लखनऊ। परिषदीय स्कूलों में
ज्यादातर शिक्षक सिर्फ नौकरी
करने आते हैं।
वे सेवाभाव से
बच्चों को नहीं
पढ़ाते हैं। इन्हें
विषय के बारे
में जानकारी नहीं
होती है। क्योंकि
घर से तैयारी
करके नहीं आते
हैं। मंडलीय सहायक
शिक्षा निदेशकों और बेसिक
शिक्षा अधिकारियों ने सोमवार
को समीक्षा बैठक
में बेसिक शिक्षा
निदेशक डीबी शर्मा
के सामने आए
इन तथ्यों को
रखा। अफसरों ने
परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई
के गिरते स्तर
के लिए शिक्षकों
को जिम्मेदार बताया।
साथ ही कहा
कि इसी वजह
से परिषदीय स्कूलों
में छात्र संख्या
गिर रही है।
मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव परिषदीय
स्कूलों की पढ़ाई
से नाखुश हैं।
पढ़ाई में सुधार
लाने के उनके
निर्देश के बाद
सहायक मंडलीय शिक्षा
निदेशक बेसिक, बीएसए व
खंड शिक्षा अधिकारियों
को स्कूलों में
निरीक्षण का लक्ष्य
दिया गया है।
बेसिक शिक्षा निदेशक
ने निरीक्षण में
आए तथ्यों की
जानकारी के लिए
सोमवार को अधिकारियों
को बुलाया था।
इसमें बेसिक शिक्षा
निदेशक के अलावा
अपर शिक्षा निदेशक
बेसिक व वित्त
नियंत्रक बेसिक भी शामिल
हुए। अफसरों ने
कहा कि सबसे
पहले शिक्षकों को
सेवाभाव के आधार
पर पढ़ाने के
लिए प्रेरित करना
होगा। अधिकारियों ने
यह भी बताया
कि बेसिक शिक्षा
मंत्री के निर्देश
पर गोद लेने
वाले स्कूलों को
चिह्नित कर लिया
गया है। हर
जिला मुख्यालय पर
दो इंग्लिश मीडियम
स्कूलों को चिह्नित
करने का काम
भी लगभग पूरा
हो चुका है।
इंग्लिश मीडियम स्कूलों में
तैनाती का बनेगा
नियम
निदेशक ने बैठक
में बेसिक शिक्षा
अधिकारियों को बताया
कि इंग्लिश मीडियम
के परिषदीय स्कूलों
में शिक्षकों की
तैनाती के लिए
अलग से नियम
बनाए जाएंगे। इस
संबंध में सचिव
बेसिक शिक्षा परिषद
से जल्द ही
प्रस्ताव मांगा गया है।
अधिकारियों को यह
भी बताया गया
कि एक स्कूल
में पांच से
लेकर सात शिक्षक
तैनात किए जाएंगे
और ये परिषदीय
स्कूलों के ही
होंगे।
News Sabhaar : Amar Ujala 23.12.14
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