Wednesday, July 17, 2013

UPPSC : इलाहाबाद में ढाई हजार अज्ञात के खिलाफ दर्ज हुई एफआइआर


लखनऊ : इलाहाबाद में प्रतियोगी परीक्षाओं में लोक सेवा आयोग की नई आरक्षण नीति के खिलाफ इलाहाबाद में सड़क पर उतरे प्रतियोगी छात्रों का आक्त्रोश थम ही नहीं रहा है। पुलिस प्रशासन भी अब सख्ती के मूड में हैं। इसी क्त्रम में सिविल लाइंस थाने में ढाई हजार अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस वीडियो फुटेज व फोटो देख कर अब उपद्रवी छात्रों को नामजद करने की तैयारी में है। उधर, नई आरक्षण नीति के विरोध में पीसीएस-2011 की मुख्य परीक्षा में चयनित सामान्य वर्ग के छात्रों ने साक्षात्कार का बहिष्कार करने की घोषणा की है। प्रतियोगियों ने कहा यदि 22 को निर्णय सामान्य छात्रों के खिलाफ रहा तो न साक्षात्कार देंगे और न ही देने देंगे। 26 जुलाई से लोक सेवा आयोग पीसीएस की मुख्य परीक्षा में चयनित छात्रों का साक्षात्कार है।



गौरतलब है कि प्रतियोगी परीक्षा के हर चरण में आरक्षण लागू करने की लोक सेवा आयोग की नई नीति के खिलाफ भड़की चिंगारी कल आयोग चौराहे से बढ़ कर शहर के एक बड़े हिस्से में फैल गई। लोक सेवा आयोग चौराहे से जुलूस बना कर निकले प्रतियोगी छात्रों ने सिविल लाइंस में जमकर तोड़फोड़ की। सरकारी वाहनों, रोडवेज बसों के साथ निजी वाहनों को भी नहीं बख्शा गया। खास कर प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा का झडा लगाए वाहनों को निशाना बनाया गया। सीएमपी डिग्री कॉलेज के पास भी छात्रों ने तोड़फोड़ व आगजनी की। पुलिस ने छात्रों को नियंत्रित करने के लिए कई बार लाठिया भी फटकारीं। जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद शाम करीब 6.30 बजे लोक सेवा आयोग के सचिव के साथ छात्रों के प्रतिनिधि मंडल ने वार्ता की व अनशन समाप्त कर दिया। सचिव ने छात्रों को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार कार्रवाई का भरोसा दिया।

लोक सेवा आयोग ने पीसीएस परीक्षा 2011 में आरक्षण के प्रावधानों में परिवर्तन कर दिया था। हाल ही में घोषित मुख्य परीक्षा के परिणाम इस नई नीति के अनुसार निकाले गए थे। इसमें आयोग ने पूर्व से चली आ रही साक्षात्कार में आरक्षण लागू करने की व्यवस्था को दरकिनार कर प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में भी मंडल कमीशन के प्रावधानों का लागू कर दिया। हाइकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए सुनवाई के लिए सोमवार 22 जुलाई की तिथि निर्धारित कर दी। हाईकोर्ट से तत्काल कोई राहत न मिलते देख छात्र उग्र हो गए


News Sabhaar : Jagran (16.7.13)
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UP Police SI Recruitment : संशोधित नियमावली से ही दारोगा पद की सीधी भर्ती


यूपी में राज्य सरकार ने उप निरीक्षक नागरिक पुलिस व पीएसी के प्लाटून कमांडर के पदों पर सीधी भर्ती की संयुक्त परीक्षा को संशोधित नियमावली के आधार पर ही कराए जाने का विचार किया है।

इसके लिए सर्वोच्च अदालत का सहारा लिया जाएगा। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने संशोधित नियमों से दारोगा की सीधी भर्ती प्रक्रिया पर स्पष्ट रोक लगा दी है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा था कि वह चाहे तो पुराने नियम पर भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकती है।

इसके बाद से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। सरकार ने अदालत के रुख के बाद पहले यह मन बनाया था कि भर्ती को पुरानी पद्धति के जरिए ही करा जाए पर बाद में जब न्याय विभाग की राय ली गई तो इसमें तकनीकी पेंच सामने आए।

गहन विधिक परामर्श के बाद यह पाया गया कि अगर संशोधित नियमावली को दरािकनार कर पुरानी पद्धति से भर्ती की जाएग़ी तो फिर से कई गड़बड़ियां हो सकती हैं, लिहाजा संशोधित प्रक्रिया से ही भर्ती करना उचित होगा।

अब यह तय हुआ है कि राज्य सरकार उच्च अदालत के समक्ष अपना पक्ष रख कर संशोधित नियमावली के आधार पर परीक्षा कराने का आग्रह करेगी और जरूरत पड़ी तो सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।

गौरतलब है कि संशोधित व्यवस्था के तहत अभ्यर्थियों के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा की दौड़ की दूरी पुरुषों के लिए 35 मिनट में 4.8 किलोमीटर और महिलाओं के लिए 20 मिनट में 2.4 किलोमीटर कर दी गई थी। जबकि पूर्व में यह दस किलोमीटर थी।

इसी दूरी को पूरा करने की कोशिश में कई अभ्यर्थियों को अपने प्राण गंवाने पड़े थे।

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Tuesday, July 16, 2013

विंडोज XP के उपभोक्ता रहें संभलकर...

भारत के साइबर विशेषज्ञों ने अपने कंप्यूटरों और लैपटॉप में विंडोज एक्सपी ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे लोगों को आगाह किया है और हैकिंग के प्रयासों से बचने के लिए तत्काल अपने सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करें।
   
सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रासॉफ्ट घोषणा कर चुकी है कि वह अगले साल 8 अप्रैल से विंडोज एक्सपी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए सपोर्ट सर्विस यानी तकनीकी सहायता समाप्त कर देगी और भारतीय इंटरनेट प्रणाली पर निगरानी रख रहे साइबर क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार इस निर्णय का उन सभी उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा जो इस ओएस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
   
कंप्यूटर इमरजेंसी रेसपांस टीम-इंडिया (सीईआरटी-इन) ने भारत में कंप्यूटर उपभोक्ताओं को दिये गये ताजा परामर्श में कहा कि विंडोज एक्सपी ऑपरेटिंग सिस्टम की सपोर्ट सर्विस समाप्त करने का मतलब है कि माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एक्सपी के लिए किसी तरह का ऑनलाइन तकनीकी सहयोग या अन्य कोई निशुल्क या भुगतान वाली सेवाएं नहीं प्रदान करेगी।
   
इस तरह से इस ओएस वाले कंप्यूटरों पर खतरा बढ़ जाएगा और हैकर आसानी से इनमें घुसपैठ कर सकते हैं। परामर्श में सिफारिश की गयी है कि विंडोज एक्सपी ओएस का उपयोग करने वाले सभी लोगों और संगठनों को अपनी जरूरत के हिसाब से उपलब्ध सबसे नये ओएस का तत्काल प्रयोग शुरू कर देना चाहिए और अप्रैल, 2014 से पहले ही सॉफ्टवेयर के सभी अनुप्रयोगों की जांच अच्छी तरह कर लेनी चाहिए।
   
माइक्रोसॉफ्ट ने अगस्त, 2001 में विंडोज एक्सपी ओएस को लांच किया था। इस ओएस का मौजूदा संस्करण विंडोज एक्सपी सर्विस पैक 3 है।


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UP Police SI Recruitment : संशोधित नियमावली से ही दारोगा पद की सीधी भर्ती


यूपी में राज्य सरकार ने उप निरीक्षक नागरिक पुलिस व पीएसी के प्लाटून कमांडर के पदों पर सीधी भर्ती की संयुक्त परीक्षा को संशोधित नियमावली के आधार पर ही कराए जाने का विचार किया है।

इसके लिए सर्वोच्च अदालत का सहारा लिया जाएगा। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने संशोधित नियमों से दारोगा की सीधी भर्ती प्रक्रिया पर स्पष्ट रोक लगा दी है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा था कि वह चाहे तो पुराने नियम पर भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकती है।

इसके बाद से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। सरकार ने अदालत के रुख के बाद पहले यह मन बनाया था कि भर्ती को पुरानी पद्धति के जरिए ही करा जाए पर बाद में जब न्याय विभाग की राय ली गई तो इसमें तकनीकी पेंच सामने आए।

गहन विधिक परामर्श के बाद यह पाया गया कि अगर संशोधित नियमावली को दरािकनार कर पुरानी पद्धति से भर्ती की जाएग़ी तो फिर से कई गड़बड़ियां हो सकती हैं, लिहाजा संशोधित प्रक्रिया से ही भर्ती करना उचित होगा।

अब यह तय हुआ है कि राज्य सरकार उच्च अदालत के समक्ष अपना पक्ष रख कर संशोधित नियमावली के आधार पर परीक्षा कराने का आग्रह करेगी और जरूरत पड़ी तो सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।

गौरतलब है कि संशोधित व्यवस्था के तहत अभ्यर्थियों के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा की दौड़ की दूरी पुरुषों के लिए 35 मिनट में 4.8 किलोमीटर और महिलाओं के लिए 20 मिनट में 2.4 किलोमीटर कर दी गई थी। जबकि पूर्व में यह दस किलोमीटर थी।

इसी दूरी को पूरा करने की कोशिश में कई अभ्यर्थियों को अपने प्राण गंवाने पड़े थे।


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UPPSC : इलाहाबाद में हिंसक हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन


लखनऊ : प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षण नियमों में बदलाव को लेकर इलाहाबाद में शुरू आंदोलन सोमवार को हिंसक हो उठा। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के बाहर जुटे हजारों प्रतियोगियों ने डेढ़ दर्जन से अधिक बसों में तोड़फोड़ की। कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और मार्च करते हुए मुख्य बाजार सिविल लाइंस को बंद करा दिया। इस दौरान प्रतियोगियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और सपा के एक विधायक के घर पर पथराव भी किया। शहर के मुख्य स्थानों पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। आयोग की भी पुलिस ने घेराबंदी कर रखी है

ज्ञातव्य है कि पीसीएस मुख्य परीक्षा 2011 में आरक्षण नियमों को परिवर्तित करने से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी नाराज हैं। इसके विरोध में पिछले एक सप्ताह से छात्र आंदोलनरत हैं। आज छात्रों ने विरोध प्रदर्शन का एलान किया था। दस बजे से सैकड़ों छात्र जुलूस की शक्ल में आयोग पहुंच गए थे। यह संख्या हजारों में पहुंच गई। आयोग की ओर से वार्ता की कोई पहल नहीं होने पर छात्र जुलूस की शक्ल में सिविल लाइंस के सुभाष चौराहे की ओर बढ़े और रोडवेज बस स्टैंड के पास पहुंचते ही तोड़फोड़ शुरू कर दी।



News Sbahaar : Jagran (15.7.13)

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पढ़ें: तार क्या था और इसे कैसे भेजा जाता था?


telegramआज से 163 साल पुरानी तार सेवा समाप्त हो गई, पर आज भी युवा पीढ़ी इस बात से अनजान है कि तार क्या था और इसे भेजा कैसे जाता था। नई पीढ़ी शायद इस बात पर भी यकीन न करे कि डाकिया जब तार लेकर किसी के दरवाजे पर आता था तो लोगों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती थी।
कैसे भेजा जाता था?
तार क्या था और इसे भेजा कैसे जाता था, इस संबंध में पड़ताल करने पर डाकघर के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह शहरों का टेलीफोन कोड है, उसी तरह टेलीग्राम करने के लिए जिलों और शहरों का भी टेलीग्राम कोड हुआ करता था। टेलीग्राम कोड छह अक्षरों का होता था। टेलीग्राम करने के लिए प्रेषक अपना नाम, संदेश और प्राप्तकर्ता का पता आवेदन पत्र पर लिखकर देता था, जिसे टेलीग्राम मशीन पर अंकित किया जाता था और शहरों के कोड के हिसाब से प्राप्तकर्ता के पते तक भेजा जाता था।
उन्होंने बताया कि टेलीग्राम करने के लिए पहले मोर्स कोड का इस्तेमाल होता था। विभाग के सभी सेंटर एक तार से जुड़े थे। मोर्स कोड के तहत अंग्रेजी के अक्षर व गिनती के अंकों का डॉट (.) और डैस (-) में सांकेतिक कोड बनाया गया था। सभी टेलीग्राम केंद्रों पर एक मशीन लगी होती थी। जिस गांव या शहर में टेलीग्राम करना होता था, उसके जिले या शहर के केंद्र पर सांकेतिक कोड से संदेश लिखवाया जाता था।
मशीन के माध्यम से संबंधित जिले या शहर के केंद्र पर एक घंटी बजती थी जिससे तार मिलने की जानकारी प्राप्त होती थी और सूचना तार के माध्यम से केंद्र पर पहुंचती थी। घंटी की सांकेतिक कोड को सुनकर कर्मचारी प्रेषक द्वारा भेजे गए संदेश को लिख लेता था। गड़बड़ी की आशंका के चलते टेलीग्राम संदेश बहुत छोटा होता था। संदेश नोट करने के बाद डाकिया उसे संबंधित व्यक्ति तक पहुंचा जाता था।
  
दिलों की बढ़ जाती थी धड़कन
टेलीग्राम या तार अक्सर मृत्यु या किसी की तबीयत खराब होने की जानकारी देने के लिए ही की जाती थी। इसी वजह से जब किसी घर में डाकिया तार लेकर आता था तो लोगों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती थी और कई बार तो बगैर तार पढ़े ही लोग रोना शुरू कर देते थे। डाकघर के अधिकारियों के अनुसार, तार सेवा सेना और पुलिस के साथ ही खुफिया विभाग के लिए बेहद उपयोगी थी। तत्काल संदेश पहुंचाने और गोपनीयता बरकरार रहने की वजह से सेना और पुलिस के साथ ही खुफिया संदेश भेजने के इच्छुक लोग इसका प्रयोग किया करते थे।
आखिरी दिन 20 हजार लोगों ने भेजे तार
आज भी कई लोगों के पास तार के माध्यम से प्राप्त संदेश सुरक्षित हैं। डाकघर के अधिकारियों ने बताया कि टेलीग्राम बंद होने की सूचना मिलने के बाद भी कुछ ही लोगों ने तार करने में रुचि ली। दिल्ली में हालांकि आखिरी दिन करीब 20,000 लोगों ने अपने प्रियजनों को तार भेजकर अपना शौक पूरा किया। जमाना बदला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तरक्की की बदौलत संचार सुविधाएं बढ़ गई हैं और लोगों को अब मोबाइल और इंटरनेट से ही संदेश भेजना अच्छा लगता है, पर जिन्होंने तार या पत्र भेजा है, उनके लिए निश्चित रूप से तार सेवा का महत्व आज भी बरकरार है। कई बूढ़े-बुजुर्गो की यादें तार से जुड़ी होंगी। जरा उनसे भी पूछ ही लीजिए।

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UPPSC : प्रतियोगियों ने विभिन्न परीक्षा परिणाम पर उठाए सवाल



आक्रोश के दरिया में बह गया ‘संस्कार’

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की परंपरा रही है कि यदि किसी मामले में सीनियर छात्र जूनियर से न कर दे तो जूनियर मान जाया करते थे। सोमवार को आरक्षण की नई नीति के खिलाफ विद्यार्थियों में इस कदर गुस्सा था कि सीनियर छात्रों और छात्रनेताओं के लाख मना करने, समझाने व शांत कराने की कोशिश के बाद भी उग्र जूनियर नहीं माने और वाहनों को अपना निशाना बनाया। प्रदर्शन के दौरान सीनियर छात्र जूनियर को हिंसा न अपनाने और शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की नसीहत देते रहे पर आक्रोश के आगे उग्र प्रतियोगी नहीं माने।

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के ऊपर आरोप लगाया कि जब से अध्यक्ष के रूप में अनिल यादव ने अध्यक्ष का पदभार संभाला है तबसे आयोग की परीक्षाओं में यादव उम्मीदवारों का चयन ज्यादा हो रहा है। प्रतियोगियों ने पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर के पदों के हाल ही में घोषित परिणाम का उदाहरण देते हुए पर्चे बांटे। पर्चे में लिखा हुआ था कि जूनियर इंजीनियर के 48 पदों में सामान्य वर्ग के सिर्फ 11 छात्रों का चयन हुआ जबकि ओबीसी वर्ग में 29 अभ्यर्थियों में से 15 यादव हैं। इस परीक्षा में एससी वर्ग के चार व एसटी के चार अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।1प्रवक्ता समाजशास्त्र के 11 पदों में से आठ पदों पर भी जाति विशेष के अभ्यर्थियों का चयन किया गया। इसी प्रकार कॉमर्स लेक्चरर के दोनों पद, होमसाइंस लेक्चरर में भी आठ पदों पर इसी जाति विशेष के छात्रों का चयन किया गया। बॉटनी लेक्चरर की 15 रिक्तियों में तीन पदों पर जाति विशेष के लोग चुने गए हैं। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि सभी परीक्षाओं में एक जाति विशेष के लोगों का चयन महज संयोग नहीं है। यह आयोग के अधिकारियों की सोची समझी साजिश है। 1गैर यादव ओबीसी प्रतियोगी भी आंदोलन में हुए शामिल1आरक्षण के विरोध में गैर यादव ओबीसी प्रतियोगी भी उतर आए हैं। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में गैर ओबीसी प्रतियोगी मौजूद रहे। प्रतियोगियों का कहना है था कि विगत कई परीक्षाओं में लोक सेवा आयोग के अधिकारी एक ओबीसी की एक जाति विशेष को नौकरी बांट रहे हैं। इससे ओबीसी कोटे के प्रतियोगियों का भी हक मारा जा रहा है। अन्य ओबीसी छात्रों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है





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UPTET 2013 : टीईटी के गड़बड़ प्रश्नों की रिपोर्ट आएगी आज


इलाहाबाद। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी-2013)की संपन्न हुई परीक्षा के दौरान जिन दर्जनभर प्रश्नों में गड़बड़ी हुई थी उनका निस्तारण सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश इलाहाबाद द्वारा गठित शिक्षाविदें की टीम मंगलवार को पूरा करके अपनी रिपोर्ट देगी। परीक्षा के दौरान एक दर्जन से अधिक प्रश्न और उनके उत्तर गलत होने पर अभ्यर्थियों ने प्रश्न चिह्न लगाते हुए उसके लिए सभी अंक देने की मांग की थी। इस पर सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश इलाहाबाद ने अभ्यर्थियों से आन लाइन गलत प्रश्नों व उनके उत्तर की मांग की थी। जो भी प्रश्न और उत्तर परीक्षा के दौरान गलत आये हुए थे उनका शिक्षाविदें की टीम ने लगभग निस्तारण कर लिया है


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