फतेहपुर, जागरण संवाददाता : वित्तविहीन स्कूलों के प्रबंधकों की चालाकी ने परेशानी का सबब बन सकती है। कॉलेज में कम तनख्वाह में पढ़ाने वाले शिक्षकों को दर किनार करते हुए प्रबंधकों ने इंटरनेट सूची में रिश्तेदारों के नाम दर्ज करा रखे हैं। ऐसे में पढ़ाने वाले शिक्षकों की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में नहीं लग पाएगी। यही भी सही है कि कक्ष निरीक्षक के रूप में चयनित हो रहे शिक्षक ड्यूटी करेंगे कि नहीं यह तो आने वाला समय बताएगा।
वित्तविहीन कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को तनिक सा भी गुमान नहीं होगा कि दायित्व निर्वहन के बाद भी उसे हाशिए पर डाल दिया गया है।
मानदेय के लालच में प्रबंधकों ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा कर अपनों को इंटरनेट की सूची में डलवा दिया है। जिले में 165 वित्तविहीन स्कूल-कॉलेज हैं। जिसमें यह संख्या तो स्पष्ट नहीं है कि कितनों ने यह काम किया है। लेकिन जानकार मानते हैं कि ऐसे कम ही प्रबंधक हैं जिन्होंने काम कर रहे शिक्षकों के साथ न्याय किया है।
मिला मानदेय तो धोएंगे हाथ
शासन में लंबित पड़ी मांग अगर सरकार पूरी कर लेती है तो लंबे समय से वित्तविहीन विद्यालयों में काम करने वाले शिक्षक लाभ से वंचित रह जाएंगे। कारण कि उनका नाम इंटरनेट में नहीं है।
बोर्ड के पास जो सूची है। वित्तविहीन शिक्षकों का संगठन बराबर मांग पर अड़ा हुआ है। एलान करने के साथ ही उसे आशा है कि वर्ष 2017 के चुनाव के पहले उनकी इस मांग पर विचार हो सकता है।
कक्ष निरीक्षकों की कमी अखरेगी
कक्ष निरीक्षकों की ड्यूटी में लगाए जा रहे रिश्तेदार शिक्षक ऐसे है जो गैर जनपदों में रहते हैं। बोर्ड परीक्षा में उनका दायित्व निभाना खासा कठिन काम है। जीवन की तमाम बंदिशों और अल्प मेहनताने के लिए सरकारी काम में हाथ बांट पाना उनके वश में नहीं है।
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'कक्ष निरीक्षकों की ड्यूटी भेजे गए प्रोफार्मा और इंटरनेट में सूची से मिलान के साथ ही लगाई जा रही है। प्रबंधकों ने रिश्तेदारों को सूची में डाला है इसका मिलान कर पाना मुश्किल भरा काम है।
कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी वहीं कर पाएंगे जो परिचय पत्र पाएंगे।'
मोहम्मद रफीक जिला विद्यालय निरीक्षक
Publish Date:Wed, 07 Jan 2015 05:51 PM (IST) | Updated Date:Wed, 07 Jan 2015 05:51 PM (IST)
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