लखनऊ। वर्ष 2014 में भले ही बेसिक शिक्षा महकमा कुछ मामलों में अपने वादे पूरे न कर सका। लेकिन कई ऐसी प्रमुख योजनाएं भी रहीं जो उपलब्धियों के तौर पर उसके खाते में जुड़ गईं। जहां कई सालों से चल रही 72,825 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया कई चरणों की काउंसिलिंग होने के बाद भी पूरी नहीं हो सकी। वहीं लंबे समय से शिक्षक बनने का इंतजार करने वाले शिक्षा मित्रों के पहले बैच का समायोजन करते हुए उन्हें शिक्षक बना दिया गया। इसके अलावा शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर भी कई अहम फैसले लिए गए हैं। जिन्हें 2015 के नए शैक्षिक सत्र से अमलीजामा पहनाने की तैयारी तेजी से की जा रही है।
2014 में मिलीं उपलब्धियां
- प्राथमिक विद्यालयों में तैनात 58,826 शिक्षा मित्रों बने सहायक अध्यापक।
जूनियर हाईस्कूलों में अनुदेशकों की नियुक्ति। - विशिष्ट बीटीसी के तहत शिक्षकों की नियुक्तियां।
- भवन निर्माण का पैसा हजम करने वाले दो शिक्षकों पर कार्रवाई।
- महात्मा गांधी द्वारा उद्घाटित पूर्व माध्यमिक विद्यालय चिनहट का पुनरुद्धार।
एबीआरसी,एबीएसए, बीएसए,एडी बेसिक द्वारा दो-दो स्कूलों को गोद लेना। - नए शैक्षिक सत्र से दो-दो प्राथमिक विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू कराना।
- एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरू करने का निर्णय।
- 72,825 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अधूरी।
- गणित-विज्ञान शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अधूरी।
- आरटीई के तहत न बनी हेल्पलाइन न रखी गई स्कूलों में शिकायत पेटिका।
- नहीं बनीं मान्यता के लिए ऑनलाइन आवेदन की वेबसाइट।
- स्कूलों में शिक्षकों व बच्चों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली योजना अधर में।
- औपचारिक रूप से नहीं शुरू हो सका अक्षयपात्रा का मिड-डे-मील प्रोजेक्ट।
- गोद लिए गए परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करना।
- राजधानी में नामांकित बच्चों को स्कूल में रोकने के लिए उपस्थिति को लेकर प्रतियोगिता।
- अधिक उपस्थिति वाले बच्चे को मिलेगा इनाम व बैज।
- प्राइमरी-जूनियर की समय सारिणी होगी कॉमन
नए साल में हम शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का पूरा प्रयास करेंगे। इसके लिए यह तय किया है कि नए शैक्षिक सत्र से एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय का टाइम टेबिल एक होगा। इससे शिक्षक एक दूसरे के विद्यालय में जाकर समय सारिणी के अनुसार पढ़ाएंगे। ऐसा करने से शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होने से बचेगी। इसके अलावा बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए एक तरीका निकाला है। उपस्थिति जांचने के लिए तीन तरह का मापदंड निर्धारित किया गया है। इसमें 18 से 22 दिन स्कूल आने पर बच्चे को हरा, 14 से 18 दिन स्कूल आने पर पीला और 14 से कम दिन आने वाले को लाल बैज दिया जाएगा। यह उपस्थित हर दूसरे महीने जांची जाएगी। सर्वाधिक उपस्थिति वाले छात्र को पुरस्कार दिया जाएगा।
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