता बीसीए अथवा बीएससी कंप्यूटर साइंस के 83 अभ्यर्थी मिले, जिन्हें काउंसलिंग के लिए बुलाया गया। इसके अलावा एक हजार से अधिक आवेदन बीटेक व एमसीए डिग्री योग्यता वाले थे। इसी तरह पिछले सालों में बीटीसी प्रशिक्षण के लिए भी बीटेक अभ्यर्थियों के आवेदन करने पर प्रदेश में बीटेक पढ़ाई की स्थिति को लेकर पूरे देश में सवाल उठे थे।

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यह स्थिति प्रदेश के दोनों प्राविधिक विश्वविद्यालयों व सैकड़ों निजी इंजीनियरिंग कालेजों की अस्मिता पर सवालिया निशान लगाने व पेट काटकर इंजीनियरिंग पढ़ाने वालों के पेट पर लात मारने वाली है।

- ओपी मिश्र, अभिभावक बेरोजगार बीटेक डिग्रीधारी

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प्रदेश में व्यापारिक दृष्टि से धड़ाधड़ खुले इंजीनियर कालेजों में इस समय बीटेक की 1.40 लाख से अधिक सीटें हैं। हर साल इतनी बड़ी संख्या में इंजीनियर निकलेंगे तो सबको अच्छी नौकरी कैसे मिल पाएगी।

- प्रो. जेएसपी राय, निदेशक एचबीटीआई

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बीटेक व एमसीए में रोजगार के पर्याप्त अवसर न होने से तमाम छात्रों को उनकी योग्यता के अनुरूप काम नहीं मिल रहा। नतीजतन इस बार काउंसलिंग से यूपीएसईई की 40 प्रतिशत सीटें भी भरने की संभावना नहीं दिखती।

- यूएस तोमर, कुलसचिव प्राविधिक विश्वविद्यालय

News Sabhaar : Jagran (18.7.13)

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यूपी में 53 नए पॉलीटेक्निक, बढ़ी 15 हजार सीटें

उत्तर प्रदेश में डिप्लोमा इंजीनियरिंग करने वालों को अब अधिक नहीं भटकना पड़ेगा। राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र में 53 नए निजी पॉलीटेक्निक खोलने की मंजूरी दे दी है। इसमें कुल 15,650 सीटें होंगी।
प्रदेश में निजी पॉलीटेक्निक में कुल 73,250 सीटें हो गई हैं। इन सीटों पर इसी सत्र से प्रवेश दिया जाएगा। प्राविधिक शिक्षा परिषद ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
polytecnicराज्य सरकार प्रदेश में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है। इसके आधार पर सरकारी के साथ निजी क्षेत्र में पॉलीटेक्निक खोलने की मंजूरी दी जा रही है।
प्रदेश में इस बार 60 से अधिक संस्थाओं ने निजी क्षेत्र में पॉलीटेक्निक कोर्स चलाने की अनुमति मांगी थी। प्राविधिक शिक्षा परिषद ने स्थलीय परीक्षण के बाद 53 संस्थाओं को इसके लिए पात्र पाया है।
  
इसलिए 53 संस्थाओं को डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की अनुमति दे दी है। प्रदेश में पहले निजी पॉलीटेक्निक 287 थे, इनकी संख्या अब 234 हो गई है और इसमें 73,250 सीटें हैं।
सचिव प्राविधिक शिक्षा परिषद आरके वर्मा ने निर्देश जारी किया है कि निजी क्षेत्र में स्थापित व अनुदानित पॉलीटेक्निक संस्थाओं में वर्तमान में चल रही काउंसलिंग के बाद रिक्त सीटों पर सीधे प्रवेश की कार्यवाही 14 अगस्त तक पूरी कर ली जाएगी।
इसके बाद निजी पॉलीटेक्निक में रिक्त सीटों पर सीधे प्रवेश को अमान्य मान लिया।


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अन्य भर्ती बोर्ड भी लागू करेंगे आयोग का फार्मूला


इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में लागू किया गया आरक्षण का नया फार्मूला अन्य भर्ती बोर्ड भी अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में भी आयोग का आरक्षण फार्मूला अपनाने पर बात चल रही है। सभी भर्ती आयोग 22 जुलाई का इंतजार कर रहे हैं, जब आयोग के आरक्षण के नए फार्मूले पर हाईकोर्ट में बहस होगी। अन्य भर्ती बोर्ड का रुख हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। चयन बोर्ड एवं अन्य भर्ती आयोगों में गुपचुप तरीके से चल रही तैयारी की भनक प्रतियोगी छात्रों को भी लग रही है। सूत्रों का कहना है कि अन्य भर्ती आयोगों में भर्ती के नए फार्मूले पर कई स्तर पर वार्ता हो चुकी है। यह व्यवस्था उन परीक्षाओं पर लागू नहीं की जाएगी, जिनका एक चरण पूरा हो चुका है। आयोग का फार्मूला नई भर्ती परीक्षाओं से ही लागू किया जाएगा। इसमें परीक्षा के हर स्तर पर आरक्षण लागू किया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट से पहले ब्लॉग ने ही सुना दिया फैसला

  • सर्वोच्च न्यायालय के वकील ने ढाई घंटे पहले ही अपने लेख में दे दी फैसले से संबंधित अहम जानकारी
  • सुप्रीम कोर्ट से पहले ब्लॉग ने ही सुना दिया फैसला
  • सुबह 8.36 बजे ब्लॉग ने दी जानकारी
  • निजी कॉलेजों की अपील को अनुमति दे दी जाएगी और यह भी स्पष्ट कर दिया जाएगा कि एमसीआई को कोई अधिकार नहीं है। जबकि जस्टिस दवे इस फैसले का विरोध करेंगे।
  • 11 बजे के बाद आया फैसला
  • चीफ जस्टिस कबीर की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ में से दो ने इस परीक्षा को रद्द कर दिया। जबकि जस्टिस दवे ने इस मामले में अलग फैसला दिया।
नई दिल्ली। देश की जनता के लिए इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण शायद कुछ भी नहीं होगा कि न्याय के सर्वोच्च मंदिर का फैसला अदालत की घोषणा से पहले ही लीक हो जाए। लेकिन बृहस्पतिवार को चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर की रिटायरमेंट के दिन उनकी अदालत से राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा से संबंधित घोषित हुए फैसले का परिणाम ढाई घंटे पहले ही एक इंटरनेट ब्लॉग पर स्पष्ट कर दिया गया। जस्टिस कबीर पर सवाल उठाते हुए इस ब्लॉग पर लिखे गए वकील के लेख के अंतिम पैरे में फैसले के परिणाम की जानकारी दी गई।
चीफ जस्टिस कबीर ने सेवानिवृत्ति के समारोह में शामिल होने से पहले फैसले के लीक होने के संबंध में हैरानी जताई। सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकील गोपाल शंकर नारायणन का लेख ‘बार एंड बेंच’ ब्लॉग पर सुबह 8.36 बजे जारी किया गया। जबकि जस्टिस कबीर की पीठ का फैसला सुबह 11 बजे के बाद घोषित किया गया। चीफ जस्टिस की पीठ को आज तीन फैसले घोषित करने थे और यह फैसला तीसरा था जो राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा पर था।
नारायणन ने अपने लेख में लिखा, ‘चीफ जस्टिस के कार्यालय के अंतिम दिन दिया जाने वाला फैसला, जिसका इंतजार लंबे समय से लोगों को है। वह राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा की वैधता से जुड़ा है, इस परीक्षा का आयोजन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की ओर से तय किया गया था।
अंतिम सप्ताह वरिष्ठ और कनिष्ठ अधिवक्ताओं के बीच बिना किसी खेद के यह स्टोरी साझा की जा रही थी कि निजी कॉलेजों की अपील को अनुमति प्रदान कर यह स्पष्टीकरण दिया जाएगा कि एमसीआई को कोई अधिकार नहीं है और जस्टिस दवे इस मामले में अलग विचार (फैसला) देंगे।’ नारायणन ने आगे लिखा कि यह फैसला पूरी तरह से गुप्त सूचना है, जो 190 पन्नों से भी ज्यादा और 300 पैराग्राफ से भी अधिक में है। मुझे यह उम्मीद है कि यह कहानी झूठी होगी। महज कुछ लोगों के दिमाग की उपज होगी। हालांकि कुछ ही घंटों में हमे सच मालूम पड़ जाएगा।
शारदा चिटफंड मामला
केंद्र और
पश्चिम बंगाल को नोटिस
नई दिल्ली
(ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिटफंड घोटाले की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर केंद्र व पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार का रवैया इस मामले में पक्षपातपूर्ण है। ऐसे में मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने देश में चिटफंड योजनाओं के नियमन के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को ज्यादा ताकतवर बनाए जाने की मांग वाली याचिका को लेकर भी अन्य राज्य सरकारों और केंद्र से जवाब-तलब किया।
 
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ऐसे मिलेगा चोर दरवाजे का लाभ

  • अंतिम परिणाम आने तक सामान्य वर्ग के हाथ से निकल चुके होंगे बहुत पद

जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : आरक्षण की नई नियमावली के पीछे आखिर आयोग की मंशा क्या है? प्रतियोगियों की मानें तो इसके जरिए यहां के अधिकारी पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा का एक नया दरवाजा खोल रहे हैं। इस चोर दरवाजे की हर सीढ़ी सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व घटाएगी और अंतिम परिणाम आते-आते उनके हाथ से बहुत सारे पद निकल चुके होंगे। 1 अभ्यर्थी आरक्षण के पुराने सिस्टम का उदाहरण देते हुए अपने तर्को को विस्तार देते हैं। उनके अनुसार 27 मई 2013 से पहले प्रारंभिक परीक्षा में सभी पदों के सापेक्ष 18 गुना अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण कराया जाता था। यानी यदि सौ पद हैं तो 1800 अभ्यर्थी उत्तीर्ण कराए जाते थे। मुख्य परीक्षा में यह संख्या तीन गुना हुआ करती थी यानी सौ पदों के लिए तीन सौ। सौ पदों के हिसाब से 50 पद आरक्षित होते थे और इतने ही अनारक्षित। यानी प्रारंभिक परीक्षा में 900 अनारक्षित अभ्यर्थी चुने जाते थे और 900 आरक्षित। आरक्षितों का बंटवारा इस प्रकार होता था। 27 प्रतिशत ओबीसी यानी 27 पदों का 18 गुना अर्थात 486 और 23 प्रतिशत अनुसूचित जाति-जनजाति यानी 23 पदों का 18 गुना अर्थात 414। निष्कर्ष यह कि सौ पदों पर प्रारंभिक परीक्षा में 900 सामान्य, 486 पिछड़ा वर्ग और 414 अनुसूचित जाति-जनजाति के अभ्यर्थी चुने जाते। मुख्य परीक्षा में चूंकि तीन गुना अभ्यर्थी पास कराए जाते इसलिए यही आंकड़ा सामान्य 150, पिछड़ा वर्ग 81 और अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 69 अभ्यर्थी का होता। अभ्यर्थियों के अनुसार प्रारंभिक परीक्षा में किसी भी दशा में आरक्षित वर्ग का कटआफ अनारक्षित वर्ग से अधिक नहीं हो सकता। यदि ऐसा होता है तो उसे घटाकर अनारक्षित वर्ग के बराबर कर दिया जाता है। कटआफ नीचे लाने की प्रक्रिया के दौरान जितने अभ्यर्थी मेरिट में आ जाते हैं, उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए अर्ह मान लिया जाता है। इससे आरक्षित वर्ग के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या 18 गुने से अधिक हो जाती है। पहले के परीक्षा परिणामों में ऐसा हो चुका है। साक्षात्कार संपन्न होने के बाद मुख्य परीक्षा के अंकों को जोड़कर अंतिम मेरिट बनाई जाती है। इसमें अनारक्षित वर्ग के कटआफ से अधिक अंक पाने वाले छात्र ओवरलैप कर जाते हैं। 1नई प्रक्रिया में संयुक्त मेरिट हर स्तर पर बनाई जाने की बात है। इससे पहली ही परीक्षा में आरक्षित वर्ग का एक बड़ा समूह अनारक्षित वर्ग के कटआफ से अधिक नंबर पाकर ओवरलैप कर जाएगा। आशय यह कि पहले ही मुकाबले में आरक्षण के नए दरवाजे का लाभ आरक्षित वर्ग को मिलने लगेगा और जितने अभ्यर्थी ओवरलैप करेंगे, सामान्य वर्ग के उतने ही अभ्यर्थी अपनी पहली ही परीक्षा में बाहर हो जाएंगे। अगला मुकाबला इनमें होगा जिसमें भी एक बड़ी संख्या ओवरलैप कर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को बाहर करेगी और साक्षात्कार में शेष रह गए अभ्यर्थियों के बीच स्पर्धा सिमट जाएगी
 


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यूपी बोर्ड के स्कूल होंगे ऑनलाइन

पहले मास्टर जी फिर खाएंगे विद्यार्थी मिड डे मील