आक्रोश के दरिया में बह गया ‘संस्कार’
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की परंपरा रही है कि यदि किसी मामले में सीनियर छात्र जूनियर से न कर दे तो जूनियर मान जाया करते थे। सोमवार को आरक्षण की नई नीति के खिलाफ विद्यार्थियों में इस कदर गुस्सा था कि सीनियर छात्रों और छात्रनेताओं के लाख मना करने, समझाने व शांत कराने की कोशिश के बाद भी उग्र जूनियर नहीं माने और वाहनों को अपना निशाना बनाया। प्रदर्शन के दौरान सीनियर छात्र जूनियर को हिंसा न अपनाने और शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की नसीहत देते रहे पर आक्रोश के आगे उग्र प्रतियोगी नहीं माने।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के ऊपर आरोप लगाया कि जब से अध्यक्ष के रूप में अनिल यादव ने अध्यक्ष का पदभार संभाला है तबसे आयोग की परीक्षाओं में यादव उम्मीदवारों का चयन ज्यादा हो रहा है। प्रतियोगियों ने पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर के पदों के हाल ही में घोषित परिणाम का उदाहरण देते हुए पर्चे बांटे। पर्चे में लिखा हुआ था कि जूनियर इंजीनियर के 48 पदों में सामान्य वर्ग के सिर्फ 11 छात्रों का चयन हुआ जबकि ओबीसी वर्ग में 29 अभ्यर्थियों में से 15 यादव हैं। इस परीक्षा में एससी वर्ग के चार व एसटी के चार अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।1प्रवक्ता समाजशास्त्र के 11 पदों में से आठ पदों पर भी जाति विशेष के अभ्यर्थियों का चयन किया गया। इसी प्रकार कॉमर्स लेक्चरर के दोनों पद, होमसाइंस लेक्चरर में भी आठ पदों पर इसी जाति विशेष के छात्रों का चयन किया गया। बॉटनी लेक्चरर की 15 रिक्तियों में तीन पदों पर जाति विशेष के लोग चुने गए हैं। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि सभी परीक्षाओं में एक जाति विशेष के लोगों का चयन महज संयोग नहीं है। यह आयोग के अधिकारियों की सोची समझी साजिश है। 1गैर यादव ओबीसी प्रतियोगी भी आंदोलन में हुए शामिल1आरक्षण के विरोध में गैर यादव ओबीसी प्रतियोगी भी उतर आए हैं। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में गैर ओबीसी प्रतियोगी मौजूद रहे। प्रतियोगियों का कहना है था कि विगत कई परीक्षाओं में लोक सेवा आयोग के अधिकारी एक ओबीसी की एक जाति विशेष को नौकरी बांट रहे हैं। इससे ओबीसी कोटे के प्रतियोगियों का भी हक मारा जा रहा है। अन्य ओबीसी छात्रों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है
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