इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम के तहत हो रही भर्तियों पर सरकार ने लगाई रोक
लखनऊ। महिला कल्याण विभाग में इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम (आईसीपीएस) के तहत हो रही भर्तियों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। संविदा के आधार पर हो रही 363 पदों की भर्तियों में बिना शैक्षिक योग्यता व अर्हता के ही अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया। नियुक्तियों की गड़बड़ी की सूचना जैसे ही सरकार को लगी इस पर तत्काल रोक लगा दी गई है। किसी को भी नियुक्ति पत्र जारी न करने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में महिला कल्याण निदेशालय की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
दरअसल, हाईकोर्ट ने 10 मार्च 2013 को अनूप गुप्ता बनाम राज्य की एक जनहित याचिका में आईसीपीएस के तहत प्रोटेक्शन होम व बाल गृहों के बच्चों की देखभाल व समुचित विकास के लिए विभिन्न पदों पर नियुक्तियों के निर्देश दिए थे। नियमित नियुक्ति न होने तक यह पद संविदा के आधार पर भरने के लिए कहा था। इससे पहले भी दो बार इन पदों के लिए साक्षात्कार हो चुके हैं। लेकिन इन्हें भी किसी न किसी कारणों की वजह से निरस्त कर दिया गया था।
अब तीसरी बार नियुक्तियों के लिए प्रक्रिया चल रही थी। इनमें समूह ग के 123 व समूह घ के 240 पद हैं। इस बार महिला कल्याण निदेशालय ने भर्ती के लिए एक सेवा प्रदाता कंपनी भी रखा था। सभी पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया फाइनल हो चुकी थी। एक-दो दिनों में इन्हें नियुक्ति पत्र दिए जाने थे। इसी बीच इसमें गड़बड़ी की शिकायत महिला कल्याण एवं संस्कृति मंत्री अरुण कुमारी कोरी को लगी। उन्होंने इसकी जांच कराने के निर्देश दिए।
प्रारंभिक जांच में ही सरकार को काफी गड़बड़ियां मिली हैं। सूत्रों के अनुसार नियुक्तियों में यह भी नहीं देखा गया कि जिस पद के लिए नियुक्ति की जा रही है, उसमें अभ्यर्थी शैक्षिक अर्हता ही पूरी नहीं करते हैं। इस आधार प्रमुख सचिव महिला कल्याण ने तत्काल इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं।
News Sabhar: अमर उजाला ब्यूरो
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