जब में
अकेले में ध्यान से सोचता हु की न्याय की देवी की आँखों पे काली पट्टी
क्यों बंधी होती है तो एक ही बात समझ में आती है महाभारत में दुर्योधन का
बाप अँधा था वो न्याय नहीं कर सकता था अउर आज कल हमारे देश में भी ये ही हो
रहा है क्योकि न्याय की देवी की आँखों पे काली पट्टी जो बंधी है
अब तक आपने अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहानी सुनी होगी आज में आपको अँधा कानून मुर्ख मुखिया की कहानी सुनाता हु
२०११ की बात है एक आदमी के दो बेटे
थे दोनों में बाप के जायदाद को लेकर लड़ाई हुई मामला कोर्ट में पंहुचा बड़े
बेटे ने कहा बापू जी के जायदाद का वारिश में हु छोटा बोला में हु तब बड़े
बेटे ने कोर्ट में जो वसीयत दिखाई उसमें बाप का अंगूठा लगा था इलाहाबाद का
अकेला मुखिया ने कहा तुम्हारा बाप तो पढ़ा लिखा था लेकिन वसीयत में अंगूठा
क्यों लगा है ये वसीयत फर्जी है और वसीयत को रद्द कर दिया छोटा बेटा खुसी
खुसी अपने खेत में खेती करने लगा ४ फ़रवरी को दो मुखिया लोगो ने उसके खेती
करने पे रोक लगा दी और कोर्ट में डेट डेट लगता रहा छोटे बेटे के दोस्त
दिलासा देते रहे भाई तू परेशान ना हो तुझे न्याय मिलेगा लेकिन २० नवम्बर
को दोनो मुखिया ने फैसला दिया बाप पढ़ा लिखा जरूर था लेकिनं अंगूठा भी उसी
बाप है इसलिए वसीयत सही है
छोटा बेटा परेशान हो गया वो उससे बड़ी
पंचायत डेल्ही में गया लेकिन वहा के मुखिया ने कहा २ शाल बाद ये फैसला
आया है इसलिए ये फैसला सही है और छोटे बेटे की बात नहीं सुनी
छोटा
बेटा बीच बीच में सत्य को साबित करने के लिए बार बार पंचायत जाता रहा
लेकिन कभी उसको लखनऊ तो कभी इलहाबाद भेजा जाने लगा आख़िरकार उसकी मेहनत रंग
लायी लखनऊ के मुखिया ने कहा ठीक है अंगूठा तुम्हारे बाप का है लेकिन उसने
डॉक्यूमेंट में खुद लगाया था की मरने के बाद तुमने खुद जबरजस्ती उसकी लाश
का हाथ पकड़ के लगवाये हो
हम इसकी जांच करेंगे उसके बाद तुम्हारी वसीयत
सही है या गलत है इसका फैसला करेंगे अगर वो सच में पढ़ा लिखा होगा तो
तुम्हारी वसीयत रद्द करेंगे
तभी सबसे बड़ी पंचयत में डेट लग गयी ३ डेट
पे मुखिया अनूठा लगवाने की बात को नकारते रहे बोले पढ़ा लिखा आदमी अंगूठा
नहीं लगता ये बात सरासर गलत है हम इस वसीयत को नहीं मानते छोटा भाई खुस
हुआ अब उसे लगा की भगवन के घर देर है अंधेर नहीं
लेकिन ये क्या रातो
रात जज गजनी बन गए अपनी पूरी बात भूल गए क्योकि किसी ने कह दिया जज ई जवन
छोटका लइकवा हव वो के लेखपाल बहुत मानल ल और ये लेखपाल आपके आदेश का पालन
नहीं करल
अक्चा ई बात हव देख काली का फैसला
आज हम केहु क बात ना
सुनब कहो (लेखपाल ) उ गाव में सरकारी जमीन कितना हव लेखपाल ३ सौ एकड़ ता
ऐसा करे की जितना भी बड़का लईका का सामान्य नातेदार रिस्तेदार है जेकर पास
१०५ एकड़ जमीन हाउ ओके अउर जेकरे पास 98 एकड़ जमीन बा ओके सब के जमीन २५ से
पाहिले दे दिहये नहीं ता .........
छोटा बेटा परेशान भाई ई कैसा फैसला
है हम सही गलत का फैसला करने आये थे अउर ऐसा फैसला ????अगर जमीन ३ सौ एकड़
थी तो दोनों भाइयो को ७२ /७२ एकड़ दिए होते जिससे विवाद खत्म होता लेकिन ई
ता बहुत बड़ा अन्याय है
शर्म करो शर्म करो जब तक ऐसे मुर्ख लोग
दुनिया में रहेंगे न्याय नहीं होगा जो न्याय तो करते नहीं अउर अन्याय का
समर्थन करते है धिकार है शर्म करो
अब भी छोटा लड़का हार नहीं मानेगा अउर अपना कोसिस करेगा क्योकि उसको विस्वाश है कोसिस करनेवालो की कभी हार नहीं होती
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