कल हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में इस मामले में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (N C T E) द्वारा प्रस्तुत अपने पक्ष का हलफनामा जो परिषद से अदालत द्वारा माँगा गया था।
परिषद द्वारा प्रस्तुत इस हलफनामा में इस बारे में कोर्ट द्वारा पूंछे गये सवालो के जवाब क्रमांक 1 से लेकर 28 तक रखे हैं ।
- 1- विन्दु 4 में शिक्षामित्र योजना और इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। परिषद ने कहा कि 26 मई1999 के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि इन्हें 11 माह के अनुबंध पर रखा गया था ।
- 2-विन्दु 5 और 6 में परिषद ने साफ कहा कि शिक्षा मित्रो का अनुबंध प्रशिक्षित शिक्षको की कमी के कारण किया गया जिसमे पंचायत स्तर पर गठित समिति जिसमे ग्राम प्रधान, प्रधानाध्यापक थे, की संस्तुति के पश्चात् इसे जिला स्तर पर गठित समिति जिसमे जिलाधिकारी अध्यक्ष थे, के अनुमोदन पश्चात् इन्हें सेवा में अनुबंधित किया गया।
- 3- विन्दु 7 और 8 में कहा गया कि सरकार ने आगे अनुबंध में लिये जाने हेतु प्रशिक्षित बीएड और अप्रशिक्षित स्नातक को भी उच्च वरीयता में स्थान रखा पर अनुबंध 11 महीने का ही रहा जिसे संतोषजनक पूरा होने पर आगे बढ़ाया जाता था।
- 4 -विन्दु 9 में परिषद ने कहा कि राज्य सरकार ने 15 जून 2007 को आदेश जारी कर कहा कि इन्टर उत्तीर्ण शिक्षामित्रो को आगे की पढाई हेतु कोई अवकाश प्रदान नही किया जायेगा।
- 5- विन्दु 10 जिसमे परिषद ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा मित्रो को सहायक अध्यापक में नियुक्ति पाने का कोई कानूनी अधिकार नही है।क्यूंकि इनका अनुबंध सिर्फ 11 महीने का है और कुछ अभ्यर्थियों के पास तो आवश्यक योग्यता भी नही है।
- 6- विन्दु 11 के अनुसार उ0प्र0 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के पूर्व बीटीसी अभ्यर्थियों को बिना शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण किये बिना नियुक्ति प्रदान नही की गयी है, जबकि अधिनियम लागू होने से पूर्व ऐसे ही बीटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान की गयी है। जिसे दो पैमाने में नही तौला जा सकता है जबकि यह अधिनियम पूरे राष्ट्र में सामान रूप से लागू है।
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