नई
दिल्ली। डिग्री कॉलेज शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष किए जाने के
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को बड़ी राहत प्रदान की है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि रिटायरमेंट की उम्र तय करने का अधिकार सूबे की
सरकारों को है। छठे वेतन आयोग में शिक्षकों के कार्यकाल की अवधि को बढ़ाए
जाने की सिफारिश को लागू करना या न करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में
है। याद रहे कि उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को छोड़कर अन्य राज्यों ने
शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र को 65 साल नहीं किया है।
चीफ
जस्टिस अल्तमस कबीर, जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला व जस्टिस विक्रमजीत सेन की
पीठ ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के डिग्री कॉलेज अध्यापकों की ओर से
दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों को
लागू करने का अधिकार राज्य सरकार को है। इन सिफारिशों में सेवानिवृत्ति की
उम्र को बढ़ाया जाना भी शामिल है। साथ ही उसने साफ किया कि इस मामले में
यूजीसी का कोई लेना देना नहीं है और राज्य सरकारें इस मामले में फैसला लेने
के लिए स्वतंत्र हैं। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि यूपी में
सरकारी डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र 60 जबकि अन्य
डिग्री कॉलेजों में 62 साल ही रहेगी। इन याचिकाओं में छठे वेतन आयोग में
केंद्र की ओर से शिक्षकों के रिटरयरमेंट की उम्र की अवधि 65 साल किए जाने
की सिफारिश लागू किए जाने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की
गई थी। हालांकि 14 अगस्त, 2012 को केंद्र ने 65 वर्ष तक कार्यकाल किए जाने
की सिफारिश को वापस ले लिया था। यूपी सरकार ने 2009 में अधिसूचना जारी कर
65 वर्ष तक कार्यकाल किए जाने की सिफारिश को छोड़कर अन्य सभी को लागू कर
दिया। केंद्र ने 31 दिसंबर, 08 में छठा वेतन आयोग 2006 से लागू करने के
संबंध में अधिसूचना जारी की थी।
•सुप्रीम कोर्ट ने कहा उम्र तय करना राज्य सरकारों का अधिकार
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