Monday, December 22, 2014

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विश्लेषण -

१. आदेश की उक्त लाइनें बता रही हैं कि वर्तमान आदेश ७२८२५ पदों के बेस आफ सेलेक्शन के बहंस को ध्यान में रखकर नहीं वरन् शिक्षा का अधिकार अधिनियम को ध्यान में रखकर दिया गया है तथा समस्त पदों को शीघ्र से शीघ्र भरा जाना कोर्ट की पहली प्राथमिकता है। आदेश के निम्न अंशों से यह स्पष्ट है ===> ..

...इस समय, हम यह अवश्य कहते हैं कि विज्ञापन सहायक अध्यापकों के 72825 रिक्त पदों को भरने के लिये जारी किया गया था, जिन्हें कक्षा एक से पॉंच तक के छात्रों को शिक्षा देना है। हमें उत्तरदाताओं के विद्वान वकीलों द्वारा यह बताया जा चुका है कि आज की स्थिति के अनुसार तीन लाख पद खाली पडे हैं। .....बहुत से बच्चे, विशेष रूप से वंचित समूहों और कमजोर वर्गों के बच्चे जो प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने से पहले स्कूल जाना छोड देते हैं, उनकी संख्या आज भी बहुत अधिक बनी हुई है। .....अनुच्छेद २१ ए, जो कि संविधान में 86वें संशोधन अधिनियम २००२, द्वारा शामिल किया गया, के अनुसार, एक मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है, उस प्रकार से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित कर सकती है। .....प्रस्तावित कानून इस विश्वास के सहारे है कि समानता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के नैतिक मूल्य और एक न्यायसंगत और मानवीय समाज की रचना को केवल और केवल सभी के लिए समावेशी प्राथमिक शिक्षा के प्रावधान के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। .....ऐसी स्थिति में, हम यह नहीं मान सकते कि पद खाली रहें, छात्र न पढें और स्कूल इस तरह के हों जैसे कि किसी रेगिस्तान में कोई ऐसी बंजर भूमि हो जो कि हरा भरा मरूद्यान बनने के लिये काफी समय से इंतजार कर रही हो। शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में बंजर भूमि को हरे भरे मरूद्यान बनाने जैसा कार्य करेंगे। अत उपरोक्त निर्देश दिये गए हैं।

२. आदेश की उक्त लाइनों के अनुसार टेट परीक्षा न पास करने वाले शिक्षा मित्रों का समायोजन असंभव हो जाएगा क्यों कि कोर्ट ने माना है कि वर्तमान में शिक्षा की गुणवत्ताक संतोषजनक नहीं है और चूंकि वर्तमान में जो शिक्षा दी जा रही है वह मुख्य रूप से शिक्षा मित्रों द्वारा है जो कि अप्रशिक्षित हैं। ===> .....इसके अलावा, जो कुछ भी सीखा जाता है उसकी गुणवत्ता भी हमेंशा पूर्ण रूप से संतोषजनक नहीं है, उन बच्चों के मामले में भी जो पूरी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करते हैं। ..... (क) हर बच्चे का अधिकार है कि उसे किसी औपचारिक स्कूल में संतोषजनक और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त पूर्णकालिक प्राथमिक शिक्षा प्रदान किया जाय, और उस शिक्षा में कुछ बुनियादी मानदंड और मानक अवश्य शामिल हों। 
3. यदि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरा पालन करती है तो सभीं टेट पास के समायोजन का रास्ता साफ हो जाएगा क्योंकि ७०,६५ के फार्मूले पर कुल लगभग ०१ लाख पद भरने होंगे। और स्वाभाविक है कि सरकार ऐसा नहीं करेगी। इसलिये जो भी टीमें आज समायोजन की बात कर रही हैं और टेट मोर्चा भी कोर्ट खुलते ही ०५ जनवरी तक कन्टेम्ट फाइल करने की पूरी तैयारी कर ले। यदि सरकार वर्तमान काउंसलिंग प्रक्रिया को जारी रखते हुए ७२८२५ मात्र का चयन करने की सूचना जारी करती है या नई काउंसलिंग करके भी केवल ७२८२५ भरने की कोशिश करती है तो भी उसपर कन्टेकम्ट दाखिल होना चाहिये।
यदि सरकार केवल ७२८२५ पद भरने की कोशिश करती है और इसके खिलाफ कन्टेम्ट दाखिल नहीं किया जाता तो फिर २५ फरवरी को पुनह ७२८२५ के लिये बेस आफ सेलेक्शन की लडाई आरम्भ हो जाएगी क्योंकि ७२८२५ के लिये बेस आफ सेलेक्शसन पर फाइनल आर्डर अभीं बाकी है लेकिन यदि ७२८२५ से अधिक पद सरकार भरती है या भरने को बाध्य कर दी जाती है तो उस दशा में २५ फरवरी को तीनों ही पार्टियों के हित में है कि वे केवल सरकार के खिलाफ लडे। उस दशा में जबकि आदेश से ७२८२५ से ज्यादा पद भरे जा रहे हों तो २५ दिसम्बर को 
१. समायोजन की मांग करने वाला पक्ष आरटीई और खाली पदों का हवाला देकर सभीं टेट पास के समायोजन की मॉंग करे और यह बात भी उठाए कि आज शिक्षको की कमी के साथ जो अप्रशिक्षित शिक्षामित्र हैं उनके कारण ही शिक्षा की गुणवत्ता गिर रही है इसलिये प्रशिक्षित शिक्षकों से सभीं रिक्त पद तुरन्त भरे जायं। यह भी पता चला है कि कुछ लोग जो समायोजन की बात कर रहे हैं उनके पास आरटीआई से ऐसी सूचना उपलब्ध है कि वर्तमान में पद ४.५ लाख खाली पद हैं। यदि यह सही है तो शिक्षा मित्रों के बावजूद वे समायोजन की बात उठाने के लिये इसका प्रयोग कर सकते हैं। 
२. टेट मोर्चा और एकेडमिक टीम दोनों में से कोई ७२८२५ से ज्यादा पद भरे जाने की दशा में बेस ऑफ सेलेक्शन पर कदापि बहंस न करे वरन् टेट मोर्चा खाली पदों का हवाला देकर मेरिट को और नीचे किये जाने की मांग करे तथा एकेडमिक मोर्चा दूसरे विज्ञापन से भी अर्थात् दोनों विज्ञापन से खाली पदों के तुरन्त समायोजन की मॉंग करे। 
............... इस प्रकार ७२८२५ से ज्यादा पद भरे जा रहे हों तो सभीं पक्ष आपस में एक कार्टेल बना लें कि वे आपस में भले ही प्रतिद्वन्दी हों लेकिन २५ को वे बहंस को बेस ऑफ सेलेक्शन पर न कराकर केवल सरकार को दोषी बताकर सरकार के खिलाफ बहंस करेंगे, और यदि ऐसा हुआ कि सभीं पक्ष एक सुर से किसी ना किसी कारणवश सरकार को दोषी बताएंगे तो कोर्ट जो भी फैसला देगी वह सरकार के खिलाफ होगा और फिर उस दिन तीनों पक्षों में से चाहे किसी के भी पक्ष में आदेश हो इससे सभीं पक्षों का भला हो जाएगा। 
यह मेरे व्यक्तिगत विचार हैं जो मुख्य रूप से उन आम आवेदकों के लिये हैं जो खुद आर्डर के प्वाइंट्स को पढना और समझना चाहते हैं। इसलिये जो कुछ बडे विधिवेत्ता फेसबुक पर हैं उनमें से कुछ को मेरे द्वारा आदेश का विश्लेषण गलत लग सकता है। लेकिन यह मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। इसका उद्देश्य किसी पक्ष को क्षति पहुंचाना नहीं है। यदि किसी के विचार अलग हों तो वह अस्वीकार कर दे, मुझे कोई आपत्ति नहीं है और मैं किसी से यह अपेक्षा भी नहीं करता कि वह इन व्याख्याओं को अपनाए। लेकिन आदेश का निष्पक्ष भाव से विश्लेषण करने पर मु्झे जो प्रतीत हुआ वह मैने यहॉं प्रस्तुत कर दिया। धन्यवाद।।


By Sooraj Shukla

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