Friday, July 19, 2013

ऐसे मिलेगा चोर दरवाजे का लाभ

  • अंतिम परिणाम आने तक सामान्य वर्ग के हाथ से निकल चुके होंगे बहुत पद

जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : आरक्षण की नई नियमावली के पीछे आखिर आयोग की मंशा क्या है? प्रतियोगियों की मानें तो इसके जरिए यहां के अधिकारी पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा का एक नया दरवाजा खोल रहे हैं। इस चोर दरवाजे की हर सीढ़ी सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व घटाएगी और अंतिम परिणाम आते-आते उनके हाथ से बहुत सारे पद निकल चुके होंगे। 1 अभ्यर्थी आरक्षण के पुराने सिस्टम का उदाहरण देते हुए अपने तर्को को विस्तार देते हैं। उनके अनुसार 27 मई 2013 से पहले प्रारंभिक परीक्षा में सभी पदों के सापेक्ष 18 गुना अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण कराया जाता था। यानी यदि सौ पद हैं तो 1800 अभ्यर्थी उत्तीर्ण कराए जाते थे। मुख्य परीक्षा में यह संख्या तीन गुना हुआ करती थी यानी सौ पदों के लिए तीन सौ। सौ पदों के हिसाब से 50 पद आरक्षित होते थे और इतने ही अनारक्षित। यानी प्रारंभिक परीक्षा में 900 अनारक्षित अभ्यर्थी चुने जाते थे और 900 आरक्षित। आरक्षितों का बंटवारा इस प्रकार होता था। 27 प्रतिशत ओबीसी यानी 27 पदों का 18 गुना अर्थात 486 और 23 प्रतिशत अनुसूचित जाति-जनजाति यानी 23 पदों का 18 गुना अर्थात 414। निष्कर्ष यह कि सौ पदों पर प्रारंभिक परीक्षा में 900 सामान्य, 486 पिछड़ा वर्ग और 414 अनुसूचित जाति-जनजाति के अभ्यर्थी चुने जाते। मुख्य परीक्षा में चूंकि तीन गुना अभ्यर्थी पास कराए जाते इसलिए यही आंकड़ा सामान्य 150, पिछड़ा वर्ग 81 और अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 69 अभ्यर्थी का होता। अभ्यर्थियों के अनुसार प्रारंभिक परीक्षा में किसी भी दशा में आरक्षित वर्ग का कटआफ अनारक्षित वर्ग से अधिक नहीं हो सकता। यदि ऐसा होता है तो उसे घटाकर अनारक्षित वर्ग के बराबर कर दिया जाता है। कटआफ नीचे लाने की प्रक्रिया के दौरान जितने अभ्यर्थी मेरिट में आ जाते हैं, उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए अर्ह मान लिया जाता है। इससे आरक्षित वर्ग के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या 18 गुने से अधिक हो जाती है। पहले के परीक्षा परिणामों में ऐसा हो चुका है। साक्षात्कार संपन्न होने के बाद मुख्य परीक्षा के अंकों को जोड़कर अंतिम मेरिट बनाई जाती है। इसमें अनारक्षित वर्ग के कटआफ से अधिक अंक पाने वाले छात्र ओवरलैप कर जाते हैं। 1नई प्रक्रिया में संयुक्त मेरिट हर स्तर पर बनाई जाने की बात है। इससे पहली ही परीक्षा में आरक्षित वर्ग का एक बड़ा समूह अनारक्षित वर्ग के कटआफ से अधिक नंबर पाकर ओवरलैप कर जाएगा। आशय यह कि पहले ही मुकाबले में आरक्षण के नए दरवाजे का लाभ आरक्षित वर्ग को मिलने लगेगा और जितने अभ्यर्थी ओवरलैप करेंगे, सामान्य वर्ग के उतने ही अभ्यर्थी अपनी पहली ही परीक्षा में बाहर हो जाएंगे। अगला मुकाबला इनमें होगा जिसमें भी एक बड़ी संख्या ओवरलैप कर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को बाहर करेगी और साक्षात्कार में शेष रह गए अभ्यर्थियों के बीच स्पर्धा सिमट जाएगी
 


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