लखनऊ (ब्यूरो)। किताब से लेकर खाने और कपड़े तक की व्यवस्था मुफ्त करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग की परीक्षा का खर्च खुद बच्चों को उठाना पड़ेगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय स्कूलों की छमाही परीक्षा 15 दिसंबर से करने का आदेश जारी कर दिया है। इसके लिए पिछले कुछ साल की तरह इस साल भी बजट जारी नहीं किया गया है। मजे की बात यह है कि इस साल स्कूलों को विद्यालय विकास अनुदान और सामान्य रख-रखाव का बजट भी नहीं दिया गया है।
ऐसे में परीक्षा का पूरा खर्च बच्चों को ही उठाना होगा।
वर्ष 2011 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों से किसी प्रकार का शुल्क लेने पर पाबंदी लग गई।
सरकार ने परीक्षा के लिए कोई बजट जारी नहीं किया। साथ ही विद्यालय विकास अनुदान तक का बजट नहीं भेजा है। इस साल की छमाही परीक्षाएं 15 दिसंबर से होनी हैं। हालत यह है कि स्कूलों में सामान्य टूट-फूट आदि की मरम्मत करने में हालत खराब हो रही है। ऐसे में एक बार फिर से शिक्षक ब्लैक बोर्ड पर प्रश्नपत्र लिखेंगे और बच्चे अपने खर्च पर लाई हुई कॉपियों पर उसका उत्तर लिखेंगे।
छमाही परीक्षा सतत मूल्यांकन का अंग है। शिक्षक ब्लैक बोर्ड पर प्रश्नपत्र लिख देंगे और बच्चे अपनी कॉपियों पर उसका उत्तर लिख देंगे। इसमें किसी प्रकार के बजट की जरूरत ही नहीं है। हां यह सही है कि इस बार विद्यालय विकास अनुदान का पैसा जारी नहीं हुआ है।
प्रवीण मणि त्रिपाठी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
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