यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई, सीसीआईएम, एमसीआई व बीसीआई के नियम व मानकों का पालन होगा जरूरी
लखनऊ। अब निजी विश्वविद्यालयोंमें भी राज्य विश्वविद्यालयोंकी तरह ही सारे नियम-कानून लागू होंगे। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत इन निजी विश्वविद्यालयोंमें भी यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई, सीसीआईएम, एमसीआई व बीसीआई आदि के नियम व मानकों का पालन करना जरूरी होगा। निजी विश्वविद्यालयोंमें प्रवेश मेरिट के आधार पर ही दिए जाएंगे और प्रवेश व परीक्षा का परिणाम ऑनलाइन करना अनिवार्य होगा। यही नहीं इन विश्वविद्यालयोंमें भी कम से कम 4 हजार स्टूडेंट होना जरूरी है।
राज्य सरकार की आेर से राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत पहले ही चरण में आर्थिक मदद देने की तैयारी कर ली गई है। जबकि पहले चरण में इंस्टीट्यूशनल प्लॉन के तहत राज्य विश्वविद्यालय व अनुदानित डिग्री कॉलेजों को वित्तीय मदद देने की व्यवस्था की गई थी। मगर रामपुर में मुलायम सिंह के जन्मदिन पर कैबिनेट मंत्री आजम खान ने भव्य आयोजन किया तो सरकार ने भी रिटर्न गिफ्ट के रूप में निजी विश्वविद्यालयोंके लिए खजाना खोलने की व्यवस्था करने का रास्ता खोल दिया गया है।
शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से उच्च शिक्षा में सुधार के लिए निजी विश्वविद्यालयोंमें गवर्नेंस रिफॉर्म्स, एकेडमिक रिफॉर्म्स और अवस्थापना सुदृढ़ीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इसके तहत निजी विश्वविद्यालयोंकी स्थापना के लिए यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई, सीसीआईएम, एमसीआई और बीसीआई इत्यादि के नियम व मानकों का पालन करना जरूरी होगा। विश्वविद्यालयोंमें कम से कम 4 हजार स्टूडेंट होना जरूरी है। वहीं अगर कोई डिग्री कॉलेज अपग्रेड होकर यूनिवर्सिटी बनना चाहता है तो उसे भी छात्र संख्या बढ़ाकर 4 हजार करनी होगी। आंतरिक प्रशासनिक ढांचा अत्यंत सुदृढ़ होना चाहिए। इसके लिए एकेडमिक काउंसिल, बोर्ड ऑफ स्ट्डीज, रिसर्च काउंसिल व फाइनेंस कमेटी यूजीसी के नियमों के अनुसार गठित होनी चाहिए। प्रशासनिक स्टॉफ पर्याप्त संख्या में होना चाहिए। यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट इंफॉरर्मेशन सिस्टम व ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन एकीकृत रूप से काम करेंगे। इन यूनिवर्सिटीज को अपने यहां वेबसाइट का निर्माण कर प्रवेश, परीक्षा व ट्रांसक्रिप्ट आदि का कार्य ऑनलाइन करना होगा। वहीं शिक्षक छात्र अनुपात 20:1 होना चाहिए परन्तु इसे 15:1 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं आईसीटी योजना के तहत निजी विश्वविद्यालयोंमें भी इंटरनेट व वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध करवानी होगी। इन यूनिवर्सिटीज को भी प्रिंसिपल ऑफ मिड कोर्स असेस्मेंट एंड इवैल्युवेेशन का पालन करना होगा। फैकल्टी व स्टूडेंट्स के लिए एक्सप्रोजर विजिट यूजीसी के मानकों के अनुसार लागू होंगी।
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से मूल्यांकन भी करवानी होगी और प्लेसमेंट की व्यवस्था भी करनी होगी। यानि जो कुछ राज्य विश्वविद्यालयोंमें नियम- कायदे लागू हो रहे हैं वह सभी निजी विश्वविद्यालयोंमें भी लागू करने होंगे।
लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्रा कहते हैं कि रूसा के तहत राज्य विश्वविद्यालयोंव राजकीय डिग्री कॉलेजों को केन्द्र व राज्य सरकार 65:35 के अनुपात में वित्तीय मदद देंगे। वहीं जो यूजीसी के अधिनियम की धारा 2 एफ व 12 बी से मान्यता प्राप्त नहीं हैं उन्हें यह सहायता 50:50 के अनुपात में मिलेगी। यानि निजी विश्वविद्यालयोंव कॉलेजों को 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार व 50 प्रतिशत राज्य सरकार मदद देगी। लेकिन पहले चरण में इंस्टीट्यूशनल प्लॉन के तहत राज्य विश्वविद्यालयोंव राजकीय कॉलेजों को वित्तीय मदद देने का शासनादेश दिसंबर 2013 में जारी हुआ था। अब अगर पहले ही चरण में निजी विश्वविद्यालयोंको इसके दायरे में लाया जा रहा है तो वह ठीक नहीं है। पहले सरकार सरकारी व अनुदानित डिग्री कॉलेजों व राज्य विश्वविद्यालयोंकी फिक्र करे बाद में निजी विश्वविद्यालयोंको लाभ देने का प्रयास करे।
रूसा से वित्तीय मदद देने की भी तैयारी
विद्यार्थियों को मेरिट के आधार पर मिलेगा दाखिला, नैक से मूल्यांकन कराना होगा जरूरी
अमर उजाला ब्यूरो
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